हकीकत-प्रदेश में पहली बार हुआ ऐसा आंदोलन जिसमें कैदियों के लिए खुद तीन दिन तक रहे जेल में
2 हजार कैदियों का खाना 5 किलो तेल में, गिनती की रोटी
जेल में कैदी जी रहे नारकीय जीवन-तीन दिन अभा हिंदू महासभा, शिवसेना गौरक्षा न्यास के पदाधिकारियों ने जेल में रहकर जानी
उज्जैन। जेल में बंद कैदी नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं, कैदियों के मानवाधिकार के लिए लड़ाई लड़ रहे अखिल भारत हिंदू महासभा तथा शिवसेना गौरक्षा न्यास के पदाधिकारियों ने तीन दिन जेल में बिताये तो उनकी दयनीय स्थिति सामने आई। उज्जैन की भैरवगढ़ जेल में ही बंद करीब 2 हजार कैदियों की सब्जी सिर्फ 5 किलो तेल, 1 किलो भूरी लाल मिर्ची जो सिर्फ रंग देती है, 1 किलो हरी मिर्च, 2 किलो प्याज और नमक के साथ पकाकर परोस दी जाती है, पूरे भगोने में तेल की तरी एक बाल्टी में भरकर जब कैदियों तक पहुंचाई जाती है तो उसपर डाल देते हैं ताकि यह दिखाई दे कि सब्जी में तेल है। प्रदेश के इतिहास में संभवतः यह पहला ऐसा आंदोलन होगा जिसमें कैदियों के मानवाधिकार की रक्षा के लिए किसी ने खुद 3 दिन जेल में बिताए हों।
जेल में बंद कैदियों के लिए बाहरी खाद्य सामग्री पर लगे प्रतिबंध को हटाने के लिए अभियान चला रही अखिल भारत हिंदू महासभा तथा शिवसेना गौरक्षा न्यास के पदाधिकारी महासभा प्रदेश प्रवक्ता मनीषसिंह चौहान के नेतृत्व में शनिवार को खुद जेल में बंद हुए और तीन दिन जेल में बंद रहकर कैदियों को आने वाली परेशानियों की वास्तविकता जानी। महासभा पदाधिकारी सोमवार शाम जेल से जमानत पर रिहा हुए। मनीषसिंह चौहान के अनुसार महासभा तथा गौरक्षा न्यास द्वारा चलाए जा रहे अभियान को निर्णायक रूप देने के लिए पदाधिकारी स्वयं जेल में बंद रहे और कैदियों को आने वाली परेशानियों को बंद रहकर जाना। जेल में कैदियों की हालत जानने के बाद उनकी दुर्दशा से महासभा के राष्ट्रीय महासचिव देवेन्द्र पांडे को भी अवगत कराया गया। देवेन्द्र पांडे कैदियों के मानवाधिकार की रक्षा के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखेंगे तथा जेल में बंद कैदियों के लिए बाहरी खाद्य सामग्री पहुंचाने के पूर्ववत नियमों को लागू करने तथा जेल में कैंटीन की मांग करेंगे। ताकि प्रशासन को राजस्व भी मिले और कैदियों को अच्छा भोजन भी। मनीषसिंह चौहान ने बताया कि अकेले उज्जैन की भैरवगढ़ जेल में बंद कैदियों के ये हाल नहीं है, पूरे प्रदेश की जेलों में बंद कैदी घोर अमानवीयता के शिकार हैं। कमलनाथ सरकार भाजपा द्वारा लिये गये इस अमानवीय निर्णय को वापस ले तथा कैदियों को पहले की तरह बाहर से खाद्य सामग्री दी जाए तथा जेल में कैंटीन की सुविधा प्रारंभ हो।
सजा के हिसाब से मिल रही रोटियां
मनीषसिंह चौहान ने बताया कि जेल में बंद कैदियों को रोटियां सजा के हिसाब से मिल रही हैं, यहां गिनती की रोटी कैदी को देते हैं, आजीवन कारावास में रहने वाले बंदियों को छोटे आकार की 6 रोटी मिलती है, 5 रोटी हवालातियों को वो भी आधी कच्ची, आधी पक्की।
90 ग्राम चाय, दाल में हल्दी का पानी
जेल में बंद कैदियों को दिन में दो बार चाय दी जाती है वह भी नापकर एक दिन में एक समय में 90 ग्राम चाय मिलती है वह भी मटमैली चाय। चौहान ने बताया कि घरों में जिस तपेली में चाय बनती है, उसके बाद खाली तपेली में पानी डालकर उबाल लो ऐसी चाय कैदियों को दी जा रही है। वहीं दाल में पानी रहता है, हल्दी के पानी को उकाल देते हैं, और दाल ढूंढे से नहीं मिलती।
जानवर भी न खाए ऐसा खाना खा रहे कैदी
डॉक्टर सेहत अच्छी रखने के लिए सलाद खाने, ढंग से पका कर खाने की सलाह देता है लेकिन जेल में बंद कैदियों को जो खाना मिल रहा है वह इतना दयनीय है कि बाहर रख दो तो जानवर भी न खाए।
भाजपा सरकार की नाकामी छुपाने की सजा कैदियों को, 3500 कैदी मर गए
मनीषसिंह चौहान ने बताया कि सिमी के आतंकियों के भागने के बाद जेल में बाहरी खाद्य सामग्री को ले जाने पर प्रतिबंध लगाकर तत्कालीन भाजपा सरकार ने अपनी नाकामी छुपाने का प्रयास किया था। कैदियों के साथ भाजपा सरकार ने जो किया इतनी बुरी स्थिति तो अंग्रेज और मुगल शासकों की जेलों में भी नहीं हुआ होगा। यही कारण रहा कि प्रदेश में दो वर्षों में 3500 कैदी मौत के शिकार हो गए।