21 अप्रैल से शुरू होगी वर्ष 2017 की पंचक्रोशी यात्रा
पंचक्रोशी यात्रा वर्ष 2017
उज्जैन । मानव अपनी भलाई के लिए क्या-क्या नहीं करता. इहलोक से परलोक तक का सारा धार्मिक, सांस्कृतिक कारोबार उसकी इसी उद्दामअभिलाषा की देन है। दुनिया के प्रमुख ज्योतिर्लिगों में से एक महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन की पंचक्रोशी यात्रा को दिव्यशक्तियों के निकट ले जाने वाला माना जाता है। यह यात्रा सम्पूर्ण मानव-समुदाय के कल्याण के लिए निकाली जाती है। 21 अप्रैल से शुरू होने वाली और छह दिनों तक चलने वाली पंचक्रोशी यात्रा 118 किलोमीटर दूरी तय करते हुए 26 अप्रैल 2017 को समाप्त होगी।
पुरातन काल से ही अपने पापों के प्रायश्चित के लिए इंसान द्वारा तरह-तरह के अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता रहा है और इसका मकसद ईश्वर के प्रति निकटता पाना होता है। यह सिलसिला आज भी जारी है। ऐसी मान्यता है कि पापों को समाप्त करने की शक्ति बाबा महाकाल में है। स्कंद पुराण में कहा गया है कि पूरे जीवन के काशीवास से ज्यादा महत्वपूर्ण तथा पुण्यकारी काम वैशाख के मास में पांच दिन का अवंतिवास है।
पापों से मुक्ति पाने और पुण्य कमाने के लिए ही देश भर के श्रद्धालु पंचक्रोशी यात्रा में हिस्सा लेने के लिए उज्जैन पहुँचते हैं। मान्यता है कि इस लम्बी यात्रा में शामिल होने से निहित स्वार्थ, दुराग्रह, पूर्वाग्रह, कटुता, वैमनस्यता तथा मोहमाया के सारे बंधन मानों पीछे छूटे जाते हैं।
पंचक्रोशी यात्रा 118 किलोमीटर तक निकाली जाती है और इसमें कुल सात पड़ाव व उप पड़ाव आते हैं। इन पड़ावों व उप पड़ावों के बीच कम से कम छह से लेकर 23 किलोमीटर तक की दूरी होती है। नागचंद्रेश्वर से पिंगलेश्वर पड़ाव के बीच 12 किलोमीटर, पिंगलेश्वर से कायावरोहणेश्वर पड़ाव के बीच 23 किलोमीटर, कायावरोहणेश्वर से नलवा उप पड़ाव तक 21 किलोमीटर, नलवा उप पड़ाव से बिल्वकेश्वर पड़ाव अम्बोदिया तक छह किलोमीटर, अम्बोदिया पड़ाव से कालियादेह उप पड़ाव तक 21 किलोमीटर, कालियादेह से दुर्देश्वर पड़ाव जैथल तक सात किलोमीटर, दुर्देश्वर से पिंगलेश्वर होते हुए उंडासा तक 16 किलोमीटर और उंडासा उप पड़ाव से क्षिप्रा घाट रेत मैदान उज्जैन तक 12 किलोमीटर का रास्ता तय करना होता है। पुरातन काल से चली आ रही परंपरा के अनुसार यह यात्रा क्षिप्रा नदी में स्नान व नागचंद्रेश्वर की पूजा के साथ वैशाख कृष्ण दशमी से शुरु होती है।
पंचक्रोशी यात्रा उज्जैन में होने वाला प्रतिवर्ष का आयोजन है। यह धार्मिक यात्रा 118 किमी लंबी होती है और अप्रैल माह में आयोजित होती है, जिसमें वैशाख की तपती दोपहर में हजारों श्रद्धालु आस्था की डगर पर यात्रा करते हैं। यात्रा के कुछ प़ड़ाव शिप्रा के किनारे हैं। पंचक्रोशी यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालु यात्रा प्रारंभ होने के एक दिन पहले नगर में आकर मोक्षदायिनी शिप्रा के रामघाट पर विश्राम करते हैं। प्रातः शिप्रा स्नान कर पटनी बाजार स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर पहुँच भगवान नागचंद्रेश्वर को श्रीफल अर्पित कर बल प्राप्त करते हैं। इसके बाद यात्रा शुरू होती है।
पंचक्रोशी यात्रा के प़ड़ावों पर यात्रियों को ग्रामीणों की सेवा से राहत मिलती है। ग्रामीण पेयजल, भोजन, ठंडाई आदि के इंतजाम कर दिन-रात सेवा कार्य में लगे रहते हैं। ग्रामीणों के सेवा कार्यों के चलते ही धार्मिक यात्रा सफल हो पाती है।
पंचक्रोशी यात्रा में पिंगलेश्वर, करोहन, नलवा, बिलकेश्वर, कालियादेह महल, दुर्देश्वर, उंडासा तथा रेती घाट इस तरह कुल पाँच प़ड़ाव और दो उपपड़ाव आते हैं। नगर प्रवेश के पश्चात रात्रि में यात्री नगर सीमा स्थित अष्टतीर्थ की यात्रा कर त़ड़के शिप्रा स्नान करते हैं। यात्रा का समापन भगवान नागचंद्रेश्वर को बल लौटाकर होता है। इसके लिए यात्री बल के प्रतीक मिट्टी के घो़ड़े भगवान को अर्पित करते हैं।
प्रशासन द्वारा की जाने वाली विभिन्न व्यवस्थाएं
पंचक्रोशी यात्रा के दौरान विभिन्न पड़ावों, उपपड़ावों पर यात्रियों के ठहरने के दौरान उनके लिये टेन्ट, प्रकाश व्यवस्था, शामियाने, भोजन के लिये विभिन्न सामग्री, पेयजल, सफाई, दूध, चिकित्सा, एम्बुलेंस, अग्निशमन व्यवस्था, शौचालय, फव्वारे इत्यादि व्यवस्थाएं जिला प्रशासन के निर्देश पर जिला पंचायत एवं विभिन्न सम्बन्धित विभागों द्वारा की जाएगी। इसी तरह यात्रा मार्ग पर चूना लाइनिंग, मधुमक्खियों के छत्ते हटाये जायेंगे। चिकित्सा विभाग द्वारा प्रत्येक पड़ाव पर यात्रियों को दवाईयों के साथ-साथ पैरों में लगाने के लिये मलहम की व्यवस्था की जाती है। प्रत्येक पड़ाव स्थल पर पांच बिस्तर का अस्थाई अस्पताल, उचित मूल्य की दुकान, कंडे आदि की व्यवस्था की पर्याप्त रूप से की जाती है।
सामाजिक संस्थाओं द्वारा बढचढ़ कर भागीदारी
पंचक्रोशी यात्रा में उज्जैन एवं घट्टिया तहसील के पड़ने वाले ग्रामों के निवासियों एवं ग्राम पंचायतों द्वारा पंचक्रोशी यात्रियों के लिये ठण्डे पेय, चाय, सेव-परमल, अन्य खाद्यान्न, छाया आदि की नि:शुल्क व्यवस्था की जाती है। इसी के साथ उज्जैन शहर की विभिन्न सामाजिक संस्थाएं भी नि:शुल्क भोजन के पैकेट एवं खाद्य सामग्री का वितरण करती है। यद्यपि पंचक्रोशी करने वाले यात्री किसी भी सुविधा या सहायता की इच्छा से इस यात्रा में शामिल नहीं होते हैं, किन्तु उनके लिये की जाने वाली व्यवस्थाओं से उनकी यात्रा सुखद होती है।