असमंजस में अधिकारी...रामघाट पर पाइपलाइन बिछाएं या दत्त अखाड़ा घाट पर
उज्जैन। मोक्षदायिनी शिप्रा नदी के किनारे अब खाकचौक क्षेत्र से चक्रतीर्थ तक भूमिगत सीवरेज पाइपलाइन बिछाई जाना है। 1624 मिलीमीटर व्यास की ये पाइपलाइन रामघाट खोदकर बिछाई जाए या दत्त अखाड़ा घाट खोदकर, इसे लेकर अधिकारी असमंजस में हैं। फिलहाल कोई फैसला नहीं लिया गया है। कहा गया है कि तकनीकी विशेषज्ञ की रिपोर्ट के आधार पर ही स्थान तय करेंगे।
जानकारों का कहना है कि रामघाट पर पाइपलाइन बिछाना आसान नहीं होगा। डेढ़ दशक पहले यहां 500 एमएम व्यास की पाइपलाइन बिछाई थी, तब भी काम करने में कर्मचारियों को पसीना आ गया था। दरअसल घाट का बेस मजबूत काले पत्थर का है। यहां पहले से एक पाइपलाइन बिछी है और इसके समांतर नई पाइपलाइन बिछाई और खोदाई के लिए विस्फोट का सहारा लिया तो आसपास की दीवार, राणोजी की छत्री और मंदिर को खतरा पहुंच सकता है। कम से कम 4 से 6 माह श्रद्धालुओं को परेशान होना पड़ेगा, सो अलग। ऐसे में दत्त अखाड़ा एक अच्छा विकल्प हो सकता है, पर वहां पाइपलाइन बिछाने से नदी को क्रास करना होगा। सीवरेज बूस्टिंग में भी समस्या आ सकती है। बहरहाल, अफसरों का कहना है कि शिप्रा की शुद्धि के लिए पाइपलाइन बिछाना भी जरूरी है, इसलिए विभिन्ना् बिंदुओं को ध्यान में रखकर ही तय करेंगे की कहां पाइपलाइन बिछाई जाए। वर्षाकाल प्रारंभ होने से पहले यानी जून तक पाइपलाइन बिछाने का कार्य पूर्ण करने का लक्ष्य है।
पूरे शहर का सीवरेज पाइपलाइन में ही पहुंचेगा
पूरे शहर का सीवरेज, छोटी-छोटी पाइपलाइन के जरिए शिप्रा नदी किनारे बिछाई जाने वाली 800 से 2000 मिलीमीटर व्यास की बड़ी पाइपलाइन में पहुंचेगा। ये बड़ी पाइपलाइन त्रिवेणी से मंगलनाथ तक बिछेगी। अभी त्रिवेणी से आस्था गार्डन तक पाइपलाइन बिछाने का काम जारी है। बड़ी पाइपलाइन की लंबाई 15 किलोमीटर होगी, जो मंगलनाथ से आगे चलकर सुरासा में बन रहे 92.5 एमएलडी क्षमता के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तक बिछेगी। यहां सीवरेज का ट्रीटमेंट कर उपचारित पानी शिप्रा में मिलाया जाएगा।
वो सबकुछ जो आप जानना चाहते हैं
मोक्षदायिनी शिप्रा नदी की शुद्धि के लिए सरकार ने चार साल पहले 693 करोड़ र्स्पये की भूमिगत सीवरेज पाइपलाइन परियोजना बनाई थी। काम दो चरणों में पूरा करने का फैसला लिया था। पहले चरण में शहर के 54 में से 35 वार्डों में 439 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाने और सुरासा में 92.5 एमएलडी का ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित कराने को उज्जैन नगर निगम ने, टाटा प्रोजेक्ट कंपनी से 7 नवंबर 2017 को अनुबंध किया था। कंपनी दो साल में प्रोजेक्ट पूरा करेगी। इसके एवज में कंपनी को 402 करोड़ र्स्पये दिए जाएंगे। मगर ऐसा नहीं हुआ। तीन साल से अधिक वक्त गुजर गया है पर कंपनी अब तक 150 किलोमीटर लंबी ही पाइपलाइन बिछा सकी और सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का काम भी अधूरा ही हुआ। मौजूदा कार्य की गति के हिसाब से अगर काम चला तो ये प्रोजेक्ट अगले ढाई से तीन साल में पूरा होगा। इसी के साथ प्रोजेक्ट का दूसरा चरण भी पूरा हो, इसके लिए स्थानीय नगर निगम प्रशासन और नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अफसरों ने 420 करोड़ र्स्पये की संशोधित विस्तृत कार्य परियोजना, केंद्र सरकार को मंजूरी के लिए भेजी गई है। इंतजार, अब सिर्फ केंद्र से फंड की मंजूरी मिलने का है।