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महापौर को महाराज ने कड़वी दवा पिलाई, मंत्री ने पीठ थपथपाई -कीर्ति राणा (वरिष्ठ पत्रकार)


इंदौर।कड़वी दवाई बच्चे तो क्या बड़ों को भी अच्छी नहीं लगती लेकिन रवींद्र नाट्यगृह में बीती शाम जब अण्णा महाराज भी कड़वी दवाई पिला रहे थे तब महापौर पुष्यमित्र भार्गव सहित हॉल में बैठे सभी लोगों को इसका स्वाद मीठा लग रहा था। मंच पर जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने महाराज के इस कटाक्ष को वन्दे जलम अभियान को मिला आशीर्वाद बताया।यही नहीं देश में इस तरह का अनूठा अभियान शुरु करने के लिए महापौर की पीठ थपथपाते हुए कहा इंदौर में घटते भूजल स्तर की चिंता तो सभी कर रहे हैं लेकिन महापौर ने इस चिंता से कैसे मुक्ति पाएं इसका चिंतन भी किया है।जिस तरह इंदौर स्वच्छता में सतत नंबर वन रहा है वैसे ही यह अभियान भी देश के अन्य राज्यों को जल संचय की प्रेरणा देगा।

अण्णा महाराज ने इस अभियान की सफलता के लिए आशीर्वाद देने के साथ ही महापौर को याद दिलाया कि निगमायुक्त प्रतिभा पाल के वक्त 23 अप्रैल 22 को ऐसे ही अभियान में डॉ निशांत खरे ने समझाया था पानी नहीं बचाया तो क्या हालात होंगे। बाद में विश्व जल दिवस पर हम सब ने शपथ भी ली थी।दो साल में कितनी मॉनिटरिंग हुई? वॉटर हार्वेस्टिंग लगाने के बाद मेंटेन भी करते रहे या नहीं, या बस लगा के छोड़ देना आदत बन गई है। बेलेश्वर बावड़ी हादसा हुआ तो कुछ दिन बावड़ियों पर अभियान चला।हम हादसों पर जागते तो हैं लेकिन कुछ दिन बाद भूल जाते हैं।तालाबों के संरक्षण के लिए व्यक्तिगत स्तर पर पहल जरूरी है।मेरे ये कटाक्ष अच्छे नहीं लग रहे होंगे लेकिन यह जरूरी है ताकि हमें यह भी तो याद रहे कि पहले हमने जो कदम उठाए उसका नतीजा क्या रहा।

जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने अपनी बात शुरु करते हुए अण्णा महाराज के कटाक्ष को अभियान की सफलता के लिए समूचे संत समाज से मिला आशीर्वाद बताया।सिलावट ने वन्दे जलम अभियान को सराहनीय पहल बताते हुए कहा महापौर ने इंदौर की चिंता के साथ वन्दे जलम के जरिये चिंतन की बात भी की है।शहर हित में वो यह पवित्र काम करने जा रहे हैं।पांच तत्वों से बने शरीर में जल महत्वपूर्ण है। जितनी आवश्यकता हो उतने जल का उपयोग करें। हमारे साथ संत जुड़ जाएं तो महाअभियान सफल होना ही है।उन्होंने कहा मुख्यमंत्री डॉ यादव से मैं भी अनुरोध करुंगा कि तालाब, बावड़ी, नदियों को अतिक्रमण मुक्त करने के साथ ही जल स्तर बढ़ाने की दिशा में पहल करें।

इस अभियान की जानकारी देते हुए महापौर ने कहा महंगे पानी की फिजूलखर्ची को रोकना हर व्यक्ति अपना दायित्व समझे।नगर निगम का
सर्वाधिक 450 करोड़ सालाना खर्च नर्मदा का पानी लाने पर होता है।अब चौथा चरण बेहद जरूरी हो गया है। जलसंकट के ये आंकड़े जब सामने आए कि मप्र के जिन 21 शहरों में अंडरग्राउंड वॉटर कम हो रहा है और उन शहरों में इंदौर, रतलाम भी हैं तभी से हमने चिंतन करना शुरु कर दिया था। बेंगलुरु में पेयजल की भयावहता को देखने के बाद वन्ददे जलम अभियान अनिर्वाय हो गया।इसकी सफलता का किसी व्यक्ति, किसी दल को नहीं पूरे शहर को लाभ मिलेगा और स्वच्छता सर्वेक्षण की तरह यह अभियान भी पूरे देश के लिए प्रेरणा बनेगा।

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