वजन घटाने के विज्ञापन से धोखा खा गए उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू
धोखाधड़ी सिर्फ आम इंसानों के साथ ही नहीं हुआ करती बल्कि शीर्ष स्तर के नेता और बड़े लोग भी इसके शिकार बनते रहे हैं. अब इस धोखाधड़ी के शिकार पूर्व केंद्रीय मंत्री और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू बने हैं.
वेंकैया नायडू ने राज्य सभा सत्र में अपने भाषण के दौरान एक ऐसी घटना का जिक्र किया जिसमें उन्होंने बताया वह वजन घटाने के विज्ञापन से धोखा खा गए थे.
नायडू ने शुक्रवार को राज्य सभा में बैठक के दौरान अपने भाषण में बताया कि उन्हें वजन घटाने वाली एक कंपनी ने धोखा दिया. उन्होंने इसके बारे में उपभोक्ता विभाग से शिकायत की. बाद में पड़ताल किए जाने के बाद पता चला कि यह कंपनी अमेरिका में स्थित है.
राज्य सभा में सपा सांसद नरेश अग्रवाल ने मिलावट और नकली सामान पर सवाल उठाया. साथ ही कहा कि विज्ञापनों का जोर है. बाजार में हर चीज में मिलावट देखने को मिलता है, वजन घटाने का दावा किया जाता है. सरकार को चाहिए कि वह दिशा में भ्रामक चीजों पर अंकुश लगाने की दिशा में प्रयास करे.
इस सवाल पर उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान कुछ कहते इससे पहले उपराष्ट्रपति नायडू ने अपने साथ हुए एक मामले के बारे में सदन को बताया. उन्होंने कहा, "उपराष्ट्रपति बनने के बाद मैंने एक विज्ञापन देखा कि इस दवा का सेवन करने पर 28 दिन में वजन कम हो जाएगा. फिलहाल मेरा वजन हो गया, लेकिन जानकारी के लिए मैंने कुछ रुपए देकर दंवा मंगवाई. फिर उत्तर आया तो उसे खोला तो देखा कि उसमें लिखा कि एक हजार से ज्यादा का पैसा भेजिए तो आपको ओरिजनल दवा मिलेगी."
इसके बाद मैंने उपभोक्ता मामलों के विभाग को पत्र लिखा. इसके बाद पड़ताल में पता चला कि यह कंपनी दिल्ली की न होकर अमेरिका की है.
उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि सरकार इस संबंध में एक सख्त बिल ला रही है. उन्होंने कहा, "उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए वे जल्द ही एक बिल पेश करने वाले हैं जिससे ऐसी कंपनियों और विज्ञापनों से उनके हितों की रक्षा होगी."
पासवान ने कहा कि सभी को मालूम है कि बाजार में क्या होता है लेकिन वर्तमान कानून 1986 का है जो वक्त के हिसाब से बहुत पुराना हो गया है और इसमें बदलाव लाने के लिए हमने काफी प्रयास किया है. जल्द ही संसद में यह विधेयक पेश करेंगे. एक हफ्ता पहले नया उपभोक्ता संरक्षण बिल को केबिनेट की मंजूरी मिल गई है और हमारी आपसे यही अनुरोध है कि दोनों सदन इस बिल को स्टैंडिंग कमिटी में भेज कर इसमें और देरी न करें.