स्वच्छता अभियान के तहत की गई मेहनत अब रंग ला रही है, हवा में खुशबू की तरह फैल रही है शहर के स्वच्छ वातावरण की चर्चा
दूसरे प्रदेशों के लोग हो रहे हैं कायल
उज्जैन । प्रशासन और आम नागरिकों के द्वारा स्वच्छता अभियान के तहत की गई मेहनत और उसे बरकरार रखने के लिये निरन्तर किये जा रहे प्रयासों का असर अब दिखने लगा है। जैसे वसन्त ऋतु में हवा में चारों ओर फूलों की भीनी-भीनी सी महक फैलती है और गुंजन करते भंवरे उस खुशबू से फूल की तरफ खिंचे चले आते हैं, ठीक वैसे ही उज्जैन के स्वच्छ वातावरण और माहौल के चर्चे अब दूसरे प्रदेशों में होने लगे हैं। वहां के लोग भी एक भंवरे की भांति इस पुष्प की ओर खिंचे चले आ रहे हैं। उज्जैन शहर एक पुष्प की तरह ही तो है जो भगवान महाकाल के आशीर्वाद और प्रशासन तथा जनता के प्रयासों से सदैव खिला हुआ और महकता रहता है।
शहर के विभिन्न घाटों को स्वच्छ बनाये रखने के लिये नगर निगम के कर्मचारियों का अमला पूरी तरह से जुटकर कार्य कर रहा है। इस दौरान शहर के प्रमुख घाट तथा शिप्रा आरती स्थल रामघाट पर दूसरे प्रदेशों से आये श्रद्धालु घूमने के लिये आते हैं। सर्द मौसम की गुनगुनी और शरीर को राहत देने वाली धूप जब मोक्षदायिनी शिप्रा के निर्मल जल पर पड़कर प्रतिबिंबित होती है तो वह नजारा लोगों को स्वर्ग के समान तथा तन और मन दोनों को शान्ति देने वाला होता है।
ऐसे ही गत दिवस रामघाट पर जब जाना हुआ तो नदी के बीचोंबीच छोटी रपट पर कुछ खिलाड़ी बच्चे और उनके कोच सेल्फी लेते हुए दिखाई दिये। बातचीत के दौरान उनके कोच ने बताया कि उनका नाम चांद पाशा है और वे हैदराबाद तिलंगाना से यहां 14 वर्ष से कम आयुवर्ग के 18 बालक और 18 बालिका खिलाड़ियों के दल के साथ उज्जैन आये हैं। महानन्दा स्पोर्ट्स एरिना में आयोजित हो रही राष्ट्रीय बेसबॉल प्रतियोगिता में भाग लेने के लिये उनका यहां आना हुआ।
जब उज्जैन घूमने का मौका मिला तो सबसे पहले उनके दल ने भगवान महाकाल के दर्शन किये और अन्य प्रमुख मन्दिरों के दर्शन करने के बाद रामघाट आये। उन्होंने बताया कि उज्जैन शहर का वातावरण तन और मन दोनों को स्वस्थ रखने वाला है। यहां के आभा मण्डल में एक विचित्र और अदभुत शक्ति है जो सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है। उनके दल में गर्ल्स कोच बी.रविकुमार और ए.विनी ने बताया कि शहर की स्वच्छता और स्थानीय लोगों के व्यवहार ने उनका दिल जीत लिया है।
प्रतियोगिता में क्वार्टर फायनल में हार होने के बाद उनके दल के बच्चों का मनोबल थोड़ा कमजोर हो गया था, लेकिन शहर की सादगी और पवित्रता तथा देव-दर्शन से उनके अन्दर एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार हुआ, जिसे देखकर बच्चों के कोच भी दंग रह गये।
उन्होंने बताया कि वे लोग पहली बार यहां आये हैं। इस बार आने का बहाना प्रतियोगिता था, लेकिन अगली बार वे यहां बार-बार आयेंगे। इस बार आने का मकसद भागदौड़ भरी जिन्दगी में थोड़ी शान्ति और सुकून प्राप्त करना होगा। प्रतियोगिता में पराजय के बावजूद वे लोग एवं सुखद अनुभूति लेकर यहां से जा रहे हैं। अगली बार वे प्रदेश के दूसरे लोगों को भी जीवन में एक बार उज्जैन और मध्य प्रदेश के अन्य पर्यटन स्थल घूमने की सलाह जरूर देंगे।