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हिंदी साहित्याकाश के देदीप्यमान नक्षत्र मुंशी प्रेमचंद थे - डॉ तिवारी पूर्व एडीएम ..


कुलपति डॉ पांडे ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद एक विचार धारा है परन्तु प्रेमचंद जैसे महान साहित्यकारो को समाज व समाचार पत्र भूलने लगा है ....

कलम -  कागज  देकर जरूरतमंद छात्राओं का स्वर्णिम भारत मंच ने सम्मान किया

उज्जैन -  हिंदी कथा,साहित्य,निबंध के अमर कथाकार मुंशी प्रेमचंद ऐसे साहित्यकार थे जिन्होंने ने मानवता से प्रेम किया  अपनी कलम से दलित शोषित वर्ग की स्तिथियों का अवलोकन कराने वाले चिरंतन साहित्यकार प्रेमचंद थे,  मुंशी जी ने लिखा कि मैं साहित्य को दिमागी अय्याशी या सिर्फ स्वाद का प्रतीक चटनी नही समझता,  मैं उसे जीवन के लिए आवश्यक समझता हूं यह विचार कवि लेखक डॉ आर.पी . तिवारी ( पूर्व एडीएम ) ने स्वर्णिम भारत मंच के  द्वारा सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी की  141 वी जयंती के अवसर पर प्रेस क्लब में आयोजित कार्यक्रम में कही उन्होंने कहा कि  प्रेमचंद ने आम आदमी के जीवन पर प्रकाश डाला है क्योंकि उनके जीवन मे गरीबी,  विपन्नता व संघर्ष का करीबी से नाता रहा है  एक साहित्यकार  राजनेता समाज व देश का पथप्रदर्शक होता है  , मुंशी प्रेमचंद  दलित शोषित वर्ग की यथार्थ स्थितियों का अवलोकन कराने वाले चिंतन,  हिंदी साहित्याकाश के देदीप्यमान नक्षत्र  मुंशी प्रेमचंद थे , इसीक्रम  में विक्रम विश्व विद्यालय के कुलपति डॉ.अखिलेश पांडे  ने अपने उद्बोधन में कहा कि आधुनिक कथाकार मुंशी प्रेमचंद की कथा शिल्प के समक्ष मैं नतमस्तक हूँ  महाभारत से गीता का जन्म हुआ ,राम रावण युद्ध से रामायण निकली ,ठीक उसी तरह समाज की वीभत्स कुरूतियों से मुंशी प्रेम चंद की रचनाओं ने जन्म लिया है जब तक कोई साहित्यकार समाज के बीच नही जाएगा तब तक उसे समाज के अंदर छुपी हुई बुराई नही दिखेगी  अब आवश्यकता है बच्चो को बाल अवस्था से लेकर युवा अवस्था तक मुंशी प्रेमचंद के साहित्य से जोड़ने की  आज अखबारों में मुंशी प्रेमचंद जैसे महान साहित्यकार को कवरेज नही मिलना  चिंता का विषय है आपने कहा कि मुंशी प्रेमचंद ऐसे चंद साहित्यकारों में से एक थे जिन्होंने अपनी लेखकीय सहानुभूति से सारे भेदों को तोड़कर मानवीय एकात्मकता का संदेश दिया है  ,  व्यंग्यकार राजेन्द्र नागर निरन्तर ने बोला कि मुंशी प्रेमचंद ने स्वयं नाना विध संघर्ष ,कठनाई ,गरीबी अत्याचारों को झेला है  ,मुंशी प्रेमचंद ने पूंजीपतियों , जमीदारों ,अंग्रेजो ,साहूकारों  की दुष्टता दमनकारी नीतियों पर अपनी कलम के कौड़े लगाकर समाज को जागरूक करने का काम किया था

भीड़ भरे आयोजनों के बीच सैद्धांतिक विचार धारा वाले कार्यक्रम की शृंखला कम होती जा रही है इसी आशय से स्वर्णिम भारत मंच ने महान उपन्यास सम्राट राष्ट्र गौरव लेखक चिंतक समाज को आदर्शोन्मुख मार्ग बताने वाले  मुंशी प्रेमचंद जी की जयंती पर  प्रेमचंद की कृतियों में यथार्थ चित्रण कार्यक्रम  का आयोजन प्रेस क्लब पर किया गया
जिसके मुख्यातिथि विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अखिलेश पांडे ,कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ आर. पी. तिवारी  पूर्व एडीएम , कवि लेखक ने की  तथा  मुख्यवक्ता लघुकथा  राजेंद्र नागर निरंतर थे. कार्यक्रम में  सूत्रधार की भूमिका का  शैलेंद्र व्यास  स्वामी मुस्कुराके ने निर्वहन किया

अतिथियों का स्वागत  अनुपमा श्रीवास्तव ,प्रो हरीश शर्मा , प्रो. रोहित चौधरी , मयंक श्रीवास्तव , सुश्री मधु चौहान , श्रीमति अलका मालवीय , महेंद्र श्रीवास्तव ,मोनू निगम ,रेणुका मालवीय ,मंगलेश जोशी ,धनीराम रायकवार ,रुपकिशोर कुलश्रेष्ठ ,सुश्री रीना परिहार ,हिमांशु लँगवार ,संतोष भुपेकर ने किया

 जरूरत मन्द छात्राओं का  कॉपी पेन देकर  सम्मान
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 मुंशी प्रेमचंद जी की जयंती पर  अतिथि के हाथों स्वर्णिम भारत मंच ने ऐसी होनहार जरूरतमंद छात्राओं को कॉपी पेन देकर सम्मानित किया जिनके माता पिता नही है  कुछ बच्चियां तो ऐसी है जो पूर्ण अनाथ है स्वर्णिम भारत मंच का मिशन आंगन लड़का के तहत इस तरह के बच्चो की मदद की जाती है

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