गोवंष, प्राणी मात्र तथा जल स्रोतों के लिए घातक, पोलिथिन पर तत्काल प्रतिबन्ध लगाओ
गैय्या-मैय्या, षिप्रा मैय्या और टायगरों की हत्यारी नकली टायगर की सरकार का अनुकरण मत करो- आचार्य सत्यम्
उज्जैन। गोपाल की गुरूकुल नगरी सहित सम्पूर्ण देवभूमि भारत में न केवल गोवंष अपितु प्राणी मात्र और हमारी नदियां तथा जल स्रोत, पोलिथिन और प्लास्टिक के कचरे के कारण संकट में हैं। जिस प्रकार परम्परागत जैविक खेती को त्यागकर आज़ाद भारत के दिषाहीन शासकों ने निहित स्वार्थों तथा ज़हर के उत्पादकों से सांठ-गांठ कर रासायनिक खादों और कीटनाषकों का अंधाधुंध प्रयोग करवाया है, उसने हमारी सुजलाम ् सुफलाम् मलयज् शीतलाम् मातृभूमि को आत्मघाती संकट में डाल दिया है। धरती पुत्रों की आत्महत्याएं तथा राष्ट्रीय पक्षी मोर सहित समस्त पषु-पक्षियों की करोड़ों की संख्या में अकाल मौतें उसका आवष्यक परिणाम है।
उपरोक्त आषय का वक्तव्य मालव रक्षा अनुष्ठान के संयोजक आचार्य सत्यम् ने प्रसारित कर बताया कि नकली किसान पुत्र और टायगर षिवराज की सरकार ने विगत् 13 वर्षों तक यह अक्षम्य पाप किया है, जिसका आवष्यक और अनिवार्य दण्ड भोगते हुए षिवराज प्रदेष के सिंहासन पर अब कभी नहीं बैठ पायेंगे। क्या कमलनाथ सरकार षिवराज सरकार का अनुसरण कर गैय्या-मैय्या के साथ टायगरों की हत्याओं में भी सिरमौर रहे मध्यप्रदेष का पुराना इतिहास दोहराती रहेगी ? या सिक्किम के राष्ट्रभक्त और प्रकृति प्रेमी मुख्यमंत्री पवन चामलिंग का अनुसरण करेगी, जिन्होंने अपने राज्य को ज़हरमुक्त कर शत-प्रतिषत जैविक खेती वाले राज्य होने का विष्व का प्रथम पुरस्कार संयुक्त राष्ट्रसंघ से प्राप्त कर विष्व में देवभूमि भारत का परचम लहराया है। आचार्य सत्यम् ने प्रदेष के मुखिया को आगाह किया कि यदि वे वास्तव में मातृभूमि के साथ ही गोभक्त और पौराणिक नदियों के संरक्षक हैं, तो उन्हें तत्काल पोलिथिन, प्लास्टिक कचरे और रासायनिक खादों तथा कीटनाषकों पर प्रतिबन्ध लगाकर षिवराज और उनकी पार्टी को माकूल जवाब देना चाहिए।