GST रिटर्न फाइल करना आसान बनाएगी मोदी सरकार, बनाई समिति
नई टैक्स व्यवस्था जीएसटी को लागू किए हुए 5 महीने से ज्यादा गुजर चुके हैं, लेकिन अभी भी कारोबारियों को जीएसटी रिटर्न फाइल करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इसको देखते हुए सरकार ने भी अब जीएसटी रिटर्न फाइल करना आसान बनाने के लिए कवायद शुरू कर दी है. केंद्र सरकार ने एक 10 सदस्यों की समिति बनाई है, जो रिटर्न फाइलिंग को आसान बनाने के रास्ते खोजेगी.
इन राज्यों के प्रतिनिधि भी शामिल
जीएसटीएन चेयरमैन अजय भूषण पांडे की अध्यक्षता में यह समिति बनाई गई है. इस समिति को मौजूदा वित्त वर्ष में जीएसटी रिटर्न फाइल करने और इसे आसान बनाने के लिए जरूरी चीजों का पता लगाने के लिए कहा गया है. इस समिति में गुजरात, कर्नाटक, पंजाब और आंध्र प्रदेश के टैक्स कमीशनर्स भी शामिल हैं.
मौजूदा व्यवस्था में बदलाव भी संभव
समिति को जीएसटी रिटर्न फाइलिंग का अध्ययन करने के बाद यह बताने की भी जिम्मेदारी दी गई है कि क्या मौजूदा व्यवस्था में बदलाव करने की जरूरत है या नहीं. इसके अलावा समिति को जीएसटी फाइलिंग को लेकर बने नियम, कानून और स्वरूप को बदलने को लेकर भी अपनी बात रखनी होगी. इसके साथ ही इसमें जरूरी बदलाव का सुझाव भी सरकार के सामने रखना होगा.
अजय भूषण पांडे ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में कहा कि हम इस संबंध में विशेषज्ञों से भी बात कर रहे हैं. इसके अलावा अन्य भागीदारों से भी बात की जा रही है. इनसे पूछा जा रहा है कि कैसे जीएसटी फाइलिंग को आसान बनाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इस पूरी कवायद का मकसद यह है कि अब तक जिन भी लोगों ने जीएसटी रिटर्न फाइल नहीं किया है, वे करना शुरू कर दें.
उनके लिए फाइलिंग को सरल कर जीएसटीआर-1 और जीएसटीआर-3B को फाइल करना आसान बनाने का लक्ष्य है. जीएसटी परिषद ने 10 नवंबर को ऐसी एक समिति बनाने की घोषणा की थी.
छोटे कारोबारियों को आ रही दिक्कतें
बता दें कि जीएसटी के चलते ऑटो निर्यातकों समेत अन्य छोटे कारोबारियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ऑटो निर्यातकों का जीएसटी रिफंड में पैसा फंसने की वजह से वर्किंग कैपिटल काफी ज्यादा बढ़ गया है. ऑटो निर्यातकों के कारोबार पर जीएसटी का असर इसी से साफ नजर आता है कि जुलाई से अक्टूबर के बीच पैसेंजर व्हीकल का निर्यात 14. 45 फीसदी घटा है.
नहीं फाइल कर पा रहे हैं रिफंड क्लेम
निर्यातकों का कहना है कि वह जुलाई से इनपुट टैक्स क्रेडिट फाइल नहीं कर पाए हैं. इसकी वजह से उनके 1000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा जीएसटी रिफंड में फंस गए हैं. इतनी बड़ी रकम के फंसने से उनका वर्किंग कैपिटल काफी ज्यादा बढ़ गया है. इसका सीधा असर उनके कारोबार पर पड़ रहा है.
दुरुस्त नहीं है रिफंड की प्रक्रिया
उन्होंने कहा कि जीएसटी में जो मौजूदा व्यवस्था है, उसमें भुगतान तो पहले करना पड़ता है, लेकिन रिफंड बाद में क्रेडिट होता है. इसके अलावा रिफंड की प्रक्रिया भी दुरुस्त तरीके से नहीं चल रही है. इस वजह से उन पर इतना दबाव बढ़ गया है कि जब तक रिफंड की व्यवस्था पुख्ता नहीं हो जाती, वे तब तक निर्यात करने के लिए सोच भी नहीं सकते.