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जिला अस्पताल की लिफ्ट से एक महिला को 10 फीट ऊपर के लोहे की चद्दर काटकर निकाला गया


उज्जैन। के सिविल अस्पताल में मरीजों और तीमारदारों को लिफ्ट से निकलने के लिए गेट नहीं खोलना होता है। बल्कि वे 10 फीट ऊपर से कूदकर निकालते हैं। यह पढ़कर आप चौंकिए नहीं। यह नजारा पिछले एक माह में दूसरी बार दिखाई दिया। जब इंदिरा नाम की एक महिला को 10 फीट ऊपर के लोहे की चद्दर काटकर निकाला गया। नीचे लोग हाथ उठाकर उन्हें लपकने के लिए खड़े थे।

दरअसल, वह अपने पति बंशीलाल मालवीय को लिफ्ट से हड्‌डी वार्ड में ले जाना चाहती थीं। बंशीलाल का पैर फ्रैक्चर था। पति को ह्वीलचेयर पर नीचे छोड़कर वह पहले फ्लोर पर फंसी लिफ्ट को नीचे लाने के लिए गईं थीं। लिफ्ट का चैनल गेट बंद करते ही वह फंस गया। उसके बाद न लिफ्ट नीचे के लिए चली और न ही चैनल गेट खुला। इस बीच किसी ने उन्हें लिफ्ट में फंसे देखा तो अस्पताल के कर्मचारियों को खबर दी। फिर, वही हुआ जो एक माह पहले छह दिसंबर को लिफ्ट में फंसे लोगों के साथ हुआ था। जिस तरह से उन्हें 10 फीट ऊपर लगी चद्दर को काटकर निकाला गया था, उसी तरह से इंदिरा को भी निकाला गया।

सिविल सर्जन ने बताया कि सिविल अस्पताल की लिफ्ट वर्षों पुरानी है। आए दिन खराबी होती रहती है। बजट के अभाव में अटेंडर भी नहीं रख पा रहे हैं। मरीज और उनके तीमारदार ही लिफ्ट का खुद ही संचालन करते हैं।

लिफ्ट  मेंटेनेंस की जिम्मेदारी कंपनी की है। पिछले दो साल से मेंटेनेंस का ठेका नहीं हुआ। पिछले साल दिसंबर में ओटिस कंपनी को फिर से ठेका दिया गया। कंपनी के सर्विस टेक्निशयन जितेंद्र राजोरिया ने बताया कि 99 हजार रुपए में एक साल का ठेका है। इसमें फिजिकल डैमेज शामिल नहीं है।

हादसे के बाद बुधवार शाम को लिफ्ट में ताला लगा दिया गया। सिविल सर्जन ने बताया कि किसी दिन बड़ा हादसा हो सकता है। इसलिए लिफ्ट में ताला लगा दिया गया है। मरीज और उनके अटेंडर सीढ़ियों के रास्ते पहले तल पर जाएंगे। गंभीर मरीजों को नीचे ही स्ट्रेचर मिलेगा। वे उसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

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