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मौसम के माफिक उमस-बेचैनी और घबराहट है सियासत में... ना काहू से बैर/राघवेंद्र सिंह ( वरिष्ठ पत्रकार )


मौसम के माफिक उमस-बेचैनी और घबराहट है सियासत में...
ना काहू से बैर/राघवेंद्र सिंह
नया इंडिया/भोपाल

सब के सब पसीने पसीने हो रहे हैं।अनिश्चय, आत्ममुग्ध, आत्मकेंद्रित,अति विश्वास, आशंका से ग्रस्त हैं। पता ही नही चल रहा है कि आखिर अब कि राजनीति में खुश कौन हैं...? क्या भाजपा क्या कांग्रेस सब जगह सबकी गति एक जैसी दिख रही है। कहा जा सकता है "भई गति सांप छछुंदर जैसी... " न सत्ता की रसमलाई आनन्द दे रही है और संगठन में सत्तू राहत दे पा रहा है। इस सब के मध्य माफिया अलबत्ता मजे करने के मंसूबे पाल रहा है। अपनी गोटियां जमा कर वह बहुत कुछ मजे करता दिख भी रहा है।  विधानसभा बजट सत्र पश्चात तबादले का उद्योग भी भर पल्ले शुरू होने के आसार है। बिना चांदी की खनक पत्ते हिलेंगे जरूर मगर उनके ट्रांसफर रुकेंगे नही। जो सीन है उसके चलते कलेक्टर-एसपी से लेकर प्रोफेसर, गरीब मास्साब, देव दुर्लभ डाक साब पूरी जमात डरी सहमी सी है। सीएम डॉ मोहन यादव ने इस सम्बंध में नई व्यवस्था के कोई साफ साफ संकेत और निर्देश नही दिए हैं। सत्ता संगठन की टीम घोषित नही हुई है। सत्ता व संगठन के बीच अफसरशाही की तरफ से कौन समन्वय करेगा साफ तौर पर तय नही हो सका है। छह माह पहले सीएम बने डॉ यादव लोकसभा चुनाव के चलते अभी कुर्सी पर ठीक से बैठने की ही कोशिश कर रहे हैं। इसी बीच डॉ यादव सूबे की सभी 29 लोकसभा सीटें जीत मोदी - शाह के मन पर छा गए है। हालांकि इस जीत में संगठन की भी हिस्सेदारी है। लेकिन प्रदेश में यूपी की तर्ज पर माफियाओं के खिलाफ कठोर कार्रवाई दिखनी भी जरूरी है। वरना जीत का रंग उतरते भी देर नही लगती। 
 अभी तो जो खबरें छनकर आ रही है उससे मंत्री मंडल में समन्वय को लेकर भी चुनौती आ रही है। वरिष्ठ नेताओं में शामिल- कैलाश विजयवर्गीय, प्रह्लाद पटेल प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रहे राकेश सिंह, गोविन्द सिंह जैसे मंत्रियों को साध कर सदुपयोग करना भी बड़ा काम होगा। इधर देश व  प्रदेश में अध्यक्ष की भी चर्चाएं चल पड़ी हैं।  अध्यक्ष वीडी शर्मा के साथ सीएम के रिश्ते शिवराज सिंह चौहान की तुलना में बेहतर रहे है। लेकिन नए अध्यक्ष और उनकी नई टीम के साथ सीएम को तालमेल बैठाना होगा। अभी तो सभी उपचुनाव जीतने के लक्ष्य के काम करना होगा। साथ ही सहकारिता के चुनाव भी सामने हैं। अभी चुनाव की तारीखें तो नही आई है लेकिन अनुमान है कि दिसम्बर तक सहकारिता की परीक्षा भी पास करना होगी। इस बीच वरिष्ठ मंत्रीगण और संगठन  के बीच खटपट न हो यह भी ध्यान रखना होगा। विभाग के प्रमुख सचिव/सचिव मनमाफिक न हए तो तकरार व तनाव तय माना जाएगा। आजकल मंत्रियों व उनकी मनमर्ज़ियों को कंट्रोल करने के लिए टेड़े अफसरों की तैनाती भी एक असरदार सियासी नुस्खा रही है। जरूरत के हिसाब से कम ज्यादा सभी सीएम इस्तेमाल करते हैं। 
 यदि सरकार में काबिल अफसरों की अच्छी टीम बनी तो सत्ता व संगठन के लिए मौसम सुहाना होने लगेगा। 
 सीएम यादव के लिए यह टास्क आसान भले ही न हो लेकिन मुश्किल भी नही होगा। राजनीति में कहावत है-  सफल नेता वही है जो गाय-भैंस तो क्या बैल और भैंसे से भी दूध निकाल ले।  लेकिन अभी तो सत्ता की बारिश के  बीच अनिश्चितता की गर्मी, उमस और बैचेनी का माहौल है। आश्वासन के पंखे, वादों के कूलर और शपथ व संकल्प के ए सी भी फेल हो रहे हैं। बढ़ते भ्रष्टाचार, रिश्वत खोरी के उपाय और ऊंची होती डिमांड ने बहते पसीने और घबराहट को कम नही होने दिया है। गुड़ गवर्नेन्स और मोशा की पसंद दांव पर है।


कठिनाई तो कांग्रेस में भी है...
 प्रदेश कांग्रेस में भी नेताओं के मुख पर परेशानी है और शरीर पसीने लथपथ रहे हैं। विधानसभा में नेताप्रतिपक्ष बने आदिवासी विधायक उमंग सिंघार पर भाजपा सरकार पर आक्रमक होने के साथ जिम्मेदार विपक्ष होने की  चुनौती है। राज्य में लोकसभा की 29 सीटें हारने के बाद पार्टी थोड़ी हताशा में रहेगी। इस बीच यदि कांग्रेस विधायक दल एकजुटता के साथ जनहितैषी मुद्दों पर सरकार को घेरने में सफल रहा तो फिर उमंग, उत्साह के साथ भविष्य के नेता बनने की दिशा में बढ़ सकेंगे। इधर भारी लोस में शिकस्त पीसीसी चीफ जीतू पटवारी को लेकर भी परिवर्तन की बात की उछाली जा रही है। मगर कांग्रेस हाईकमान खास तौर से राहुल गांधी की पसंद होने के कारण पटवारी को फिलहाल कोई ख़तरा नजर नही आता। उम्मीद की जा रही है कि उमंग सदन में और पटवारी सड़क पर जनता के मुद्दे उठकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे। दोनो मोर्चों पर कांग्रेस सक्रिय रहती है तो  प्रदेश में बीस बरस बाद विपक्ष को लोग जागता हुआ देंखेंगे। यह सब प्रदेश में प्रतिपक्ष के लिए किसी हसीन मौसम से कम नही होगा। मगर यह ऋतु तब भी बदलेगी जब इसमे वरिष्ठ नेता दिग्विजयसिंह और कमलनाथ की युति होगी। वरना मौसम बदलने वाले बादल बिन बरसे ही गुजर जाएं तो हैरत नही होगी।

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