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RBI ने घटाई रिजर्व रेपो रेट, क्‍या होता है इसका मतलब



कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में सरकार का साथ देते हुए RBI ने शुक्रवार को कई बड़े ऐलान किए। इसमें सबसे अहम रहा रिवर्स रेपो रेट का घटाया जाना। रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया, लेकिन RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने ऐलान किया कि Reverse Repo Rate में 25 बेसिस पॉइंट की कमी की गई है। अब Reverse Repo Rate घटकर 3.75 फीसदी रह गई है। इसका असर यह होगा कि बैंकों का जो पैसा RBI में जमा है, उस पर उन्हें कम ब्याज मिलेगा। इस तरह Reverse Repo Rat घटाए जाने का आम आदमी से सीधा कोई संबंध नहीं है। Reverse Repo Rate बाजारों में नकदी की तरलता यानी लिक्विडिटी को कंट्रोल करने में काम आती है। RBI को बाजार में जब भी ज्यादा नकदी दिखाई देती है, वह रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, ताकि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपना पैसा उसके पास जमा करा दे।

जानिए रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट का फर्क
रेपो रेट ब्याज की वह दर होती है जिस पर बैंकों को RBI से कर्ज मिलता है। बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को अग-अलग तरह के लोन (होम लोन, व्हीकल लोन, पर्सनल लोन) देते हैं। जब भी रेपो रेट कम की जाती है तो इसका मतलब होता है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे।

दूसरी और जैसा Reverse Repo Rate के नाम से ही स्पष्ट है, यह रेपो रेट का उलट होता है। यानी ब्याज की वह दर जिस पर बैंकों को उनकी ओर से RBI में जमा धन पर ब्याज मिलता है।

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