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जब नींव ही है कमजोर तो ईमारत कैसे बनेगी मजबूत !


डॉ. चन्दर सोनाने
                   मध्यप्रदेश के सभी स्कूलों में प्रवेशोत्सव मनाए जाने के राज्य शासन द्वारा निर्देश दिए गए है। किन्तु, दुःखद है कि प्रदेश में 2,621 स्कूलों में कोई शिक्षक ही पदस्थ नहीं है। इतने सारे स्कूल शिक्षकविहीन हैं। यही नहीं प्रदेश में 8,340 स्कूल सिर्फ एक ही शिक्षक के भरोसे चलाए जा रहे हैं। कल्पना कीजिए, जब नींव ही कमजोर होगी तो ईमारत कैसे मजबूत बन सकेगी ?
              मध्यप्रदेश में फिलहाल 94,039 स्कूल संचालित हैं। उनमें 1 करोड़ 39 लाख 84 हजार से ज्यादा छात्र-छात्राएँ पढ़ाई कर रहे हैं। जिन स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं हैं वो तो भगवान भरोसे है ही, ऐसे स्कूलों में जाने वाले बच्चों का भविष्य भी अंधकारमय है। प्रदेश के जो स्कूल सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे चलाए जा रहे है, वहाँ कल्पना कीजिए कक्षा 1 ली से 5 वीं तक के समस्त कक्षाओं के सभी विषय जब एक ही शिक्षक पढ़ायेगा तो वहाँ पढ़ने वाले बच्चों की नींव कैसे मजबूत हो सकेगी ? 
मध्यप्रदेश के केवल उज्जैन संभाग के ही स्कूलविहीन शिक्षकों की उदाहरण के रूप में चर्चा करें तो उज्जैन संभाग के 7 जिलों में 336 स्कूल बिना शिक्षक के है। इनमें सर्वाधिक 104 स्कूल देवास जिले के हैं। इसी प्रकार उज्जैन जिले में 68, शाजापुर में 46, रतलाम में 36, मंदसौर में 34, आगर मालवा में 27 और नीमच जिले में 21 स्कूल ऐसे हैं, जहाँ स्कूल शुरू होने के बावजूद भी एक भी शिक्षक नहीं है। उज्जैन संभाग जैसे ही हाल प्रदेश के अन्य संभागों में भी है। 
इसी प्रकार उज्जैन संभाग के 7 जिलों में 1091 स्कूल ऐसे है, जहाँ केवल 1 शिक्षक ही है। इनमें सर्वाधिक 259 स्कूल देवास जिले के है। उज्जैन के 246, मंदसौर के 168, रतलाम के 110, आगर मालवा के 106, नीमच के 102 और शाजापुर के 100 स्कूल ऐसे है, जहाँ मात्र 1 शिक्षक पदस्थ है। यही हाल प्रदेश के अन्य संभागों के जिलों का भी है।                हाल ही में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने घोषणा की है कि 1 जुलाई से प्रदेश के सभी 55 जिलों में एक-एक पीएम कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस शुरू किए जायेंगे। यह अच्छी बात है कि जिन कॉलेजों का चयन इस योजना में हुआ है, उनके लिए अतिरिक्त पद और बजट भी दिया जा चुका है। 
यहाँ खास बात यह है कि मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार प्रदेश में प्रत्येक जिले में एक-एक कॉलेज को पीएम कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस के रूप में शुरू किया जा रहा है। वहीं प्रदेश के जिलों में काफी संख्या में ऐसे स्कूल हैं, जहाँ एक भी शिक्षक ही नहीं है। जब इन जैसे स्कूलों से छात्र निकलेंगे तो सहज ही कल्पना की जा सकती है कि उनकी नींव कमजोर ही होगी। तब वहाँ से छात्र कैसे शिक्षित बनकर निकल सकेंगे ?
                 प्रदेश के मुखिया डॉ. मोहन यादव को चाहिए कि वे विशेष अभियान चलाकर एक माह के अंदर जिन स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है, वहाँ पर प्राथमिकता पर कम से कम दो-दो शिक्षक पदस्थ करें। इसी प्रकार प्रदेश के जिन स्कूलों में मात्र एक-एक शिक्षक पदस्थ है, वहाँ कम से कम दो-दो शिक्षकों की नियुक्ति करें, ताकि इन स्कूलों के बच्चों की नींव मजबूत बन सके और वे अपने जीवन की ईमारत को मजबूत बना सके। सभी स्कूलों में उनके स्कूल भवन होना भी जरूरी है। आज भी देश की आजादी के 75 साल हो जाने के बाद भी झोपड़ी में स्कूल लग रहे है। यह प्रदेश और प्रदेशवासियों के लिए दुःखद और शर्मनाक है। इसी के साथ प्रदेश के सभी स्कूलों में मूलभूत आवश्यकताओं की चीजों का बंदोबस्त भी प्राथमिकता से किया जाना चाहिए। जैसे प्रत्येक स्कूल में पर्याप्त टेबल-कुर्सी, शिक्षण सामग्री, स्कूल भवन, पेयजल, शौचालय, मध्याह्न भोजन आदि का बंदोबस्त किया जाना चाहिए। यह सब होगा तभी छात्र स्कूल से शिक्षित और प्रतिभाशाली बनकर निकल सकेंगे।
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