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वैश्य टेकरी कानीपुरा में 3 फरवरी को मनेगा बौध्द महास्तूप महोत्सव


 
आयोजन को लेकर हुई बैठक में दिल्ली, इंदौर, उज्जैन के पदाधिकारी हुए शामिल
उज्जैन। 3 फरवरी रविवार को उज्जैन में बौध्द महास्तूप महोत्सव वैश्य टेकरी कानीपुरा में मनाया जाएगा। इस आयोजन को लेकर सोमवार को फ्रीगंज स्थित अशोक बुध्द विहार में दिल्ली, इंदौर, उज्जैन सहित अन्य स्थानों से आए पदाधिकारियों की बैठक का आयोजन हुआ। जिसमें आयोजन को सफल बनाने हेतु निर्णय लिये गये। 
भारतीय बौध्द महासभा उज्जैन अध्यक्ष माला लोखंडे के अनुसार बौध्द महास्तूप संघ, भारतीय बौध्द महासभा उज्जैन, डॉ. अंबेडकर राष्ट्रीय युवा संघ समता सैनिक दल तथा डॉ. बाबा साहब के अनुयायी संगठनों द्वारा बौध्द स्तूप महोत्सव वैश्य टेकरी कानीपुरा में मनाए जाने का निर्णय लिया है। इस आयोजन को सफल बनाने हेतु आयोजित बैठक में इतिहासकार डॉ. आर.के. अहिरवार, आशा तेलंग, चित्रलेखा मानवटकर, संगीता टेम्भुण, मनोरमा सामगड़े, सीमा जाम्बुलकर, नरेन्द्र मुनेश्वर, मनोज नामदेव, करूणा काम्बले, हीराताई उके, सुनीता विजय गोलघाटे, इंदौर से उत्तम प्रधान, सुदेश बागड़े, शशिकांत वानखेड़े, नरेश इंगले, पुरूषोत्तम सविंग, शुभम रायपुरे, सुनील मौर्य, राहुल इंगले आदि मौजूद थे। बैठक में धम्म बंधुओं को अधिक से अधिक संख्या में आयोजन में शामिल होने की बात कही। 
बौध्द धर्म दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा धर्म
ईसाई धर्म के बाद बौध्द धर्म दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा धर्म है, दुनिया के करीब 2 अरब (29 प्रतिशत) लोग बौध्द धर्म के अनुयायी हैं। दुनिया के 200 से अधिक देशों में बौध्द अनुयायी हैं। किंतु चीन, जापान, वियतनाम, थाईलैंड, म्यान्मार, भूटान, श्रीलंका, कम्बोडिया, मंगोलिया, लाओस, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया एवं उत्तर कोरिया समेत कुल 13 देशों में बौध धर्म प्रमुख धर्म है। भारत, नेपाल, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, रूस, ब्रुनेई, मलेशिया आदि देशों में भी लाखों और करोड़ों बौध्द अनुयायी हैं। 
शासन से अपनी मांग मनवाने के लिए एकत्रित होंगे अनुयायी
उज्जैन के कानीपुरा में स्थित बौध्द महास्तूप में तथागत की चीवर व आसंदी के अवशेष हैं ऐसी मान्यता है। उसी के प्रति श्रध्दा का भाव रखते हुए प्रत्येक वर्ष यहां बौध्द महोत्सव मनया जाता है। कानीपुरा में स्थित इस बौध्द महास्तूप को पुरातत्व विभाग के द्वारा अधिग्रहित करने के बाद भी शासन के द्वारा इस क्षेत्र का डेवलपमेंट नहीं किया यह अपने आप में दुखद है। बौध्द अनुयायियों की धार्मिक भावना को देखते हुए शासन से अपनी मांग मनवाने के लिए बुध्द धर्मावलंबी अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित रहेंगे। 

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