हम सम्मान के भूखे, इसलिए हमारी गाड़ी उपर की बजाए नीचे चली जाती है
उज्जैन। कभी भी मन में अभिमान नहीं आना चाहिये, सद्कार्य करवाने वाला ईश्वर होता है, वहीं सामर्थ, बुध्दि देता है। सद्कार्य करने के बाद सीधा श्री भगवान के चरणों में समर्पित कर देना चाहिये। यदि कर्म करने के बाद दिनभर यह कहते फिरों कि हमने किया तो भगवान का आशीर्वाद नहीं मिलेगा। बल्कि कहो के हे भगवान आपकी कृपा से सब मंगल हो गया, ऐसा किया तो जीवन का कल्याण होगा, गौरव बढ़ेगा। लेकिन हम सम्मान के भूखे होते हैं इसलिए हमारी गाड़ी उपर की बजाए नीचे चली जाती है।
उक्त बात तराना रोड़ स्थित ग्राम गुनाई खालसा में आयोजित संगीतमय श्रीराम कथा में कथावाचक साध्वी मीरा दीदी ने कही। सोमवार को कथा का भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक के साथ समापन हुआ। दीदी ने रामकथा में रावण वध की कथा सुनाते हुए कहा कि भगवान ने 9 तरह की भक्ति बताई है इनमें से एक भी हमने कर ली तो जीवन तर जाएगा। आपने कहा संग सदैव संतों का करना चाहिये, बुरी संगत को छोड़कर अच्छी संगत करना भी एक तरह की भक्ति है। क्योंकि कुसंगति जीवन बिगाड़ देती है और सुसंगति जीवन को सुधार देती है। दूसरी भक्ति भगवान की कथा सुनना है, तीसरी भक्ति गुरू चरणों की सेवा है, चौथी भक्ति कपट को छोड़कर भगवान का गुणगान करना, पांचवी भक्ति भगवान के नाम मंत्र का दृढ़ विश्वास से जाप करना, छठी भगवान के चरणों का स्मरण करना, सातवीं भक्ति संसार को भगवान में देखना और संसार में भगवान को देखना, आठवी भक्ति है जो मिल जाए उसमें संतोष करो, सपने में मत सोचो पड़ोस वाले को ज्यादा मिला मुझे कम, नवीं भक्ति छल कपट को छोड़कर भगवान को मनन करना, इनमें से एक भी भक्ति कर ली तो जीवन तर जाएगा। समस्त ग्रामवासियों द्वारा ग्राम गुनाई खालसा में आयोजित श्री राम कथा की पूर्णाहुति पर महाआरती एवं महाप्रसादी का आयोजन हुआ। जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने महाप्रसादी का लाभ लिया।