गैय्या-मैय्या के खून से सना मुकुट लेकर प्रयाग मत जाओ नाथ....!
गोपाल की गुरूकुल नगरी में गोरक्षा का संकल्प करो -आचार्य सत्यम्
नंदी वंश के संरक्षक बाबा महाकालेष्वर की नगरी उज्जयिनी जो श्रीकृष्ण गोपाल की गुरूकुल नगरी भी है, उसमें एक माह के अपने शासनकाल में ही कई गायों की अकाल मौतों का कलंक लेकर अपनी पूर्व घोषणा के अनुसार कांग्रेस अध्यक्ष और प्रदेष के नये मुखिया यदि नकली राम और गंगा भक्तों द्वारा आयोजित शास्त्र विरोधी कथित महाकुम्भ में गंगा स्नान करने जाते हैं तो निष्चय ही बापू की आत्मा स्वर्ग में फूट-फूटकर रोयेगी, क्योंकि उन्हीं ने कहा था कि ‘‘यदि गाय नहीं बची, तो देष भी नहीं बचेगा‘‘।
उपरोक्त आषय का वक्तव्य मालव रक्षा अनुष्ठान के संयोजक आचार्य सत्यम् ने प्रसारित कर बताया कि धर्म का आडम्बर किसी भी रूप में स्थायी सफलता प्रदान नहीं कर सकता। स्वामी विवेकानन्द ने भी कहा था कि मैं उसे धर्म मानने को कदापि तैयार नहीं, जो किसी भी भूखे को भोजन न दे सके और विधवा के आंसू नहीं पोंछ सके। धर्म के स्वघोषित ठेकेदारों के मायाजाल में फंसकर बापू के चेलों को कुछ भी हासिल नहीं होगा, क्योंकि मोदी-योगी अर्द्धकुम्भ को अपने चुनावी गणित के लिए महाकुम्भ घोषित कर जन-धन और आस्था की लूट में लगे हैं। सिंहस्थ उज्जयिनी 2016 के अवसर पर हमने मोदी, षिवराज और उनके संघ के प्रमुख को निनोरा वैचारिक कुम्भ के समय माकूल जवाब दिया था। इसलिए नकली राम, गो और गंगा भक्तों को उज्जयिनी से माकूल जवाब गाय-गंगा और गौरी के संरक्षण का संकल्प लेकर दिया जा सकता है। आचार्य सत्यम् ने प्रदेष के नये मुखिया को चेतावनी दी कि उनके उज्जयिनी आगमन पर उन्होंने हमारे गाय-गंगा-गौरी और वसुंधरा के पर्यावरण की रक्षार्थ किए जा रहे सांकेतिक सत्याग्रह को अनदेखा कर बाबा भूतभावन का आषीर्वाद लेना चाहा, जो उनकी नगरी में गोवंष की अकाल मौतों के कलंक के साथ श्राप रूप में उन्हें प्राप्त हुआ है। यदि वे नेताजी सुभाष की जयंती (राष्ट्रप्रेम दिवस) पर भोपाल में आयोजित हमारे सत्याग्रह को भी अनदेखा करने की भूल करेंगे, तो बापू के निर्वाण दिवस से देष की राजधानी में प्रारंभ होने वाला हमारा आमरण अनषन उनकी बैसाखी सरकार पर मोदी सरकार से अधिक भारी पड़ेगा। नाथ हमारा परिचय दिग्गी राजा से प्राप्त कर लें, क्योंकि राघोगढ़ के राजकुमार के मुकुट पर भी गोहत्या का कलंक लग चुका है।