२१ अप्रैल - राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस
२१ अप्रैल - राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस
राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस प्रत्येक वर्ष २१ अप्रैल को आयोजित किया जाता है, इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली के विज्ञान भवन मे सिविल सेवको को सम्बोधित करेंगे | पीएम लोक सेवाओं को ओर बेहतर करने के लिए, सिविल सेवको के योगदान और राष्ट्र निर्माण की प्रगति पर अपने विचार रखेंगे | लोक सेवाओं को ऑनलाइन करने एवं अतिशीघ्र समस्याओ का निराकरण करने , अपने बुद्धि कौशल का उपयोग करके राष्ट्र को विश्व मे अग्रणी बनाने का प्रयास करने एवं सिविल सेवा अधिकारियों के कार्यों और प्रयासों को प्रेरित करने और उनकी सराहना करके उन्हें सम्मानित करने के लिए इस दिन उत्कृष्टता के लिए प्रधान मंत्री पुरस्कार भी प्रदान किये जायेंगे | यह पुरस्कार नागरिको के कल्याण के लिए केंद्र ओर राज्य सरकार के संगठनो द्वारा किये गए उत्कृष्ट कार्यो के लिए प्रदान किये जायेंगे |
चार चिन्हित प्राथमिकता वाले कार्यक्रम – हर घर जल योजना के माध्यम से स्वच्छ जल को बढ़ावा, स्वास्थ्य एवं कल्याण केन्द्रो के माध्यम से स्वस्थ भारत को बढ़ावा, समग्र शिक्षा के माध्यम से एक समान और समावेशी कक्षा के वातावरण के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा, आकांक्षी जिला कार्यक्रम के माध्यम से समग्र विकास और प्रगति में किए गए अनुकरणीय कार्यों के लिए पुरस्कृत किया जाएगा। उपरोक्त चार चिन्हित कार्यक्रमों के लिए आठ पुरस्कार दिए जाएंगे, जबकि नवाचारों के लिए सात पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे।
"सिविल सेवा" शब्द प्रशासनिक पदों पर काम करने वाले ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्मचारियों को कहा जाता था। वारेन हेस्टिंग्स ने इसके लिए आधार तैयार किया, जबकि चार्ल्स कॉर्नवालिस ने बाद में अतिरिक्त सुधार किए, जिससे उन्हें "भारत में सिविल सेवाओं के जनक" की उपाधि मिली।
21 अप्रैल को देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने 1947 में दिल्ली के मेटकाफ हाउस में परिवीक्षाधीन प्रशासनिक अधिकारियो को सम्बोधित किया था | सरदार पटेल ने अपने संबोधन में लोक सेवकों के लिए सुशासन के नियम और सिद्धांत भी रखे और सुशासन के मानदंड और सिद्धांतो को रेखांकित किया | उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों को '' भारत का स्टील फ्रेम '' कहा और प्रशासन(सुशासन) की रीढ़ के रूप मे सन्दर्भित किया | २१ अप्रैल २००६ को नई दिल्ली के विज्ञान भवन मे इस तरह का प्रथम आयोजन किया गया था, अगले वर्ष २१ अप्रैल को राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस नामित किया था | इसे मनाने का उद्देश्य सिविल सेवाओं के अंतर्गत विभिन्न विभागों के कार्यों का मूल्यांकन करना । सर्वश्रेष्ठ कार्य करने वाले लोकसेवको एवं समूहों को सम्मानित और पुरस्कृत करना । यह सिविल सेवकों के लिए नागरिकों के हित के लिए समर्पित करने और सार्वजनिक सेवा और काम में उत्कृष्टता के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं को नवीनीकृत करने का एक अवसर है । यह सभी के लिए शासन को बदलने और देश को ' आत्मनिर्भर ' बनाने वाली सार्वजनिक नीतियों को लागू करने का लगातार प्रयास करने का भी अवसर है।
संविधान के भाग १४, अनुछेद ३०८ से ३२५ मे प्रशासनिक सेवाओं से सम्बंधित प्रावधनों मे स्पष्ट उल्लेख है की सेवा शर्तो पर केंद्र और राज्य सरकार नियम बना सकती है,
अनुच्छेद 309: संघ या राज्यों की सेवा करने वाले व्यक्तियों की भर्ती और सेवा की शर्तें।
अनुच्छेद 310: सिविल सेवकों की नियुक्ति और बर्खास्तगी पर भारत के राष्ट्रपति की शक्तियां।
अनुच्छेद 311: संघ या राज्य के तहत नागरिक क्षमताओं में कार्यरत व्यक्तियों की पदच्युति, निष्कासन या पदावनति।
अनुच्छेद 312: अखिल भारतीय सेवाएं।
अनुच्छेद 315: संघ और राज्यों के लिए लोक सेवा आयोग।
प्रत्येक वर्ष एक थीम होती है वर्ष २०२२ की थीम "विजन इंडिया - नागरिको और सरकार को करीब लाना" थी |
यह दिवस सिविल सेवको के परिश्रम और लगन को सम्मानित करने एवं जो भारत की प्रशासनिक मशीनरी को चलाने के लिए अथक प्रयास करते हैं उन्हें पुरस्कृत करने का एक सुअवसर है |