रजिस्ट्री पर शुल्क बढ़ाने से बढ़ेगा बोझ, रियल एस्टेट सेक्टर पर पड़ेगी मार
भोपाल। राज्य सरकार ने शहरी क्षेत्रों में रजिस्ट्री पर शहरी प्रभार शुल्क 2 प्रतिशत से बढ़ाकर 3 प्रतिशत कर दिया है। सरकार के इस फैसले का अब हर तरफ विरोध हो रहा है। रियल एस्टेट क्षेत्र के जानकार इसे पहले से मंदी झेल रही इंडस्ट्री पर बड़ी मार बता रहे हैं, वहीं पूर्व मुख्य सचिव केएस शर्मा ने भी इस फैसले का विरोध किया है। शर्मा ने कहा कि सरकार के इस फैसले से लोगों में रजिस्ट्री न कराने की प्रवृत्ति बढ़ेगी और पहले से ही जीएसटी और महंगाई की मार झेल रहे आम लोगों पर भी भार आएगा।
शर्मा ने कहा कि जब रियल एस्टेट सेक्टर मंदी की मार झेल रहा है, आम लोग महंगाई की मार झेल रहे हैं तो ऐसे में सरकार को नया कर लगाने की जरूरत नहीं थी। उन्होंने कहा कि भारत सरकार राज्यों से बार-बार कह रही है कि राज्य सरकारें स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्री शुल्क में कटौती करे। राज्य सरकार ने इसके उलट एक प्रतिशत रजिस्ट्री शुल्क बढ़ाने का फैसला कर लिया है।
अस्तित्व बनाए रखना मुश्किल, नया कर लाद दिया
रियल एस्टेट सेक्टर ने भी सरकार के फैसले का विरोध किया है। क्रेडाई के पूर्व अध्यक्ष मनोज सिंह मीक ने कहा कि मंदी के इस दौर में रियल एस्टेट सेक्टर के लिए अस्तित्व बनाए रखना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में रजिस्ट्री महंगी करना सही नहीं है। इसका सीधा असर आम आदमी और बिल्डर्स पर पड़ेगा।
गुपचुप कैबिनेट से पास कराया
सरकार की आय बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने इस फैसले को कैबिनेट बैठक में भी गुपचुप तरीके से पास करा दिया। 12 जनवरी को यह प्रस्ताव कैबिनेट में लाया गया था। पहले यह कैबिनेट के एजेंडे में शामिल नहीं था, लेकिन आखिरी समय में पूरक एजेंडे में इसे शामिल कर पास कराया गया। आमतौर पर कैबिनेट में हुए महत्वपूर्ण फैसलों की जानकारी सरकार देती है, लेकिन सीधे तौर पर लोगों से जुड़े इस फैसले की जानकारी भी नहीं दी गई।
ये है फैसला
सरकार की आय बढ़ाने के लिए सरकार ने एक अध्यादेश लाने का फैसला किया है। दरअसल, सरकार ने शहरी क्षेत्रों में होने वाली रजिस्ट्री पर शहरी प्रभार शुल्क 2 से बढ़ाकर 3 प्रतिशत कर दिया है। इससे रजिस्ट्री शुल्क 9.3 प्रतिशत की जगह 10.3 प्रतिशत हो जाएगा। सरकार एक अध्यादेश के जरिए यह परिवर्तन कर रही है। माना जा रहा है कि जनवरी में इसे लागू कर दिया जाएगा।