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सेहरा सजाकर दुल्हा बने बाबा महाकाल


शिवेंद्र परमार, उज्जैन। श्री महाकालेश्वर मंदिर में वर्ष में एक बार दोपहर में होने वाली भस्मारती रविवार को दोपहर 12 बजे से शुरू हुई। इससे पहले बाबा महाकाल को महानिर्वाणी अखाड़ा द्वारा भस्म चढ़ाई गई। भस्मारती में पंडे-पुजारी के अलावा अन्य वीआईपी, अधिकारी ही मौजूद रहे। भस्म आरती दोपहर दो बजे सम्पन्न होने के बाद दोपहर करीब ढाई बजे भगवान की भोग आरती होगी।हाकाल मंदिर में शनिवार रात 11 बजे से शुरू हुई महापूजा के बाद रविवार तड़के चार बजे से बाबा को दूल्हा रूप में श्रृंगार किया गया। बाबा महाकाल को स्वर्ण के आभूषण, स्वर्ण का चंद्रमा, स्वर्ण का त्रिपुण और स्वर्ण तिलक लगाकर दूल्हा बनाया गया है। भगवान महाकाल को सप्त धान्य अर्पण किया गया। तड़के 4 बजे से सेहरा चढऩा शुरू हुआ। बाबा महाकाल को सवा मन आंक के फूलों का सेहरा चढ़ाया गया। साथ ही, सवा लाख बेलपत्रों से सजाया गया। सुबह 6 बजे सेहरा आरती की गई।भगवान महाकाल को शिवरात्रि की रात्रि पूजन के दौरान अर्पित होने वाले सप्तधान में १०८ किलो सात प्रकार के अनाज शामिल होते है। इनमें 31 किलो चावल, मूंग खड़ा 11 किलो, तिल 11 किलो, मसूर खड़ा 11 किलो, गेंहू 11 किलो, जौं 11 किलो, साल 11 किलो, उड़द खडा 11 किलो भगवान महाकाल को अर्पण किए गए। सप्तधान अर्पण के बाद बाबा महाकाल को सेहरा बांधा गया सेहरे में फूलों की लडियां, आंकडे एवं पुष्पों की मोटी-मोटी माला, सवा लाख बिल्वपत्र शामिल रहे। भगवान महाकाल के सेहरा धारण करने के बाद आरती में भोग के लिए पंचमेवा 1-1 किलो एवं पंच मिष्ठान कुल 7 किलो 500 ग्राम, पांच प्रकार के फल अर्पित किए

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