माल्या की ओर से पैसा वापस देने की मंशा नहीं: कोर्ट में बोले सरकार के वकील
भारत में 9,000 करोड़ रुपये की कर्ज धोखाधड़ी तथा मनी लांड्रिंग मामले में वांछित शराब कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ ब्रिटेन की अदालत में प्रत्यर्पण मामले में सुनवाई शुरू हो गई है. अभियोजन पक्ष ने जोर देकर कहा कि माल्या के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला है जिसमें उन्हें जवाब देना है.
लंदन की कोर्ट में भारत सरकार की ओर से जो वकील पेश हुए हैं, उन्होंने कोर्ट को कहा है कि विजय माल्या की कभी भी बैंकों का लोन वापस देने की मंशा नहीं रही.
आग लगने के बाद बजा अलार्म
मामले में सुनवाई कुछ समय के लिये रूकी थी. आग लगने की चेतावनी को लेकर अलार्म बजने के कारण अदालत कक्ष को कुछ समय के लिये खाली करना पड़ा. इस दौरान 61 साल के माल्या तथा अन्य वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत के बाहर खड़े रहे.
मामले में सुनवाई शुरू करते हुये भारत सरकार की तरफ से पैरवी कर रही क्राउन प्रोस्क्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने अपनी दलीलें रखी. यह मामला माल्या की पूर्व कंपनी किंगिफशर एयरलाइंस द्वारा बैंकों के समूह से लिये गये करीब 2,000 करोड़ रुपये के कर्ज पर केंद्रित रहा. सीपीएस ने स्वीकार किया कि बैंकों द्वारा कर्ज की मंजूरी देते समय आंतरिक प्रक्रियाओं में हो सकता है कुछ अनियमितताएं रही हों लेकिन इस मुद्दे से भारत में बाद में निपटा जाएगा.
वकील मार्क समर्स ने कहा, ‘‘मामले में जोर माल्या के आचरण तथा बैंकों को गुमराह करने एवं कर्ज राशि के दुरूपयोग पर है.’’ उन्होंने मामले में पूरे घटनाक्रम को विस्तार से बताया. इसमें नवंबर 2009 में किंगिफशर एयरलाइंस द्वारा आईडीबीआई बैंक से मांगे गये कर्ज पर विशेष जोर था.
भारत से इस दौरान केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय की चार सदस्यीय टीम भी अदालत में पहुंची थी. माल्या खुद ही मार्च 2016 से भारत से बाहर ब्रिटेन में रह रहे हैं. उन पर उनकी बंद हो चुकी विमानन कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस द्वारा कई भारतीय बैंकों का ऋण जानबूझकर नहीं चुकाने का आरोप है. उन पर कुल 9,000 करोड़ रुपये का बकाया है.
प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई में पीठासीन न्यायाधीश एम्मा लुइस अर्बथनॉट हैं. यह सुनवाई 14 दिसंबर तक चलेगी. इसमें छह और आठ दिसंबर को छुट्टी रहेगी.