दीपावली पर सोमवती अमावस्या का संयोग
दीपावली का पर्व सबसे पहले सुबह राजा महाकाल के आंगन में तो शाम को प्रजा अपने घरों पर मनाएगी। 12 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 37 मिनट पर अमावस्या तिथि शुरू हो जाएगी जो 13 नवंबर को सांय 4 बजे तक रहेगी। इसी कारण रविवार की संध्या को दीपावली पर्व मनाते हुए मां लक्ष्मी का पूजन किया जाएगा।
10 नवंबर को धनतेरस पर परंपरा अनुसार दीपावली का पर्व शुरू होगा तो 15 नवंबर को भाई दूज पर इसका समापन होगा। इसके बीच एक दिन सोमवती अमावस्या का पर्व भी रहेगा। दीपावली के साथ सोमवती अमावस्या का विशेष संयोग रहेगा। इस दिन शिप्रा नदी में लोग स्नान व दान, पुण्य के लिए उमड़ेंगे।
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया कि इस बार 12 नवंबर को दोपहर में अमावस्या तिथि लगेगी। दीपावली का पूजन प्रदोष काल का माना गया है। रविवार को प्रदोष काल में अमावस्या विद्यमान रहेगी। शास्त्रीय अभिमत यह भी है कि जब सूर्य और चंद्रमा तुला राशि में होते है तो दीपावली के प्रदोष काल की पूजा महत्वपूर्ण मानी गई है। शाम 5:40 से वृषभ लग्र का भी क्रम रहेगा। चौघड़िया भी अच्छा रहेगा। यह क्रम 5:40 से लेकर 8:22 तक का विशेष रूप से रहेगा। रात्रि में स्थिर लग्र में पूजा की जा सकेगी। पौराणिक गणना के अनुसार प्रदोष काल या स्थिर लग्र में जब महालक्ष्मी की पूजा की जाती है तो चिर स्थाई समृद्धि का योग बनता है। माँ लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। अष्ठविद या दशविद लक्ष्मी की कृपा से आशीर्वाद प्राप्ति के माध्यम से परिवार में सुख, शांति, व्यापार में वृद्धि होती है।