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कलेक्टर द्वारा विभिन्न आवेदनों पर जनसुनवाई की गई


 

उज्जैन | मंगलवार को बृहस्पति भवन में कलेक्टर श्री शशांक मिश्र, प्रभारी सीईओ जिला पंचायत श्री क्षितिज सिंघल, एडीएम डॉ.आरपी तिवारी और अपर कलेक्टर श्रीमती बिदिशा मुखर्जी द्वारा विभिन्न आवेदनों पर जनसुनवाई की गई।

   ग्राम बोलखेड़ानाऊ तहसील झारड़ा निवासी सीताबाई पति नागूजी ने आवेदन दिया कि उन्हें वर्ष 2002 में शासन के द्वारा 0.75 हेक्टेयर कृषि भूमि पट्टे पर प्रदाय की गई थी, जिस पर उनके द्वारा उसी समय से निरन्तर काश्तकारी की जा रही है। राजस्व रिकार्ड में बतौर भूमिस्वामी उनका नाम आज दिनांक तक दर्ज नहीं किया गया है। इस पर तहसीलदार महिदपुर को नियमानुसार कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये।

   एकता नगर निवासी ललिता यादव पति नारायण ने आवेदन दिया कि उनके पति इन्दौर में मजदूरी का कार्य करते थे। दो वर्ष पहले पति की मृत्यु हो चुकी है तथा वर्तमान में उनके घर में कमाने वाला कोई नहीं है। इस वजह से उन्हें परिवार के भरण-पोषण में बहुत समस्या आ रही है। अत: उन्हें शासन द्वारा आर्थिक सहायता और विधवा पेंशन मुहैया कराई जाये। इस पर एसडीएम उज्जैन को कार्यवाही करने के लिये कहा गया।

   आगर रोड निवासी प्रवीण पाटिल पिता वासुदेव पाटिल द्वारा आवेदन दिया गया कि कुछ समय पहले उनका जाति प्रमाण-पत्र बिना किसी ठोस कारण के निरस्त कर दिया गया है, जबकि उनके द्वारा सभी आवश्यक दस्तावेज संलग्न किये गये थे। अत: इस सम्बन्ध में उचित कार्यवाही की जाये। इस पर एसडीएम उज्जैन को कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये।

   चांदमुख निवासी सिद्धनाथ पिता पूरालाल ने आवेदन दिया कि कुछ समय से उनके यहां बिजली का बिल अत्यधिक आ रहा है, जबकि प्रार्थी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं और उनके एक कमरे के मकान में बिजली की अत्यधिक खपत भी नहीं हो रही है। इस पर एमपीईबी के अधिकारी को जांच करने के निर्देश दिये गये।
   बिरलाग्राम नागदा निवासी कमलेश परमार पिता मदनलाल परमार ने आवेदन दिया कि नागदा के बिरलाग्राम में एक स्थानीय वार्ड को नागदा में स्थित एक निजी कंपनी द्वारा गोद लिया गया था, परन्तु वार्ड के निवासियों को पेयजल, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार सम्बन्धी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई जा रही हैं। इस पर जीएम डीआईसी को आवश्यक कार्यवाही करने के लिये कहा गया।

   ग्राम जयवंतपुर निवासी अन्तरसिंह पिता चैनाजी ने आवेदन दिया कि वे पीएचई के उंडासा प्लांट में वर्ष 1992 से लगातार सात वर्ष तक कार्यरत थे। विभाग द्वारा मौखिक आदेश देकर उन्हें कार्य से हटा दिया गया था। इसके बाद आवेदक ने श्रम न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिस पर न्यायालय द्वारा उनके पक्ष में आदेश पारित किया गया था, परन्तु आज दिनांक तक उन्हें पुन: कार्य पर नहीं रखा गया है। इस पर कार्यपालन यंत्री पीएचई को मामले की जांच कर उचित कार्यवाही करने के लिये कहा गया। इसी प्रकार अन्य मामलों में जनसुनवाई की गई।

 

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