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श्री चित्रगुप्त धाम अंकपात, उज्जैन में यमद्वितीया महापर्व धूमधाम से मनाया गया


"सबके तीरथ, बद्री-केदारनाथ,द्वारका,रामेश्वर धाम !
कायस्थों के तीरथ,श्री चित्रगुप्त, अंकपात धाम !!"

श्री चित्रगुप्त धाम (धर्मराज मंदिर) अंकपात,उज्जैन में आज यमद्वितीया महापर्व पर श्रद्धालुओं ने श्री चित्रगुप्त धाम, उज्जैन के अध्यक्ष आदरणीय आनंद मोहन माथुर साहब,मंदिर के संरक्षक आदरणीय कृष्णमंगलसिंह  कुलश्रेष्ठजी की प्रेरणा से भगवान श्रीराम के द्वारा स्थापित श्री हरि धाम (चित्रगुप्त मंदिर) अयोध्या से श्री चित्रगुप्त धाम अंकपात,उज्जैन के ट्रष्टीगण डॉ.चंद्रमोहन श्रीवास्तव और निखिलेश खरे द्वारा लाई गई धर्मध्वजा का कार्यकारी अध्यक्ष चि.अमित श्रीवास्तव,ट्रष्टीगण चि.निरंजनप्रसाद श्रीवास्तव,चि.निखिलेश खरे,डॉ. सुनीता श्रीवास्तव,चि.दुर्गेश श्रीवास्तव,चि.त्रिलोक निगम,चि.दीपक सक्सेना, चि.संदीप कुलश्रेष्ठ, चि.दिनेश श्रीवास्तव (मा.सा.) चि.नरेद्र राजपूत आदि उपस्थित हजारों भक्तगणों ने मंदिर के पुजारी पंडित कुशल भट्टजी द्वारा धर्मध्वजा का विधी‌~विधान‌ से पूजन कर मंदिर शिखर पर धर्मध्वजा पताका फहराई गई । यमद्वितीया महापर्व पर ब्रह्म मुहूर्त से ही भक्तगण श्री चित्रगुप्त धाम अंकपात,उज्जैन मंदिर पर पहुंच कर भगवान धर्मराजजी,प्राणियों के कर्मों का फल देने वाले न्यायमूर्ति भगवान श्री चित्रगुप्तजी,माताऐं इरावतीजी,दक्षिणावतीजी, चित्रगुप्तेश्वर, सृष्टि के रचयिता ब्रह्माजी,मां सरस्वतीजी,मां गायत्रीजी,भैरवजी और मां यमुना जी के चरणों में पूजा-अर्चना कर कलम दवात,प्रसादी,भेंटपूजा एवं दीपदान अर्पित कर पूरे विश्व और परिवार की सुख समृद्धि और मंगलमयी जीवन का भगवान से आशीर्वाद प्राप्त किया । सांध्यकालीन महाआरती में मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री (मप्र शासन) एवं विधायक माननीय पारस जैन साहब,मंदिर के मुख्य सूत्रधार, प्रेरणा स्त्रोत एवं संरक्षक आदरणीय कृष्णमंगलसिंह कुलश्रेष्ठजी की अगुवाई में कार्यकारी अध्यक्ष चि.अमित श्रीवास्तव और उपस्थित ट्रष्टीगण एवं कार्यकारिणी पदाधिकारियों, हजारों भक्तगणों ने भगवान श्री चित्रगुप्तजी,धर्मराजजी की महाआरती कर आशीर्वाद प्राप्त किया । कायस्थों के चार धाम अंवतिका (उज्जैन),अयोध्याजी, पटना,और कांचीपुरम में सर्वप्रथम धाम अंवतिका नगरी (उज्जैन) के अंकपात क्षेत्र में सृष्टि कर्ता भगवान श्री ब्रह्माजी ने पतित पावनी मां क्षिप्राजी के तट पर 11000 हजार वर्षों तक तपस्या की । तपस्या के दौरान ब्रह्माजी की काया से एक दिव्य शक्ति प्रकट हुई,जिसका अलौकिक,मनोहारी भव्य स्व रूप देखकर ब्रह्माजी भी प्रसन्न हो गए। ब्रम्हाजी की चित और काया से प्रकट होने पर दिव्य शक्ति चित्रांश अथवा कायस्थ जाति का प्रार्दुभाव हुआ । दिव्य शक्ति ने ब्रम्हाजी को प्रणाम कर पूछा कि हे- पितामह ! 
