सवैया सम्राट दादा दुलेसिंह सिकरवार की स्मृति में म.प्र. शासन संस्कृति विभाग के सहयोग से आयोजित अ.भा. कवि सम्मेलन में रात्रि 2 बजे तक शहीद पार्क पर देश के ख्यातिनाम कवियों ने खुब जमाया रंग
उज्जैन। प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी महात्मा गांधी जयंति पर होने वाले इस 15वें अ.भा. कवि सम्मेलन का प्रारंभ श्री दुलेंिसह सिकरवार जी व मॉ सरस्वती जी चित्रों पर अतिथिगणों सर्वश्री डॉ. अखिलेश कुमार पाण्डे कुलपति विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन, डॉ. रमनसिंह सिकरवार पूर्व आईपीएस एवं सदस्य म.प्र. लोक सेवा आयोग, राजेन्द्र आगल प्रधान संपादक पत्रिका ‘अक्श’ भोपाल, चन्द्रशेखर वशिष्ठ अपर संचालक म.प्र. कृषि मण्डी बोर्ड एवं श्रीमती कलावती यादव सभापति उज्जै नगर पालिक निगम द्धारा माल्यापर्ण एवं दीप प्रज्जवलित कर किया गया। संस्था संरक्षक राजेश सिंह कुशवाह, संयोज श्याम सिंह सिकरवार उपाध्याय श्रीमती मंजू सिकरवार, राजेश सिकरवार, युवराज सिकरवार, राजेश तिवारी, डॉ. भूपेन्द्र सिंह बैस, संजय सिंह ठाकुर, उमेश सिंरवार, अंगद सिंह भदौरिया आदि ने अतिथियों का स्वागत कर स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा आमंत्रित कविगणों को स्मृति चिन्ह प्रदान किए। कवि सम्मेलन का प्रारंभ में प्रयागराज उ.प्र. से आयी कवियत्री डॉ. प्रीता वाजपेयी ने हे मॉ वाणी ऐसा वर दो, जीवन सफल बनाएॅ हम, गीत तुम्हारे गाएॅ हम। मॉ शारदा की वंदना प्रस्तूत की। कवि सम्मेलन प्रांरभ से ही साहित्यक एवं आध्यात्माक की उंचाईयों को छूता चला गया। बहुत समय बाद उज्जैन शहर में ऐसा आयोजन हुआ जिसमें आध्यात्मिक रचनाओं ने ऐसा समय बांधा की श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। लक्ष्मण रामपुरी ने अपनी प्रतिनिधि कविता ‘‘जौहर’’ से काव्यपाठ प्रांरभ कर श्रीराम पर अपनी सुप्रसिद्ध रचना सुना कर कवि सम्मेलन का प्रांरभ ऐसा किया कि यह कवि सम्मेलन आध्यात्मिक सम्मेलन में परिवर्तित हो गया। गुलाबी नगरी जयपुर के ख्यातनाम कवि उमेश उत्साही ने श्री राम पर अपनी ओजस्वी रचना का पाठ कर एक ही कविता में सम्पूर्ण रामकथा का यशगान कर खूब दाद बटोरी उनकी कविता पढ़ने का अंदाज इतना निराला था कि शब्दों से ही सम्पूर्ण चलचित्र आंखों के सामने उत्पन्न कर दिया बेहद उत्तम और उत्कृष्ट रचना प्रस्तूत कर दिलों दिमाग को आनंदीत कर दिया। इसके बाद तो जो क्रम चला वह निश्चित ही यादगार रात्रि में परिवर्तित होता गया। नरेन्द्र नखेत्री मालवी भाषा के हास्य कवि ने महात्मा गांधी म्हारा सपना में आया सुनाकर गांधी जयंति के अवसर को सार्थक किया।
रायबरेली उ.प्र. के हास्य कवि नरंककाल रविशंकर ने प्रांरभ तो हास्य की फूल झडीयों से किया लेकिन हनुमान जी महाप्रभु व संजय उचाव (महाभारत प्रसंग) जैसी गंभीर आध्यात्मिक रचना जो वर्तमान परिस्थितियों में भी सार्थक है को पढ़ा।
वही जललाईगुडी उ. बंगाल से आए कवि व्यंगकार डॉ. करण सिंह जैन ने बंगाली हिन्दी पढ़कर वर्तमान स्थिति का खाखा खिंचा। बिहार की स्थिति, पर अपने चुभते व्यंग प्रस्तूत किए। नेताओं के चरित्र, भ्रष्टाचार, कोरानाकॉल में डॉक्टरों व अस्पतालों की सेवा और शिक्षा व्यवस्था आदि विषयों प्रयागराज से पधारी देश की सुप्रसद्धि कवियत्री डॉ. प्रीता वाजपेयी और पुष्पेन्द्र सिंह इन्दौर के गीत। गजलो ने भी खुब समा बांधा। प्रीता बाजपेयी की श्रृंगार ने रचनाओं के साथ-साथ नारी शक्ति के मन की बात कर उपस्थित मातृशक्ति से बहुत दाद बटोरी। श्रृंगार की इस कवियत्री ने देशभक्ति केे गीत जमीं पर बोझ मत बनिए हजारों रोटीयॉ खाकर। उसी मॉ को लजाओं मत उसी की कोख में आकर। पढ़कर खुब प्रशंसा बटोरी। अ.भा. कवि सम्मेलन के मंच से इस वर्ष 15वॉ स्व. श्री दुलेसिंह सिकरवार सम्मान नगर की कवियत्री रेणु नृसिंह इनानी को अतिथियों द्वारा प्रदान किया गया। इस अवसर पर रेणु इनानी ने महाकाल गाथा व राधा कृष्ण के प्यार की रचनाए सुनाकर अपने सम्मान को सार्थकता प्रदान की। कवि सम्मेलन का समापन भी श्रीमद भागवत गीता के उपदेश के बाद भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिखांए विराट रूप पर अपनी आलौकिक, अदभूत रचना पढकर उमेश उत्साही ने किया। रात्रि दो बजे तक चले इस कवि सम्मेलन में सूत्रधार सतीश सागर ने भी रचनापाठ किया मंच संचालन कवि सुनील गाईड ने किया। आभार राजेश सिंह सिकरवार ने व्यक्त किया।
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