मकर संक्रान्ति पर पर्व स्नान सम्पन्न हुआ, श्रद्धालुओं ने शिप्रा में स्नान किया
“घाटों पर स्वच्छ और निर्मल जल को देखकर अपने आप को डुबकी लगाने से रोक न सके” -रमेश कुमार
उज्जैन। सोमवार को सारे उज्जैन शहर में चहुंओर हर्षोल्लास छाया रहा। विशेष तौर पर शहर के प्रमुख घाटों पर लोगों ने शिप्रा नदी के निर्मल और स्वच्छ जल में स्नान किया और पूरे उमंग और उल्लास के साथ सूर्य को अर्घ्य देकर मंगलकामनाएं की। मौका था मकर संक्रान्ति पर्व का। आखिर पर्व होता क्या है? पर्व या त्यौहार प्रसन्नता उमंग और उल्लास के सूचक होते हैं। ये पर्व ही तो हैं, जो नीरस जीवन में आशाओं की किरण बनकर आते हैं। जरा कल्पना कीजिये यदि पर्व न होते तो क्या होता। पर्व हमारी सामाजिकता और राष्ट्रीयता के द्योतक होते हैं।
विभिन्न पर्वों पर स्नान का भी विशेष महत्व हमारे देश की संस्कृति में रहा है। स्नान यदि एक विशिष्ट मुहुर्त और तिथि पर हो तथा धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व की नगरी में हो, तो उनकी अहमियत कई गुना अधिक बढ़ जाती है। ऐसे में श्रद्धालुओं के स्नान और उन्हें अन्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिये यदि प्रशासन की ओर से सारी व्यवस्थाएं चाक-चौबन्द की गई हों, तो कहना ही क्या। कुछ ऐसा ही नजारा सोमवार को मकर संक्रान्ति पर्व की अलसुबह शहर के त्रिवेणी, रामघाट और अन्य प्रमुख घाटों पर देखने को मिला।
संक्रान्ति स्नान के लिये जिला प्रशासन और राज्य शासन द्वारा विगत कई दिनों से तैयारियां की जा रही थी। आम जनता की धार्मिक भावनाओं को समझते हुए और उन्हें सर्वोपरि मानते हुए राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा उज्जैन में बैठकें, भ्रमण और निरीक्षण निरन्तर किये गये, ताकि विशेष पर्वों पर श्रद्धालुओं को स्नान के दौरान किसी भी तरह की परेशानी न हो।
भोपाल से अपने परिवार के 10 लोगों के साथ आये रमेश कुमार ने कहा कि जब उन्होंने रामघाट पर शिप्रा के स्वच्छ और निर्मल जल को देखा तो वे और उनके परिवारवाले अपने आप को डुबकी लगाने से रोक न सके। सभी को यहां आकर बहुत अच्छा लगा। रमेश कुमार ने प्रशासन की ओर से की गई व्यवस्थाओं की भूरि-भूरि प्रशंसा की। सभी ने स्नान के बाद आचमन किया। सूर्य को अर्घ्य दिया और एक-दूसरे को मकर संक्रान्ति की शुभकामनाएं दी।
“एक पल के लिये ऐसा लगा जैसे कुंभ में स्नान कर रहे हों” -श्रीमती राखी सिंह
प्रदेश की ही एक अन्य धार्मिक नगरी मैहर से अपने पति व बच्चों के साथ आईं श्रीमती राखी सिंह ने बताया कि वे पहले सिंहस्थ के दौरान स्नान के लिये उज्जैन आईं थी। संक्रान्ति पर्व पर जिस तरह की उम्दा और बेहतरीन व्यवस्थाएं प्रशासन द्वारा की गई हैं। उन्हें देखकर एक पल के लिये ऐसा लगा जैसे वे लोग कुंभ में स्नान कर रहे हों।
“यहां स्नान के लिये जो भी आयेगा, एक सुखद अनुभूति लेकर जायेगा” -दिनेश कुमार शर्मा
मुरैना से आये दिनेश कुमार शर्मा ने बताया कि संक्रान्ति के स्नान के लिये वे सुबह ही यहां पर आये हैं। शिप्रा में जल भरपूर और स्वच्छ है। यहां घाटों पर स्थानीय प्रशासन द्वारा साफ-सफाई भी बहुत अच्छी की गई है। निश्चित रूप से जो लोग यहां स्नान करने के लिये आयेंगे, वे एक सुखद अनुभूति लेकर यहां से जायेंगे।
“श्रद्धालुओं की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा गया” -दिनेश तिवारी
जबलपुर से आये दिनेश तिवारी ने कहा कि प्रशासन द्वारा नदी में पर्याप्त मात्रा में जल की व्यवस्था की गई है। दोनों किनारों पर साफ-सफाई तो अच्छी है ही लेकिन श्रद्धालुओं की सुरक्षा का भी विशेष ध्यान रखा गया है। इस व्यवस्था को देखकर वे बहुत प्रसन्न हुए हैं। वापस जाकर वे अन्य लोगों को भी शिप्रा नदी में एक बार डुबकी लगाने के लिये उज्जैन आने की सलाह जरूर देंगे और उन्हें पूरा यकीन है कि विशिष्ट पर्वों पर समय-समय पर बड़ी संख्या में लोग स्नान के लिये यहां आयेंगे। तिवारीजी को यहां आकर और नदी में स्नान कर आत्मीय प्रसन्नता हुई।
स्नान पर की गई सुविधाओं से संतोष को मिली संतुष्टि
भिंड से आये संतोष यादव ने कहा कि प्रशासन द्वारा घाटों पर की गई व्यवस्थाएं बहुत बढ़िया हैं। स्नान के लिये पास में लगाये गये फव्वारों में नहाकर उनका तन-मन प्रफुल्लित और तरोताजा हो गया। स्नान पर की गई व्यवस्थाओं से संतोष को वाकई आत्मीय संतुष्टि प्राप्त हुई। वे बार-बार यहां आने के लिये उत्सुक रहेंगे।
उल्लेखनीय है कि संक्रान्ति पर्व पर स्नान के लिये प्रशासन द्वारा कमर कसकर सभी तैयारियां पहले ही पूर्ण कर ली गई थी। विभिन्न घाटों पर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिये पब्लिक टॉयलेट, मोबाइल टॉयलेट, प्रकाश हेतु अतिरिक्त एलईडी बल्ब, चेंजिंग रूम, होमगार्ड की रेस्क्यू टीम, बोट और तैराक दल लगाये गये थे। जगह-जगह नियंत्रण कक्ष बनाये गये थे, जहां से समय-समय पर लाऊड स्पीकर के माध्यम से घोषणाएं की जा रही थी। इसके अलावा किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिये फायर ब्रिगेड, एम्बुलेंस और स्वास्थ्य विभाग का अमला भी मौजूद था।