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"30 जनवरी विश्व कुष्ठ उन्मूलन दिवस मनाया जाएगा"


उज्जैन- मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.अशोक कुमार पटेल द्वारा जानकारी देते हुवे बताया कि प्रतिवर्ष दिनांक 30 जनवरी को विश्व कुष्ठ उन्मूलन दिवस मनाया जाता है। कोई व्यक्ति जब शारीरिक रूप से कमजोर हो, उचित पोषण आहार प्राप्त न कर पा रहा हो, तो ऐसी कुष्ट रोग शरीर में बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम होने पर हो सकता है। यह एक रोगाणु जनित रोग है। प्रायः रोगी की चमड़ी पर फिका हल्का, पीला, लाल बदरंग दाग, धब्बा है जिसमें सुन्नपन भी हो और खुजली न होती हो, चमड़ी पर तैलिया तामीयां या चमक, कानों में सूजन, दाने या गांठे, हाथ-पांव में सुन्नपन। कुष्ट रोग किसी पाप का फल नहीं है न कोई दैवीय प्रकोप है यह एक छूत की भी बीमारी भी नहीं है, रोगी के साथ रहने या छूने से यह रोग नहीं लगता है, भोजन, पानी, तालाब द्वारा यह रोग नहीं होता है। यह रोग वंशानुगत भी नहीं हैं, कुष्ट रोग को परिवार से अलग नहीं रखा जावे। यह एक साधारण रोग है जो सूक्ष्म जीवाणुओं से होता है, इसका पूर्ण इलाज संभव है। कुष्ठ रोग के लक्षण चमड़ी पर फीके, पीले, गुलाबी, समतल या उभरे दाग-धब्बें जिनमें सुन्न पन हो, खुजली न होती हो, गर्म या ठण्डी चीज का स्पर्श, चुभन का अनुभव न होता हो, तंत्रिकाओं में मोटापन, सुजापन हो, हाथ-पैरों मे सुन्नपन या सुखापन हो तो यह कुष्ठ के संभावित लक्षण हो सकते है। उपचार - यह बहु औषधि (एम.डी.टी.) उपचार के नियमित उपयोग से यह रोग ठीक हो जाता है, इसका उपचार निःशुल्क उपलब्ध है। कुष्ठ एक रोग है, जिसका उपचार हो जाता है।कुष्ठ रोग रोगाणुओं के कारण होने वाली बीमारी है, किसी के साथ खान-पान से नहीं होता है।यह रोग छुत की बीमारी नहीं है, यह रोग जन्म से नहीं होता है और न ही पीड़ी दर पीड़ी होता है।कुष्ठ बस एक रोग है, जिसका पूरा ईलाज /उपचार होता है।

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