मेरे लिए क्या आदेश है ? 
तब ब्रह्माजी ने उन्हें सृष्टि के समस्त प्राणियों के कर्मों का लेखा-जोखा रख कर्मों के अनुसार फल देने का न्याय करने का आदेश दिया । 
श्री चित्रगुप्त धाम अंकपात,उज्जैन में जो‌ भी श्रद्धालु भक्तगण भगवान श्री चित्रगुप्तजी के चरणों में कलम दवात अर्पित कर उसी कलम से प्रतिदिन यथासंभव 11,21,51 या 108 बार  
"ॐ यमाय धर्म राजाय श्री चित्रगुप्ताय वै नमः"
मंत्र का उच्चारण कर पुस्तिका में लिख कर यमद्वितीया पर भगवान श्री चित्रगुप्तजी के चरणों में अर्पित करने से श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होकर उनके निवास,सर्विस,व्यापार,बिजनेस, उद्योग आदि में सुख-समृद्धि और मंगलमयी जीवन में वृद्धि होती है । भगवान धर्मराजजी के सम्मुख उनकी बहन मां यमुनाजी सरोवर में अदृश्य रूप से विराजमान हैं,जिनके सरोवर के जल में दीपदान और अंशमात्र जल स्नान करने से कई प्रकार की बिमारियों से मुक्ति मिलती है । श्री चित्रगुप्त, धर्मराज मंदिर के चारों ओर शक्तिपीठ होने से इसका विशेष महत्व है, पूर्व दिशाओं में सांदिपनी आश्रम है, जहां भगवान श्रीकृष्णजी,अपने बड़े भाई बलदाऊजी,परम सखा सुदामा जी के साथ गुरु सांदिपनी से 64 दिनों तक विद्याध्ययन कर भागवत गीता की रचना की थी,जो कृष्ण द्वारा महाभारत युद्ध में संपूर्ण भागवत गीता ज्ञान अर्जुन को सुनाया था। उत्तर दिशा में पतित पावन मां क्षिप्राजी के तट पर मंगल ग्रह की जन्मस्थली मंगलनाथ है,जहां पर पूरे विश्व में एकमात्र भगवान मंगलनाथ का भातपूजन कर मंगल ग्रह दोष से मुक्ति मिलती है । पश्चिम दिशा में उज्जैन के राजा विक्रमादित्य और कवि कालिदास की आराध्य देवी मां कालिकाजी शक्ति पीठ विराजमान हैं । उज्जैन के राजा विक्रमादित्य को चक्रवर्ती सम्राट का वरदान प्राप्त हुआ था,जिनके द्वारा हिंदू वर्ष का प्रारंभ संवत् से किया गया और कवि कालिदासजी को मां कालिकाजी के आशीर्वाद से काव्य ज्ञान प्राप्त हुआ था। दक्षिण दिशा में पतित पावनी मां क्षिप्राजी के तट पर जहां पर दानव-देवताओं के द्वारा समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत कलश में से कुछ अमृत बूंदें क्षिप्राजी में गिरी थी,उस पावन स्थल पर 12 ज्योतिर्लिंग में से 3 रे कालों के काल महाकाल 51 शक्तिपीठ में आराध्य मां हरसिद्धि देवी के साथ सपरिवार विराजमान हैं, जहां पर पूरे विश्व में एक मात्र भस्मारती होती है । इन चारों दिशाओं के मध्य भगवान ब्रह्माजी,धर्मराजजी और श्री चित्रगुप्तजी,श्री चित्रगुप्तेश्वरजी श्री चित्रगुप्त धाम में विराजमान हैं, इनके दर्शन मात्र से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं । जय चित्रगुप्त

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