‘मंदार’ एंड नो मोर अभियान के तहत जीवन बचाने का दिलाया संकल्प-भोपाल में तैराकों को देंगे लाईफ सेविंग का प्रशिक्षण
जलाशयों में डूबने से हो रही मौतों को रोकने के लिए तैराकों को किया एकजुट
उज्जैन। हाल ही में महिदपुर में 4 बच्चों की मौत, आए दिन क्षिप्रा में डूबने से हो रही मौतों सहित देशभर में जलाशयों के जोखिम से जीवन बचाने हेतु चलाए जा रहे अभियान ‘मंदार एंड नो-मोर के तहत नृसिंह घाट पर तैराकों को एकजुट कर उन्हें लाईफ सेविंग के इस अभियान से जुड़ने हेतु प्रेरित किया गया तथा जलाशयों में होने वाली दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए संकल्प दिलाया गया।
अभियान के सहसंयोजक अरूण दंडवते के अनुसार जल दुर्घटनाओं से बचाव हेतु भोपाल में 11 अप्रैल से 18 अप्रैल तक निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस हेतु भोपाल से एनआईएस कोच आशुतोष जोशी, इंदौर से अमित पांडे, अनोखीलाल बिल्लोरे, भोपाल से निशेष बेग प्रशिक्षण देंगे। सोमवार को नृसिंह घाट पर तैराक दल के मांझी विश्वनाथ जोशी, हरभगवानसिंह खुराना, दीपक सक्सेना, मिलिंद पन्हालकर, मुकेश चैरसिया आदि को इस अभियान से जुड़ने तथा पानी में डूबकर होने वाली मौतों को रोकने के लिए आगे आने हेतु प्रेरित किया। सभी से कहा गया कि हर व्यक्ति कम से कम पांच तैराक तैयार करे, अपने हर परिचित को तैरना सिखाएं, इनमें अच्छे तैराकों को जीवन बचाने के गुर सिखाए। अरूण दंडवते के अनुसार भोपाल के अलावा कोयम्बटूर, नईदिल्ली, मुंबई, पुणे, इंदौर, होशंगाबाद, नागपुर आदि शहरों में 21 मार्च को संकल्प दिवस मनाया गया था जिसके तहत तैराकों को जीवन बचाने हेतु तत्पर रहने का संकल्प दिलाया था। इस अभियान से रोटरी क्लब भोपाल, इंदौर, उज्जैन सहित सफल सोसायटी भी जुड़ी हुई हैं। उज्जैन में भी अभियान से जुड़ने वाले तैराक यहां पर घाटों पर व्यवस्था देखेंगे दलों में लाईफ सेविंग करने वालों की संख्या बढ़ाएंगे तथा जनजागृति फैलाएंगे।
एक मंदार की जान गई, दूसरी नहीं जाने देंगे
केरवा डेम भोपाल में 21 मार्च 2015 को मंदार वेदघोषे कक्षा दसवीं का छात्र परीक्षाएं खत्म होने के बाद कुछ समय की मौज मस्ती के लिए अपने दोस्तों के साथ केरवा जलाशय पर गया था। मंदार और उसका एक मित्र यहां के भ्रामक किनारों से गिरकर पानी में डूबने लगे। मित्र को तो जैसे-तैसे बचा लिया गया लेकिन मंदार की जान नहीं बचाई जा सकी। इस दुर्घटना ने न सिर्फ मंदार के परिवार बल्कि देश-विदेश में रहने वाले सभी रिश्तेदारों, परिचितों को झकझोर दिया। इस हादसे की भयावहता के बाद मंदार के शुभचिंतकों ने एक सकारात्मक पहल करते हुए निर्णय लिया कि अब बस! ने मोर! अब और नहीं! और 24 मार्च 2015 से ही दुर्घटना के स्थान को सुरक्षित बनाने की दिशा में कार्य शुरू कर दिया गया परिवार और मंदार के मित्रों ने 2 अप्रैल 2015 को इस शपथ के साथ मंदार को श्रध्दांजलि दी कि अब उस स्थान पर किसी के साथ ऐसी दुर्घटना नहीं होने देंगे। मिशन के तहत केरवा डेम का पानी खाली कराया गया, पत्थरों से समतल किये जाने के बाद निकास द्वार के पास की मिट्टी हटाई गई साथ ही सुरक्षा गार्ड की नियुक्ति की गई। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के हाथों सुरक्षा के मद्देनजर वहां लगाए मंदार टाॅवर का लोकार्पण 10 जुलाई 2016 को किया गया।
मंदार एंड नो मोर अभियान क्या है
देशभर में जलाशयों में डूबकर जान गवां देने के समाचार आए दिन मिलते हैं। दुर्भाग्य से इन में बच्चों और युवाओं की संख्या ही अधिक होती है। लेकिन जलाशयों की दुर्घटनों को रोकने के लिए भारत में कुछ विशेष नहीं किया जाता। यह अभियान इसी कमी को पूरा करने का एक प्रयास है। समाज, शासन-प्रशासन का इस ओर ध्यान आकर्षित करना, जलाशयों को सुरक्षित बनाने के कार्य में अतिशीघ्र जुटने हेतु प्रोत्साहित करना ताकि अन्य जगहों पर कोई इन हादसों का शिकार न हो।