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प्रदेश के विश्वविद्यालयों की गठित संयुक्त संघर्ष समिति ने लिया है आंदोलन का निर्णय


उज्जैन| विक्रम विश्वविद्यालय तृतीय श्रेणी कर्मचारी संघ के उपाध्यक्ष कमल जोशी ने बताया कि संयुक्त संघर्ष समिति की बैठक में निर्णय हुआ है कि शासकीय विश्वविद्यालयों में 1 जनवरी 2016 से सांतवा वेतनमान लागू हुआ है। वहीं पेंशन अंशदान भी जमा किया जा रहा है, लेकिन सेवानिवृत्त कर्मचारियों,अधिकारियों एवं शिक्षकों को छठवें वेतनमान से पेंशन का भुगतान किया जा रहा है। इसके अलावा 7 सूत्रीय मांगे शासन के समक्ष रखी गई है। क्रमबद्ध आंदोलन के पहले दिन 15 मई को विक्रम विश्वविद्यालय में कार्यरत अधिकारी कर्मचारी और पेंशनरों ने काली पट्टी बांधकर विश्वविद्यालय के मुख्य गेट पर नारेबाजी करते हुए विरोध जताया है। वहीं आंदोलन के तहत 17 से 25 मई तक प्रदेश के सभी विश्वविद्यालय में प्रतिदिन एक-एक घ्ंाटा बढ़ाकर कार्यालयीन कार्य का बहिष्कार कर नारेबाजी की जाएगी। एक जून को रैली निकाल कर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपेगें।

संघर्ष समिति की प्रमुख मांगें...

1. वर्ष 2007 के बाद नियुक्त दैवेभो को स्थाई कर्मी घोषित किया है, किन्तु 18 माह से वेतन का भुगतान नही किया।

2. शासन निर्देश के बाद भी कर्मचारियों के नियमितीकरण की कार्यवाही नही की गई।

3. मप्र के विश्वविद्यालयों में कुलसचिव के पद पर विश्वविद्यालयीन सेवा के अधिकारियों को ही पदोन्नत कर नियुक्ति प्रदान की जाए।

4. समन्वय समिति की बैठक के निर्णयानुसार मेडिक्लेम पालिसी लागू की जाए।

5. वषज़् 2005 के बाद नियुक्त कर्मचारियों,अधिकारियों, शिक्षकों को भी पुरानी पेंशन योजना का लाभ दिया जाए।

6. कर्मचारियों के श्रमसाध्य भत्ते के सबंध में जारी निर्देश पर पुर्नविचार करें।

7. कर्मचारियों को तत्काल पदोन्नति का लाभ दिया जाए।

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