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शिवराज सरकार की तुगलकी योजनाओं की लाश ढोती नाथ सरकार- आचार्य सत्यम


 
उज्जैन। मालवा की गंगा मोक्षदायिनी क्षिप्रा की सर्वाधिक दुर्गति शिवराज सरकार ने की है। इस पौराणिक महानदी और इसके सहोदर सप्त सागरों की रक्षा के लिए हमें दिग्गी सरकार की काल कोठारी में रहना पड़ा था। लगता है 15 वर्ष के वनवास के बाद भी आजादी के आंदोलन की बूढ़ी पार्टी ने सबक नहीं सीखा। संक्रांति और आगामी पर्व स्नान नर्मदा की आंतें खींचकर ही उज्जयिनी में करवाने पर नाथ सरकार और उसकी नौकरशाही आमाद है जितना जन धन और उर्जा एक स्नान पर प्रदूषित पानी एकत्रित करने पर फूंकी जा रही है उससे आधी राशि में ही क्षिप्रा के पवित्र भूगर्भ जल से पर्व स्नानों की स्थायी व्यवस्था हो जाती और क्षिप्रा का संरक्षण भी संभव होता। नाथ सरकार के दौरान दो सत्याग्रहों को नृसिंह घाट उज्जयिनी पर अनदेखा कर मुख्यमंत्री और नए सत्ताधारियों ने वही गलती की है जो शिवराज सरकार 2008 से करते रहे।
उक्त वक्तव्य मालव रक्षा अनुष्ठान के संयोजक आचार्य सत्यम ने देते हुए चेतावनी दी कि क्षिप्रा का उद्गम से चंबल में संगम तक प्राकृतिक श्रृंगार, उसके दोनों किनारों पर उद्यानीकरण, वनीकरण तथा परिक्रमा पथ का निर्माण और संपूर्ण नदी तल में कुए खुदवाकर भू जल भंडारण से नदी को प्रवाहमान हम करवाकर रहेंगे। विवेकानंद जयंती से हमने निर्णायक अनुष्ठान प्रारंभ कर दिया है। नेताजी सुभाष जयंती 23 जनवरी को भोपाल में सांकेतिक सत्याग्रह और 30 जनवरी शहीद दिवस से देश की राजधानी में आमरण अनशन के लिए संकल्पित हैं। नाथ सरकार इसके मुखिया के पूर्व केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री रहे उनके मंत्रित्वकाल में ही उज्जयिनी में प्रस्तावित राष्ट्रीय ख्याति के गो विज्ञान एवं पर्यावरण प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना का प्रस्ताव हमने भिजवाया था जो उनके दलीय लोगों ने ही विफल कर दिया था। शिवराज सरकार की वेद विद्या के नाम पर महाकालेश्वर वैदिक शोध संस्थान नामक तत्काल बंद कर इसी भवन में गो विज्ञान एवं पर्यावरण प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की जाए। हासामपुरा, गोंदिया में उपलब्ध शासकीय भूमि पर पर्यावरण प्रशिक्षण केन्द्र तथा सलारिया गो अभ्यारण्य में गो विज्ञान प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित करने की हमारी मांग पर भी हम अडिग हैं। 

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