सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं में हो सुधार
संदीप कुलश्रेष्ठ
समाज के गरीब तबके ही सरकारी स्कूलों में पढ़ने आते हैं, किन्तु वहाँ भी मूलभूत सुविधाएँ नहीं मिल पा रही है। यह स्थिति अत्यन्त गंभीर और शर्मनाक है। राज्य सरकार एक तरफ तो स्कूल चलो अभियान चलाकर सरकारी स्कूलों में प्रवेश पर जोर दे रही है, लेकिन दूसरी ओर सरकारी स्कूलों की हालत अत्यन्त भयावह है। अनेक स्कूल की छत टपक रही है। अनेक प्राथमिक स्कूल एक कमरे में चल रहा है। कहीं दो कमरों में प्राथमिक विद्यालय चल रहा है, तो कहीं वह भी मयस्कर नहीं।
शहरी क्षेत्रों के स्कूलों की हालत भी खराब-
उज्जैन शहर में भी कई स्कूल ऐसे है जो स्कूल भवन की समस्या से जूझ रहे हैं। कई जगह स्कूल परिसर में पानी भर जाता है। उसमें से होते हुए बच्चे स्कूल में प्रवेश करते हैं। उज्जैन के ही जवाहर नगर के प्राथमिक स्कूल का मामला सामने आया है, जो केवल एक कमरे में चल रहा है। यहाँ शौचालय तक नहीं है। बरसात में स्कूल में पानी भरने पर स्कूल की स्वतः छुट्टी हो जाती है। इसी प्रकार मुरलीपुरा के सरकारी प्राथमिक विद्यालय केवल एक कमरे में संचालित हो रहा है। यहाँ 35 बच्चे पढ़ रहे हैं। स्कूल में पीने के पानी की भी सुविधा नहीं है और न ही शौचालय है। सहज ही सोचा जा सकता है कि बच्चे वहाँ पर कैसे पढ़ रहे होंगे ?
ग्रामीण क्षेत्रों में और ज्यादा दयनीय स्थिति -
उज्जैन जिले की बात करें तो उज्जैन के ग्रामीण स्कूलों में हालत अत्यन्त दयनीय है। शहर से सटे ग्रामीण क्षेत्रों में ही सरकारी स्कूलों की स्थिति और भी बद्तर है। प्राथमिक विद्यालय नईखेड़ी में स्कूल भवन की छत टपक रही है। इस कारण बच्चे पढ़ ही नहीं पा रहे हैं। यहाँ 26 बच्चे पढ़ रहे हैं। इस स्कूल में मध्याह्न भोजन बनाने का किचन दयनीय स्थिति में है। यह गिराउ स्थिति में है। इसी प्रकार रातड़िया गाँव में प्राथमिक विद्यालय दो कमरों में लग रहा है। यहाँ 68 बच्चे होने के कारण बरामदे में बच्चों को पढ़ाना पढ़ रहा है। बारिश में पानी आने से पढ़ाई में अत्यन्त कठिनाई होती है। बच्चे कहाँ बैठे ? ये ही समस्या रहती है। यही स्थिति अम्बोदिया, नईखेड़ी आदि के सरकारी स्कूलों की भी है।
सीएम राईज स्कूल -
जिले के सभी विकासखंडों के प्रमुख गाँव में सीएम राइज स्कूल खोले जा रहे हैं। प्रथम चरण में उज्जैन,बड़नगर, घट्टिया, तराना, नागदा-खाचरोद, झारड़ा में सीएम राईज स्कूल बनाए जा रहे है, जो आगामी मार्च माह तक पूरे होंगे। किन्तु अभी जो स्कूल है, उन पर किसी का ध्यान नहीं है। जनप्रतिनिधि भी इस ओर उदासीन है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इस ओर ध्यान दें -
उज्जैन के लिए सौभाग्य की बात है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव उज्जैन के ही है। वे उज्जैन पर काफी ध्यान केन्द्रीत कर भी रहे हैं। यह खुशी की बात है। किन्तु उन्हें उज्जैन जिले के सरकारी स्कूलों की हालत सुधारने पर भी प्राथमिकता से ध्यान देना चाहिए, ताकि नौनिहाल ठीक से सरकारी स्कूलों में पढ़ तो सके। आज के बच्चे ही कल के भविष्य है। इसलिए इन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। आशा है मुख्यमंत्री जी इस ओर ध्यान देंगे।
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