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रोहिंग्या मुसलमानों पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, दे सकती है फैसला


देश में राजनीतिक बहस का मुद्दा बने रोहिंग्या मुसलमानों पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है. सुप्रीम कोर्ट में रोहिंग्या मुसलमानों ने याचिका दायर की है जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें उन्हें भारत से वापस भेजने को कहा गया है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश जस्टिय दीपक मिश्रा सहित तीन जजों की बेंच इस याचिका पर सुनवाई करेगी. इस बेंच में जस्टिस जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल हैं. आपको बता दें कि केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है कि यह मामला कार्यपालिका का है और सर्वोच्च न्यायालय इसमें हस्तक्षेप न करे. लेकिन सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा है कि वह इस मामले में विभिन्न पहलुओं पर सुनवाई करेगी.

सरकार का तर्क
सरकार ने अपने हलफनामे में रोहिंग्या शरणार्थियों को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए कहा है कि ये भारत में नहीं रह सकते. सरकार ने कहा है कि उसे खुफिया जानकारी मिली है कि कुछ रोहिंग्या आतंकी संगठनों के प्रभाव में हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में दलीलें भावनात्मक पहलुओं पर नहीं, बल्कि कानूनी बिंदुओं पर आधारित होनी चाहिए. केंद्र ने कहा है कि देशभर में 40 हजार से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी मौजूद हैं. म्यांमार में हिंसा भड़कने के बाद रोहिंग्या वहां से पलायन कर रहे हैं. अबतक करीब 9 लाख रोहिंग्या म्यांमार छोड़ चुके हैं.

सुप्रीम कोर्ट का मानना 
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने दोनों पक्षों से कहा है कि वह अपनी अर्जी में तमाम दस्तावेजों को लगाएं और साथ ही अंतरराष्ट्रीय संधियां भी इसमें समग्र तरीके से पेश करें. कोर्ट ने कहा कि वह कानून के आलोक में इस मामले की मानवीय पहलू और मानवता के आधार पर सुनवाई करेगा. 

रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस नहीं भेजने का प्रधानमंत्री से अनुरोध
मशहूर हस्तियों के एक समूह ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि रोहिंग्या शरणार्थियों और आश्रय चाहने वालों को वापस नहीं भेजा जाए. इसके साथ ही समूह ने कहा कि पूरे समुदाय के राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा होने की बात ‘‘गलत धारणा’’ पर आधारित है. मशहूर 51 लोगों के समूह ने एक खुले पत्र में कहा कि एक उभरते वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में भारत "अदूरदर्शी दृष्टिकोण" नहीं अपना सकता. समूह में कांग्रेस सांसद शशि थरूर, पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम, पूर्व केंद्रीय गृह सचिव जी के पिल्लै आदि शामिल हैं. पत्र में कहा गया है कि रोहिंग्या लोगों को वापस म्यामां भेजने का भारत का तर्क इस गलत धारणा पर आधारित है कि उन सभी से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है.

पत्र में कहा गया है कि संविधान का अनुच्छेद 21 सभी लोगों को जीने के अधिकार की गारंटी देता है, भले ही उसकी राष्ट्रीयकता कुछ भी हो तथा सरकार जोखिम का सामना कर रहे विदेशी नागरिकों के समूहों की रक्षा के लिए संवैधानिक रूप से बाध्य है. पत्र पर अभिनेत्री स्वरा भास्कर के भी हस्ताक्षर हैं.

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