विक्रम विश्वविद्यालय में व्याप्त अनियमितताओं व लचर व्यवस्थाओं को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा ज्ञापन सौंपा गया।
उज्जैन- उज्जैन में विक्रम विश्वविद्यालय में व्याप्त अनियमितताओं व लचर व्यवस्थाओं को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा संभाग स्तरीय विश्वविद्यालय का घेराव गुरुवार को किया गया। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्र नेता और कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल लगाकर मुख्य गेट बंद कर दिया था। वहीं बेरिकेट्स लगाकर छात्रों को रोका। कुलपति द्वारा मंच पर पहुंचकर छात्रों की समस्या सुनी और ज्ञापन लिया। कुलपति ने कहा कुछ मांगों पर तुरंत निर्देश दिए और आश्वासन दिया गया कि उनकी मांगों का जल्द से जल्द निराकरण किया जायेंगा। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की प्रांत मंत्री राधिका सिंह सिकरवार के नेतृत्व में गुरूवार को संभाग के सभी जिलों से पहुंचे छात्र-छात्राओं ने विश्वविद्यालय का घेराव किया। पुलिस प्रशासन ने मुख्य गेट पहले ही बंद कर दिया था। वहीं बेरिकेट्स लगाकर छात्रों को रोका गया। बेरिकेट्स पर छात्रों के चढऩे के कारण पुलिस और कार्यकर्ताओं में धक्का-मुक्की भी हुई। गेट पर ही बने मंच पर परिषद के पदाधिकारियों ने संबोधित करते हुए पुलिस की सुरक्षा के भीतर ही विश्वविद्यालय में व्याप्त समस्याएं बताई। प्रदर्शन के बाद कुलपति प्रो.अखिलेश कुमार पांडे ने मंच पर पहुंचकर ज्ञापन लिया। 17 सूत्रीय मांगों का निराकरण करने का आश्वासन दिया है। प्रांत सहमंत्री ऋतिक नागर ने बताया कि विश्वविद्यालय घेराव के लिए संभाग के रतलाम, मंदसौर, नीमच, आगर मालवा, उज्जैन ग्रामीण, देवास, शाजापुर और उज्जैन महानगर के छात्र शामिल हुए। महानगर मंत्री गौरव बेंडवाल ने बताया कि बाहर से आने वाले छात्र-छात्राएं दशहरा मैदान पर एकत्रित होने के बाद रैली के रूप में विश्वविद्यालय गेट तक पहुंचे। इस दौरान कार्यपरिषद सदस्य सचिन दवे, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य घनश्याम सिंह, विभाग संयोजक युवराज पंड्या, सहसंयोजक अर्जुन यादव, सह मंत्री आदर्श चौधरी, रितिक शिंदे, साक्षी यादव मौजूद थे।
परिषद की यह थी प्रमुख मांगे :-
विक्रम विश्वविद्यालय में प्रवेश, परीक्षा व परिणाम में सुधार, विद्यार्थियों के परिणामों में निरंतर एटीकेटी देने, एनईपी के उचित क्रियान्वयन, एकेडमिक कैलेंडर का पालन करने, रिक्त पदों पर शीघ्र भर्ती करने, विश्वविद्यालय में अपर्याप्त संसाधन व कर्मचारियों की कमी, विश्वविद्यालय में ठप पड़े शोध कार्य, परीक्षा फॉर्म की लिंक खोलने में गड़बढ़ी, पीएचडी घोटाले, नोडल सेंटर के क्रियान्वयन, एटीकेटी की अधिक फीस वसूलने, प्रवेश पत्र में विषयों की गड़बड़ी, स्पोट्र्स के विद्यार्थियों को संसाधन उपलब्ध कराने, पूर्ण समय के कुलसचिव की नियुक्ति करने, डिग्री सर्टिफिकेट्स का शुल्क समाप्त करने, छात्रावासों में पानी, बिजली उपलब्ध कराने और स्टूडेंट वेलफेयर फंड का उपयोग छात्रहित में करने की मांग शामिल रही।