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हर साल इंदौर बना रहा रक्तदान में कीर्तिमान -कीर्ति राणा (वरिष्ठ पत्रकार )इंदौर।


हर साल इंदौर बना रहा 
रक्तदान में कीर्तिमान 
•••अपना ही रिकार्ड तोड़ने का ये जुनून बहुत अच्छा है 
••• थेलेसीमिया पीड़ित बालिका की मौत से प्रेरणा मिली
कीर्ति राणा (वरिष्ठ पत्रकार )इंदौर।

भाजपा नगर अध्यक्ष रहते संतोष वर्मा ने शहर और संगठन में अपनी पहचान बनाई थी। पिता की पहचान को जिंदा रखने के लिए उनके पुत्र मोहित वर्मा थेलेसीमिया पीड़ित बच्चों के लिए रक्त की मदद से समाजसेवा के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना रहे हैं। संभवत: पूरे देश में इंदौर ऐसा शहर बन चुका है जहां पिछले वर्ष बने कीर्तिमान को ध्वस्त कर नया कीर्तिमान बनाया जाता है। 

विकास प्राधिकरण के पूर्व उपाध्यक्ष मोहित वर्मा ने इस वर्ष सतत 40 घंटे का रक्तदान शिविर शनिवार की सुबह 8 बजे प्रारंभ किया था, जिसका समापन आज रविवार की रात 12 बजे होगा।बीते साल मोहित ने 36 घंटे का रक्तदान शिविर आयोजित किया था जिसमें सभी वर्गों के रक्त वीरों ने 1008 यूनिट रक्त दान किया था। पिछले साल के कीर्तिमान से आगे जाने के लिए इस बार 1500 यूनिट रक्त 40 घंटे में जुटाने का संकल्प है।खबर लिखे जाने तक 600 यूनिट रक्त जुटाया जा चुका है। महापौर पुष्यमित्र भार्गव सहित अन्य नेता भी मोहित की इस पहल की सराहना और ब्लड डोनर्स का हौंसला बढ़ाने के लिए शिविर स्थल पर पहुंच चुके हैं। 

भोलापाम उस्ताद मार्ग पर जहां शिविर लगा है उसके मुख्य द्वार पर आर्केस्ट्रा और सुमधुर गीतों से एक पल को अहसास होता है कि कोई शादी पार्टी का आयोजन है लेकिन अंदर लगे बेड्स पर ब्लड डोनेशन करते लोगों को देख कर बाकी लोग भी रक्तदान को प्रेरित हो जाते हैं।इस क्षेत्र में सर्वाधिक होस्टल हैं और वहां रहने वाले स्टूडेंटस इस शिविर में बढ़ चढकर शामिल होते हैं। कॉलोनियों की महिलाएं भी ग्रुप में रक्त देने आती हैं। कई डोनर्स ऐसे हैं जो पहली बार ब्लड डोनेट कर रहे हैं।तेरापंथ युवक परिषद के सहयोग से हर साल आयोजित होने वाले इस शिविर में डोनर्स को सर्टिफिकेट, ज्यूस के साथ वॉटर बॉटल की गिफ्ट देने का उद्देश्य यही रहता है कि लोग अन्य लोगों को भी प्रेरित करें। 

♦️थेलेसीमिया पीड़ित बालिका की मौत बनी प्रेरणा 
रक्तदान शिविर आयोजक मोहित वर्मा ने बताया तीन साल पहले एक अस्पताल में जब थेलेसीमिया पीड़ित एक बालिका के अभिभावक उसके लिए रक्त की तुरंत व्यवस्था नहीं कर पाए और उस बालिका की मेरी आंखों के सामने ही मौत हो गई तो मन द्रवित हो गया कि उसकी जान नहीं बचा पाए।बस उसी दौरान सोचा कि अपने स्तर पर ऐसे प्रयास तो कर ही सकते हैं कि रक्त के अभाव में किसी मरीज की मौत ना हो। बस इसी उद्देश्य से ब्लड डोनेशन कैंप की शुरुआत कर दी। शिविर के दौरान जितना भी रक्त एकत्र होता है एमवायएच और रेडक्रॉस समिति को सौंप देते हैं। इन दोनों के साथ जिला प्रशासन का शिविर को निरंतर सहयोग मिलता रहा है। 

♦️लोगों की धारणा भी दूर हुई 
पहली पार ब्लड डोनेट करने आए कई लोग डोनेट करने से घबराते भी हैं जब हम उन्हें बताते हैं कि गाड़ी की तरह शरीर की भी ओवरआयलिंग ब्लड डोनेट करने से हो जाती है।शिविर में सहयोग करने वाले डॉक्टर भी जब उन्हें रक्तदान के फायदे बताते हैं तो उनकी गलतफहमी दूर हो जाती है।मोहित वर्मा ने कहा कई लोगों को लगता था कि पांच-पच्चीस लोग शामिल होते हैं लेकिन जब उन्हें पता चलता है कि भारत में इंदौर ही ऐसा शहर है जहां सतत 36, 40 घंटे रक्तदान होता है तो उन्हें गर्व महसूस होता है। 

♦️140 बार रक्तदान करने वाले भी 
शिविर की व्यवस्था में करीब 50 युवा लगे हुए हैं। ये सब भी रक्तदान करते रहते हैं किसी ने एक बार, दस, पच्चीस तो कोई 140 बार तक (हर तीन महीने में) रक्तदान कर चुका है।इस वार्षिक शिविर के साथ ही पूरे साल ब्लड डोनेशन की गतिविधि चलती रहती है।सौ सदस्य विभिन्न वॉटसएप ग्रुप से जुड़े हैं, थेलेसीमिया पीड़ित जिस भी बच्चे के परिजनों को ब्लड की जरूरत होती है इन ग्रुप पर सूचना मिलते ही हमारे संबंधित ब्लड ग्रुप वाले सदस्य रक्तदान करने पहुंच जाते हैं।

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