कुंभ में गंदे पानी में डुबकी लगाएंगे करोड़ों लोग! कैसे साफ होगी शिप्रा
उज्जैन| सरकार एक ओर सिंहस्थ 2028 को भव्य बनाने की बात कर रही है दूसरी ओर शिप्रा को शुद्ध करने का कोई ठोस जतन नहीं किया जा रहा। क्या कुंभ में आनेवाले करोड़ों लोगों को गंदे पानी में डुबकी लगाना पड़ेगा! यह सवाल हर किसी को परेशान कर रहा है। शिप्रा को स्वच्छ बनाने के लिए अनशन तक किए जाने लगे हैं।शिप्रा शुद्धिकरण के लिए दादू आश्रम के ज्ञानदास महाराज ने अन्न और चप्पलों का त्याग कर दिया है। उन्होंने प्रतिज्ञा ली है कि जब तक शिप्रा का शुद्धिकरण नहीं होगा, तब तक वे चप्पल नहीं पहनेंगे। इसके लिए पिछले पांच माह से अन्न का भी त्याग कर दिया है और अब वे सिर्फ फल तथा दूध पर ही आश्रित रह रहे हैं। जल्द ही वे शिप्रा नदी के घाटों पर बैठकर अनशन आंदोलन शुरू करेंगे। उनके साथ अन्य साधु-संत भी इसमें शामिल होंगे।ज्ञानदासजी का कहना है कि प्रशासन ने बड़े-बड़े वादे तो किए लेकिन उन्हें अभी तक पूरा नहीं किया है। शिप्रा की दशा ज्यों की त्यों है। अब पूर्णिमा से रामघाट पर आंदोलन शुरू होगा।
शिप्रा हर जगह है मैली
ज्ञानदास महाराज ने पहले भी अनशन किया था। तब अधिकारियों और जन प्रतिनिधियों ने आश्वासन दिया था कि जल्द ही शिप्रा में मिल रहे गंदे नालों को बंद कर दिया जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। शिप्रा वैसी ही है, जैसी पहले थी। अर्थात इसमें गंदे नाले मिल रहे हैं, प्रदूषित होती शिप्रा नदी और इंदौर से आने वाली कान्ह नदी के गंदे पानी के कारण शिप्रा का जल लगातार दूषित हो रहा है। रामघाट और दत्त अखाड़ा के आगे चक्रतीर्थ पर बेतहाशा गंदगी पसरी है। इसके आगे सोमकुंड और ऋणमुक्तेश्वर धाम तथा अन्य घाटों पर भी शिप्रा मैली ही नजर आती है।