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चटपटे-करारे चुनावी चटखारे कीर्ति राणा (वरिष्ठ पत्रकार )


चटपटे-करारे चुनावी चटखारे

कीर्ति राणा (वरिष्ठ पत्रकार )/89897-89896

 

बांसवाड़ा में ‘बाप’ रे बाप….!

राजस्थान की आदिवासी बहुल डूंगरपुर-बांसवाड़ा लोकसभा सीट मप्र की सीमा से लगी हुई है।इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी तीसरे क्रम पर है।मुख्य मुकाबला भाजपा और बाप (भारतीय आदिवासी पार्टी) के बीच है।विधानसभा चुनाव में तीन सीटों पर जीत दर्ज कर बाप राजस्थान में तीसरे दल की ताकत दिखा चुकी है।डूंगरपुर से राजकुमार रोत, आसपुर से उमेश डामोर और धरियावद (प्रतापगढ़) से थावरचंद विधायक हैं।

ऊंट पर सवार होकर बाप के प्रत्याशी-विधायक राजकुमार रोत नामांकन दाखिल कर आए हैं। सोशल मीडिया पर वॉयरल वीडियो में इस रैली में उमड़े अपार जनसमूह ने भाजपा और कांग्रेस की नींद उड़ा दी है।भाजपा के प्रत्याशी हैं महेंद्र जीत सिंह।कांग्रेस और बाप के बीच सीट को लेकर समझौता नहीं होने से कांग्रेस की हालत अभी से खराब नजर आ रही है।कांग्रेस ने इस सीट से पहले विधायक अर्जुन बामनिया का नाम फायनल किया था, उन्होंने पर्चा ही नहीं भरा।अब कांग्रेस ने अरविंद डामोर को प्रत्याशी घोषित किया है। 

 

राग मनरेगा कुछ तो मन बदलेगा

यह भी संयोग ही है कि चुनाव से ठीक पहले केंद्र सरकार ने मनरेगा में मजदूरी दर में 28 रु प्रतिदिन की वृद्धि का फैसला लिया और इसे एक अप्रैल से लागू भी कर दिया है।चूंकि आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू है, इसलिए मंत्रालय ने वेतन वृद्धि को अधिसूचित करने से पहले भारत निर्वाचन आयोग की मंजूरी भी ले ली है।विपक्ष को यह आरोप लगाने का भी अधिकार नहीं कि सरकार वोटरों को लुभा रही है। भाजपा सरकार गठन में जब मप्र में लाड़ली बहना योजना सहाययक हो सकती है तो मनरेगा राशि में वृद्धि से मन क्यों नहीं बदलेगा।

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा मनरेगा में अकुशल श्रमिकों को पहले 261 रु प्रतिदिन मिलते थे अब 289 रु मिलने लगेंगे।28 रुपये प्रति दिन की वृद्धि अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग है।उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में 3 फीसदी, गोवा में 10.56 फीसदी, कर्नाटक में 10.4 फीसदी, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में 10.29 फीसदी और मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 9.55 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है।

सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे ज़्यादा मजदूरी दर हरियाणा में है जहां अकुशल श्रमिकों के लिए प्रति दिन 374 रुपये की मजदूरी दर निर्धारित की गई है।हरियाणा  के बाद सबसे ज़्यादा मजदूरी दर गोवा में 356 रुपये प्रति दिन निर्धारित की गयी है।अकुशल श्रमिकों के लिए सबसे कम मजदूरी दर, अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड में 234 रुपये प्रति दिन है।

रंग बदलते गौरव’

कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने भाजपा का गौरव बढ़ा दिया है। उनकी कांग्रेस से यह नाराजी है कि वह सनातन विरोधी क्यों है, विरोध के ऐसे नारे क्यों लगाती है। राष्ट्रीय अध्यक्ष खरगे को लिखे पत्र में राहुल गांधी का जिक्र तो नहीं किया लेकिन यह जरूर लिखा है कि जिन औद्योगिक घरानों के कारण देश की विश्व में साख मजबूत हो रही है उन उद्योगपतियों के खिलाफ वो नहीं बोल सकते।

भाजपा ज्वाइन करने के बाद बोल रहे हैं मेरा शुरू से यह दृष्टिकोण रहा है कि भगवान श्री राम का मंदिर बने, न्योता मिले और कांग्रेस ने न्योते को अस्वीकार कर दिया, मैं इसे स्वीकार नहीं कर सकता।गठबंधन के नेताओं ने सनातन पर प्रश्न उठाए, कांग्रेस द्वारा उसका जवाब क्यों नहीं दिया गया? मैं आज भाजपा में शामिल हुआ और मुझे उम्मीद है कि मैं अपनी योग्यता, ज्ञान का प्रयोग भारत को आगे ले जाने में करूंगा।

