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शिव महापुराण के दूसरे दिन उज्जैन के लोगो के लिए पंडित प्रदीप मिश्रा ने की ये बहुत महत्वपूर्ण बातें


उज्जैन। सीहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा की दूसरे दिन होने वाली शिव महापुराण में बड़ी संख्या में लोग उमड़े। बड़नगर रोड पर सिंहस्थ जैसा माहौल है। वही आज दूसरे दिन भी बाहर से लगातार भक्त आये है। आज के दिन प्रदीप मिश्रा जी ने कथा की शुरुआत दानदाताओ के नाम के साथ की। वही आज उनका पहनावा हरा दुप्पटा और सफेद कुर्ता थी। अवंतिका नगरी के सभी लोगो को साधुवाद दिया वही मानव शरीर के बारे में बात कहीं। वही अपनी कथा में उन्होंने कहा कि योनियों का मिलना सरल है। मिश्रा जी कहते है मनुष्य का शरीर मिलना कठिन है प्रत्येक योनि में शिव महापुराण कथा सुनने को मिलना आसान नहीं है। दर्पण आपके बाहर की सुंदरता को बताता है लेकिन आपके भीतर की सुंदरता को कोई नहीं बताता है । अंदर से सुंदर लगना बहुत जरुरी है.। आपकी कितनी भी डिग्री है ये लोग देखते है महादेव के यहाँ सिर्फ भजन की डिग्री देखी जाती है। महादेव होंठो की लाली से खुश नहीं होता वो तो श्मशान निवासी है। वो तो दिल की सुंदरता देखता है। दुर्योधन और अर्जुन के गुरु दोनों एक थे लेकिन अर्जुन को जित मिली क्योंकि कृष्ण जी ने शिव जी की। आराधना से फल मिला। अर्जुन का एक बार प्रश्न था की आखिर कृष्ण जी ही क्यों मेरे सारथि बने इस बात पर कृष्ण जी कहते है की शिव की आराधना की है तुमने इसलिए कृष्ण जी स्वयं तुम्हे सारथी के रूप में मिले है। अगर आप शिव की आराधना में लगे है आपको कहीं भटकना नहीं पड़ेगा। जीवन में दो चीजों का संयम रखना है। वाणी और विचार में प्रदीप मिश्रा कहते है की महादेव आपकी डिग्री नहीं देखते है वो आपकी सेवा देखते है। शिव जी को आपकी धन सम्पदा की जरुरत नहीं है। जब पाप बढ़ता है जब धरती रोती है। शिव जी को हमेशा धीरे धीरे जल चढ़ाया जाता ह।ै वही लोटा या जल पात्र से टच नहीं किया जाता है। राजा विक्रमादित्य के समय सोने की चिड़िया कहलाता था। ७ लाख बत्तीस हजार गुरुकुल संचालित हो रहे थे, स्कुल आपको नौकर बनाना सिखाएंगे गुरुकुल आपको राजा बनाना सिखाता है इन दोनों में बहुत फर्क है। अवंतिका नगरी में पढ़ाई में एक किताब राजा विक्रमदिया की भी होना चाहिए। जिन्होंने इस देश में शिक्षा में बहुत कुछ दिया है।
आज भी महाकाल पर के शिखर पर सूर्य की किरणे चमकती है. एक बार हरसिद्धि माता उज्जैन से जा रही थी तब राजा विक्रमादित्य ने उन्हें रोका था की इस उज्जैन अवंतिका नगरी का पेट कौन भरेगा । मिश्रा जी कहते है अगर कोई शाम को हरसिद्धि माता के दर्शन कर लेता है तो उसका भंडारा खाली नहीं जाता है। विक्रमादित्य का शासन नेपाल तक था. राजा विक्रमदित्य के एक फूल पर विराजमान हुयी थी माता हरसिद्धि। बहुत बीमारी चल रही है। मास्क लगना जरुरी है गले में रुद्राक्ष की माला पहनना चाहिए। रुद्राक्ष की माला से होगी आपकी पहचान इसके बाद पंडित मिश्रा जी द्वारा पत्रों का वाचन कर कथा समाप्ति कर आरती की । कल कथा में प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा आएंगे ।

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