वैशाख माह के सोम प्रदोष पर कीजिए महाकाल के दर्शन
उज्जैन। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत सबसे उत्तम बताया गया है। सोमवार को पड़ने वाले प्रदोष सोम प्रदोष कहा जाता है। भगवान के शिव के वार प्रदोष होने से इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। वैशाख माह की सोम प्रदोष के दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु उज्जैन में बाबा महाकाल के दर्शन करने पहुंच रहे हैं। सुबह भस्मारती में महाकाल का विशेष शृंगार किया गया। सोमवार के दिन महाकाल मंदिर में बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं, लेकिन आज प्रदोष होने की वजह से इनकी संख्या और ज्यादा है।
महाकाल सांस्कृतिक वन में प्रकृति, धर्म की विशेषताओं के होंगे दर्शन
पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रकृति को सनातन धर्म, संस्कृति से जोड़ने को वन विभाग विक्रम विश्वविद्यालय की पांच एकड़ जमीन पर ‘महाकाल सांस्कृतिक वन’ बनाने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए आठ करोड़ रुपये की विस्तृत कार्य योजना (डीपीआर) बनाई जा रही है। प्रस्तावित योजना अनुरूप वन ऐसा होगा जिसमें रक्षा, संस्कृति, वीरता और इतिहास के दर्शन होंगे। उज्जैन की संस्कृति के अनुसार प्रतिमाएं, वृक्ष रोपे जाएंगे। पंचक्रोशी, चौरासी महादेव, सप्त सरोवर, सांदीपनि वन, सिंहासन बत्तीसी, मेघदूत वन, अशोक वाटिका, चरक वन, कालिदास अरण्य, संस्कार वन, नवग्रह वाटिका, नक्षत्र वाटिका तैयार की जाएगी। योजना को आकार देने के लिए विक्रम सरोवर वाली 8 हेक्टेयर जमीन चिह्नित की है।
पूरे वन क्षेत्र में सनातन धर्म, संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी। मालूम हो कि जिस तरह के सांस्कृतिक वन की योजना बनी है, वैसे वन गुजरात के विभिन्न शहरों में बनाए जा चुके हैं। यही प्रयोग अब उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय परिसर में महाकाल वन, भोपाल के मैनिट एवं कोलार गेस्ट हाऊस के बीच भोजपाल वन और खजुराहो में विरासत वन के रूप में आकर देने की तैयारी है। ये सांस्कृतिक वन पांच हेक्टेयर क्षेत्र में होंगे और पर्यटकों के लिए खुले रहेंगे।