कांग्रेस प्रवक्ता रहते वो कहते रहे थे भ्रष्टाचारी देश का पैसा लूट कर विदेश भाग गए और भ्रष्टाचार के जो भी आरोपी देश में बचे हैं, वे भाजपा के 'वॉशिंग पाउडर' में धुल कर संस्कारी बन रहे हैं।लेकिन, याद रखना ये राहुल गांधी जी हैं।ना झुके थे, ना झुके हैं और ना झुकेंगे।

 

भार्गव पर भारी पड़े शिवराज

भाजपा नेततृत्व ने पिछले लोकसभा चुनाव में भारी मतों से जीतने वाले सांसदों में से जिन 20 के टिकट काटे हैं उनमें विदिशा के सांसद रमाकांत भार्गव तब देश में 16वें नंबर पर सर्वाधिक मतों से जीते थे।उस सफलता के बाद अब उन्हें पूर्व सीएम शिवराज सिंह के कारण (न चाहते हुए भी) त्याग करना पड़ा है।कहां तो पहली सूची में शिवराज का नाम नहीं था, कैलाश विजयवर्गीय तो उन्हें छिंदवाड़ा से लड़ाने के पक्ष में थे।शिवराज सिंह के लिए विदिशा से लड़ना ठंडी हवा के झोके समान ही है।ये उनका पुराना क्षेत्र तो है ही लोग भी उन्हें केंद्रीय मंत्री बनते देखना चाहते हैं।

शिवराज यहां से पांच बार सांसद रहे हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के प्रतापभानु शर्मा से है जो दो बार सांसद रह चुके हैं।

 

सुबह होते ही भाजपा की रिंग में….!

दक्षिण दिल्ली से भले ही पिछली बार बॉक्सर विजेंदर चुनाव नहीं जीत पाए लेकिन कांग्रेस ने लड़ाया तो था।कांग्रेस नेतृत्व इस बार उन्हें मथुरा में अभिनेत्री हेमामालिनी के सामने उतारने का मन बना चुका था। नेताओं को यह पता ही नहीं चला कि विजेंदर के मन में क्या है।कांग्रेस नेता की पहचान लेकर रात में सोए विजेंदर सुबह उठे तो उन्हें याद आया कि अरे…! मैं तो गलत जगह हूं।बस आत्मा की आवाज का ऐसा असर हुआ कि भाजपा की रिंग में पहुंच गए।तुरतफुरत मन बदल कर भाजपा में आने वालों के लिए नेतृत्व वैसे भी मेहरबान ही है।विजेंदर को भी कहीं से मौका मिलना तय है, परेशानी तो कांग्रेस के लिये है कि रातोंरात मनबदल की यह रस्म चलती रही तो कहां से इंतजाम करेंगे प्रत्याशियों का।

 

खाने की पूरी थाली तो आना बाकी है…

लोकसभा चुनाव में प्रचार का जोर धीरे-धीरे जोर पकड़ने लगा है।आमसभा करने वाले बड़े नेताओं में वहीं नेता सफल हो रहा है जो लच्छेदार भाषण से लोगों को सम्मोहित करने की कला जानता हो, यह बात अलग है कि चुनावी मंचों से कही गई बात बाद में भी याद रहे या नहीं।जहां तक लोगों को प्रभावित करने, आम जनमानस को अपने साथ जोड़ने का सवाल है तो फिलहाल वक्तृत्व कला में प्रधानमंत्री मोदी जैसा माहिर अन्य कोई नेता नहीं है।

अभी चुरु से उन्होंने राजस्थान में चुनाव प्रचार शुरु किया।खाऊंगा न खाने दूंगा जैसी पंच लाईन देने वाले प्रधानमंत्री मोदी ने यहां अपने भाषण में अपने दस साल के कार्यकाल में जनहित के कार्यों वाली सरकार की उपलब्धियों को एपेटाइजर बता दिया।मोदी बोले कि बड़ी होटलों में भोजन से पहले जो सूप आदि परोसा जाता है वो इसलिए कि आप की भूख बढ़ जाए, तो सरकार ने इन दस सालों में आप के हित में जो कुछ किया वो एपेटाइजर है, खाने की थाली तो अभी आना बाकी है।इस रोचक भाषण में प्रधानमंत्री यह कहना भी नहीं भूले कि 400 पार का मेरा संकल्प 4 जून को आप की बदौलत ही पूरा हो सकेगा।

 

