प्रगति के पथ पर मध्यप्रदेश - शिवराज सिंह चौहान
भारत के हृदय प्रदेश मध्यप्रदेश का आज 62वां स्थापना दिवस है। इस अवसर पर आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ। मध्यप्रदेश आज आप सभी लोगों की मेहनत से देश का अग्रणी राज्य बन गया है। भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी आज मध्यप्रदेश के बारे में लोगों की सोच में बदलाव आया है। लोग पहले की तुलना में अब मध्यप्रदेश के बारे में जानने की जिज्ञासा ज्यादा रखते हैं। लोग जानने के साथ-साथ मध्यप्रदेश से जुड़ना भी चाहते हैं। लोगों के लिए अब एम.पी. का अर्थ ''मध्यप्रदेश'' से आगे बढ़कर ''मेरा प्रदेश'' हो गया है। लोगों का इस तरह से सोचना हम सभी के लिये गौरव की बात है।
वर्ष 1956 में जब मध्यप्रदेश बना था तो मध्य भारत, सेन्ट्रल प्रोविंसेज एण्ड बरार, विन्ध्य प्रदेश और भोपाल रियासत को मिलाकर बनाया गया था। अलग-अलग संस्कृतियों का मिलन भाषाई एकता के आधार पर किया गया था। आज मध्यप्रदेश ने भाषाई एकता के साथ-साथ सांस्कृतिक एकता की मिसाल पूरी दुनिया के सामने प्रस्तुत की है। भारत के संदर्भ में कहा जाता है कि ''अनेकता में एकता'' यहां की विशेषता है। यह सच भी है कि भारत की बहुरंगी विविधताएं ही भारत को मजबूत बनाती है। एक सूत्र में बंधी हुई विविधता मध्यप्रदेश में हमें सशक्त रूप में दिखाई देती है।
भारत जब आजाद हुआ था, तो इस भू-भाग की अपनी सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान तो बहुत सशक्त थी। यहां कमी थी तो आधारभूत सुविधाओं की। मुझे एक बार चर्चा में ज्ञात हुआ कि आजादी के समय सिर्फ जबलपुर शहर में बिजली थी और उसके कुछ समय बाद सागर में बिजली आई थी। आगे चलकर धीरे-धीरे सिर्फ शहरी क्षेत्रों में बिजली पहुंच पाई, ग्रामीण क्षेत्रों को तो लम्बे समय तक अंधेरे में ही जीवन-यापन करना पड़ा था। जब आज के मध्यप्रदेश को देखता हूँ, तो मन में सन्तुष्टि का भाव आता है कि आज हमारा मध्यप्रदेश विकास के हर क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाने में सफल हुआ है।
आज मध्यप्रदेश में बिजली की स्थिति बहुत अच्छी हो गई है। हम आज विद्युत सरप्लस राज्य हैं। प्रदेश के अधिकांश क्षेत्र बिजली से रोशन हो रहे हैं। प्रदेश में किसानों को 10 घण्टे और आवासीय क्षेत्रों में 24 घण्टे बिजली उपलब्ध हो रही है। समय के साथ-साथ स्थितियों में कितना बदलाव हो गया है। देश की आजादी के समय इस भू-भाग पर शिक्षा की दृष्टि से सिर्फ एक विश्वविद्यालय और सात महाविद्यालय थे। आज शैक्षणिक संस्थानों की बढ़ती संख्या ने मध्यप्रदेश के शैक्षणिक परिदृश्य को पूरी तरह से बदलकर रख दिया है।
बीते एक दशक में अधोसंरचना विकास के अभूतपूर्व कार्यों तथा मध्यप्रदेश की क्षमताओं, संभावनाओं, साफ नीयत व नीतियों के फलस्वरूप देश-दुनिया में मध्यप्रदेश को नई पहचान मिली है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के ''एकात्म मानवदर्शन'' के अनुरूप हमने प्रदेश में अंत्योदय के सपने को साकार करने का प्रयास किया है। मध्यप्रदेश में हम 'सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामया'' के भाव के साथ सभी वर्गों की भलाई पर ध्यान दे रहे हैं।
मध्यप्रदेश में युवाओं को रोज़गार के अधिक से अधिक अवसर दिलाने के लिये कई कार्यक्रम प्रारम्भ किये गये हैं। प्रदेश में ''स्किल डेवलपमेंट मिशन'' भी प्रारम्भ किया गया है। विद्यार्थियों को पैसे की कमी की वजह से उच्च शिक्षा प्राप्त करने में कोई बाधा उत्पन्न न हो, इसलिए ''मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना'' प्रारंभ की गई है। प्रदेश के किसानों को उनकी फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने के लिये ''भावांतर भुगतान योजना'' प्रारम्भ की गई है। सुशासन के क्षेत्र में हमारी उपलब्धियों को व्यापक रूप से सराहा गया है। प्रदेश में महिलाओं के सशक्तिकरण, सम्मान और सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
हम सभी लोग तभी तेजी से आगे बढ़ सकते हैं, जब हमारा आपसी संवाद अधिक से अधिक हो और हम सभी मिलकर और भी तेज गति से नये विकास कार्यक्रमों की योजना तैयार करें। आज से ही मैं दो माह के लिए ''मध्यप्रदेश विकास यात्रा'' प्रारंभ कर रहा हूँ। इस यात्रा के दौरान सभी वर्गों के लोगों से मिलकर मध्यप्रदेश को आगे बढ़ाने के और नये कार्यक्रम तैयार करूंगा।
हम यही नहीं रूकेंगे। अभी हमें बहुत आगे जाना है। मध्यप्रदेश को सर्वोच्च शिखर पर पहुंचाना है। इसमें आप सभी का सहयोग आवश्यक है। आइये हम सभी मिलकर आगे बढ़े। आप सभी को स्थापना दिवस की पुनः बधाई एवं शुभकामनाएं।