काशी-महाकाल एक्सप्रेसः 9 कोच में 422 यात्री
उज्जैन । काशी-महाकाल एक्सप्रेस सफर के पहले दिन जब प्लेटफार्म पर पहुंची तो वहां उपस्थित लोगों ने गर्मजोशी से इसका स्वागत किया। इंदौर से वाराणसी जा रही ट्रेन के पहले सफर में 9 कोच में 422 यात्री सफर कर रहे थे। ट्रेन में भजन मंडली के भजनों का लोग जमकर आनंद ले रहे थे। इससे ट्रेन का वातावरण भी शिवमय हो गया। यात्रियों को लंच में दाल-चावल, पराठे, पनीर की सब्जी, गोभी-आलू की सूखी सब्जी, दही परोसा गया था।
आईआरसीटीसी ने पेंट्री कोच के समीप बनारसी साड़ी का स्टॉल भी लगवाया है। अंगीका हथकरघा विकास उद्योग सहकारी समिति लिमिटेड की ओर से स्टॉल लगा है। इसके संचालनकर्ता जगन्नाथ ने बताया कि स्टॉल पर 12 हजार रुपए से लेकर डेढ़ लाख रुपए कीमत की बनारसी साड़ी मौजूद थे। डेढ़ लाख रुपए कीमत की साड़ी में सोने व चांदी के तारों से काम किया गया है। इस साड़ी को बनाने में डेढ़ माह का समय लगता है।
पेंट्री में लगाई भगवान की तस्वीर
21यूजेजे 11- पेंट्री में रखी भगवान की तस्वीर।
ट्रेन के ट्रायल रन के दौरान एक सीट भगवान शिव के लिए आरक्षित की गई थी। अब आईआरसीटीसी ने सीट से भगवान को हटाकर ट्रेन की पेंट्री में विरारिज कर दिया है। पेंट्री में लक्ष्मी-गणपति तथा भगवान शिव की तस्वीर लगाई गई है। इसके कर्मचारी ट्रेन में सवार होने के साथ ही बाबा महाकाल व काशी विश्वनाथ का जयकारा लगाने के बाद ही काम शुरू करते हैं।
पत्थर फेंक फोड़े ट्रेन के कांच
वाराणसी से ट्रेन गुरुवार को इंदौर के लिए रवाना हुई थी। इस दौरान लखनऊ से कानपुर के बीच अज्ञात बदमाशों ने ट्रेन पर पथराव किया था। इससे कोच बी-2 की खिड़की का कांच फूट गया था। ट्रेन के इंदौर पहुंचने पर वहां फूटे कांच पर सेलो टेप लगाई गई। इसके बाद ही ट्रेन को रवाना किया गया। जानकारी देते हुए डीआरएम विनित गुप्ता के अनुसार शरारती तत्वी के फेंके पत्थर से कांच फूट गया था।
पेंट्री कर्मचारियों ने पहने धोती-कुर्ता व पगड़ी
ट्रेन में यात्रियों को चाय-नाश्ता व खाना परोसने वाले पेंट्री कर्मचारियों ने आकर्षक ड्रेस पहन रखी थी। कर्मचारियों ने पीला कुर्ता, लाल धोती व मालवी पगड़ी पहन रखी थी। हालांकि आईआरसीटीसी के अधिकारियों का कहना है कि शुरुआती दौर में कर्मचारियों को यह ड्रेस पहनाई गई है। जल्द ही इसमें बदलाव कर दिया जाएगा।