सुबंधु दुबे की फोटो प्रदर्शनी में जिंदगी के सारे रंग नजर आते हैं फोटो देखते हुए दिमाग पर ज्यादा जोर नहीं डालना पड़ता
कीर्ति राणा, वरिष्ठ पत्रकार
विषय (सब्जेक्ट) और प्रकाश (लाइट) की जुगलबंदी देखना हो तो दुआ सभागृह में लगी सुबंधु दुबे की फोटो प्रदर्शनी में देख सकते हैं। गुजराती आर्टस कॉलेज में प्रोफेसर रहने के भी पहले (1948) से शौकिया तौर पर फोटोग्राफी कर रहे प्रो दुबे से शहर के कई नामचीन फोटोग्राफरों ने कैमरा पकड़ने के साथ प्रोफेशल रूप से भी पहचान बनाई है।स्वांत: सुखाय के लिए इस विधा को जुनून के रूप में अपना चुके दुबे बस इसी व्यावसायिकता में पिछड़ गए।
दुआ सभागृह में लगी तीन दिवसीय प्रदर्शनी में उनके फोटो देखते हुए दिमाग पर ज्यादा जोर इसलिए भी नहीं डालना पड़ता कि सारे फोटो के सब्जेक्ट हमारी जिंदगी के विभिन्न विषयों से ही जुड़े है। व्यक्ति, पक्षी, पेड़ पहाड़, पानी, भगोरिया, युवतियां, मेले, मंदिर जिंदगी के सारे रंग यहां देखे जा सकते हैं।उनका कहना भी है मेरी इच्छा रहती है कि फोटोग्राफी की फ्रेम सिंपल हो, पॉइंट ऑफ इंट्रेस्ट एक ही रहे। कंप्यूटर से जोड़ कर क्रिएटिविटी-तकनीकी घालमेल मुझे इसलिए भी पसंद नहीं है कि फिर वह फोटो मौलिक नहीं रहता है।
150 रु के कैमरे से शुरुआत की
फोटोग्राफी करने का शौक उन्हें अपने मामा अवंतीलाल जोशी से लगा।फिर खुद ने 150 रु
के आइसोली (अगफा कंपनी के) कैमरे से शुरुआत की।शौक जुनून में बदलता गया तो जर्मन कैमरा, निकान के विभिन्न कैमरे खरीदते गए। आज भी वो सारे पुराने कैमरे संग्रहित हैं।
फोटोग्राफी करो तो लाइट को समझना सीखो
इस विधा को सीखने वालों के लिए उनका गुरुमंत्र है फोटोग्राफी करना है तो लाइट के केरेक्टर के अनुसार करें। परफेक्ट फोटोग्राफी के लिए लाइट और कंपोजिशन जिसने सीख लिया वह इस क्षेत्र में अपना मुकाम खुद बना सकता है।गुजराती समाज का ऑफर आया कि दुबे सा को पार्ट टाइम कर दो, तब छोड़ दिया। स्टूडियो खल दिया।डॉ वीडी नागर प्रिंसिपल बन कर आ गए। कॉलेज की नौकरी जारी हो गई, यह शौक भी चलता रहा। शादियों, सोशल फंक्शन में फोटो खिंचवाए।
जब तक हाथ में दम है कैमरा नहीं छोड़ूंगा
कई अंतरराष्ट्रीय अवार्ड भी मिल चुके हैं
84 वर्षीय सुबंधु दुबे में इस विधा को लेकर उत्साह बरकरार है। युवकों को सिखाते-समझाते हैं। उनका कहना है जब तक हाथ में दम है कैमरा नहीं छोड़ूंगा। उनके फोटो स्थानीय से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पुरस्कार जीत चुके हैं। यूनेस्को अवार्ड के साथ ही निकान कंपनी ने अपनी किताब में फुल पेज पर फोटो प्रकाशित किया है।केंद्रीय सूचना प्रसारण विभाग से चार बार पुरस्कृत हो चुके हैं।
दुबे सर की यह तीसरी एग्जिबिशन और इंदौर में दूसरी है। भोपाल में लोकरंग मेले में राजस्थान थीम पर लगी प्रदर्शनी में उनके 70 फोटो का उदघाटन राज्यपाल रहे भाई महावीर ने किया था।
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*कीर्ति राणा : परिचय*
पिछले चार दशक से भी अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय कीर्ति राणा देश की हिंदी पत्रकारिता का जाना-पहचाना नाम है। दैनिक भास्कर ग्रुप के विभिन्न संस्करणों के साथ ही दैनिक अवंतिका और दबंग दुनिया समूह के विभिन्न संस्करणों में संपादक रह चुके कीर्ति राणा इन दिनों दैनिक प्रजातंत्र (इंदौर) से जुड़े हुए हैं।वे इंदौर प्रेस क्लब के महासचिव सहित विभिन्न पदों पर रहे हैं। 1996 में इंदौर में एक कैदी को दी गई फांसी के लाइव कवरेज पर अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मान के साथ ही उन्हें इंदौर प्रेस क्लब लाइफ टाइम अचिवमेंट अवार्ड से सम्मानित कर चुका है।इन दिनों वे पत्रकारिता के दीर्घ अनुभवों आधारित “मेरी पत्रकारिता” सीरिज लिख रहे हैं जो सोशल मीडिया पर खूब चर्चित है। मध्य प्रदेश सरकार के जनसंपर्क विभाग द्वारा पत्रकारों के हितार्थ गठित विभिन्न समितियों में वर्षों रहे कीर्ति राणा मप्र सरकार के राज्यस्तरीय राहुल बारपुते स्मृति सम्मान के साथ ही देश के विभिन्न संगठनों द्वारा सम्मानित किए जा चुके हैं।