ईवीएम/वीवीपेट अगली सुनवाई 17 मई को

चुनाव में सभी ईवीएम के वोटों की गिनती की वीवीपैटसे मिलान करने वाली मांग संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में एक अप्रैल को प्रारंभिक सुनवाई हो चुकी है।न्यायमूर्ति बीआर गवई और संदीप मेहता की डबल बैंच ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को दिए नोटिस के बाद 17 मई को होने वाली सुनवाई में जवाब पेश करने को कहा है।ईवीएम को लेकर उठ रहे सवालों से चुनाव आयोग की साख पर भी सवाल उठते रहे हैं।

दायर की गई याचिका में कहा गया है कि सभी मशीनों के प्राप्त वोटों का वीवीपैट से मिलान किया जाना चाहिए। अभी सिर्फ पांच आवीएम का ही मिलान होता है।बार बार मांग करने पर यही कहा जाता है कि सेंपल सर्वे की तर्ज पर किन्हीं भी पांच ईवीएम के वोटों का मिलान वीवीपैट से कराते हैं।

बसपा सुप्रीमो के भतीजे का अनुरोघ

बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया है।वो चुनावी रैलियों को भी संबोधित करने लगे हैं।उनकी सक्रियता का इससे भी अंदाज लगाया जा सकता है कि बसपा की वेबसाइट को भी उन्होंने नया लुक दे दिया है।यही नहीं पार्टी कार्यकर्ताओं को मैसेज भी कर रहे हैं कि पार्टी की वेबसाइट के नये लुक को जरूर देखें।

जीजी लड़ेंगी या जीजाजी

रायबरेली में भाजपा की स्मृति इरानी का लड़ना तो तय हो गया है। कांग्रेस से कौन? कार्यकर्ता उत्सुक हैं कि जीजी लड़ेंगी या जीजाजी? जिन राबर्ट वाड्रा पर भाजपा हमलावर रही है, उनकी तमन्ना है कि रायबरेली से चुनाव लड़ें।वहीं प्रियंका भी रायबरेली से लड़ने का मन बना रही है।स्मृति और प्रियंका के बीच मुकाबला रोचक हो सकता है, जबकि कांग्रेस ने वाड्रा को लड़ाया तो भाजपा ताकतवर साबित हो सकती है।पिछले चुनाव में वायनाड (केरल) के साथ ही गांधी खानदान की इस परंपरागत सीट से भी  राहुल ने चुनाव लड़ा था।यहां से वो हार गए थे, वायनाड से जीते थे, इस बार भी वो वायनाड से ही लड़ रहे हैं।

ये दो अनमोल रतन किस के?

महू से विधायक उषा ठाकुर के लिए यह सुकून के पल ही हैं कि विधानसभा चुनाव में टक्कर देने वाले अंतर सिंह दरबार के बाद राम किशोर शुक्ला ने भी भाजपा ज्वाइन कर ली है।फर्क यही है कि पूर्व विधायक दरबार कट्टर कांग्रेसी रहे हैं। शुक्ला भाजपा में गए, फिर कांग्रेस में आए, विधानसभा चुनाव हारने के बाद फिर भाजपा के हो गए हैं।पता नहीं अब वो गाना कौन गुनगुनाएगा ‘मेरे दो अनमोल रतन..’ क्यों कि दरबार को मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और शुक्ला को उषा ठाकुर भाजपा में लेकर आए हैं।

ये तो गलत है

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा जनहित में जारी एक विज्ञापन से भाजपा का तिलमिलाना स्वाभाविक ही है।विभिन्न दलों के भ्रष्टाचरी नेताओं को गले लगाना, उनके घपले-घोटाले भुला देना की बात मंचों से कहना तो फिर भी चल सकता है क्योंकि चुनावी वादे, आरोप-प्रत्यारोप वैसे भी ज्यादा समय याद नहीं रहते। कांग्रेस ने तो वॉशिंग मशीन से दागविहीन होकर निकलते ही दिखा दिया, ये तो सरासर गलत है।

फर्क रहता है इंतजार, इंतजार में भी

आज जिस तरह बाकी दलों के नेता-कार्यकर्ता भाजपा में गोता लगाने को बैचेन है किसी से छुपा नहीं है लेकिन भाजपा इन्हें इंतजार करने के लिए कहने से भी नहीं हिचकती।दूसरी तरफ पूर्व मंत्री-कांग्रेस नेता दीपक सक्सेना का मामला कुछ अलग है।यह तो तय माना जा रहा था कि बेटे के बाद वोभी भाजपा ज्वाइन कर लेंगे।ऐसा पहली बार हुआ जब सीएम सहित भाजपा के तमाम बड़े नेता इंतजार करते रहे कि दीपक आएं तो ज्वाइन कराए।दोपहर से शाम हो गई भोपाल पहुंचने में, नेताओं ने औपचारिक स्वागत तो कर दिया लेकिन धूमधड़ाके वाला प्रवेश अगले दिन ही हो पाया।

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