कलेक्टर ने डेम के जल को संरक्षित घोषित किया
उज्जैन | कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री आशीष सिंह को मुख्य नगर पालिका अधिकारी नगर परिषद तराना ने अवगत कराया कि तराना नगर में पेयजल का एकमात्र स्त्रोत छोटी कालीसिंध नदी पर स्थित बिरगोद स्टापडेम है। कलेक्टर ने पेयजल परिरक्षण अधिनियम-1986 की धारा-3 में उपलब्ध प्रावधानों के अनुसरण में जन-साधारण को घरेलु प्रयोजन के लिये जल उपलब्ध कराने की दृष्टि से बिरगोद स्टापडेम के जल को संरक्षित घोषित कर दिया है। स्टापडेम से लगे ग्रामों को केवल पेयजल के लिये प्रयोग की अनुमति देते हुए अधिनियम की धारा-4 में उपलब्ध प्रावधानों के तहत तराना नगर की छोटी कालीसिंध नदी पर स्थित बिरगोद स्टापडेम के जल को अन्य किसी प्रयोजन तथा सिंचाई एवं औद्योगिक प्रयोजन के उपयोग हेतु निषिद्ध कर दिया गया है।
कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री आशीष सिंह ने इस सम्बन्ध में आदेश जारी कर दिया है। आदेश के तहत तराना नगर परिषद के मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने अवगत कराया गया था कि डेम के आसपास स्थित ग्राम बिरगोद, रायपुरा, दुबली, सादबा, हत्याखेड़ी, नानूखेड़ा, सुमराखेड़ा व मल्हारगढ़ के किसानों द्वारा डेम के पानी से सिंचाई की जा रही है, जिससे ग्रीष्मकाल में जलसंकट की स्थिति उत्पन्न होने की प्रबल संभावना है, इसलिये कलेक्टर ने उक्त डेम के जल को संरक्षित घोषित कर दिया है। कलेक्टर ने तराना राजस्व अनुविभागीय अधिकारी व पुलिस अनुविभागीय अधिकारी एवं मुख्य नगर पालिका अधिकारी को निर्देश दिये हैं कि वह सुनिश्चित करें कि जल का उपयोग केवल घरेलु प्रयोजन के लिये ही हो। उक्त अधिकारियों का उत्तरदायित्व होगा कि वे अन्य प्रयोजन के लिये उनके अधिकार क्षेत्र में जल उपयोग करते पाये जाने की स्थिति में अधिनियम के अन्तर्गत आवश्यक वैधानिक कार्यवाही सम्बन्धित के विरूद्ध की जाये। नगर पालिका अधिकारी, राजस्व विभाग एवं विद्युत मण्डल के दल बिरगोद स्टापडेम पर चल रहे या चलने वाले अवैध पम्पों को जप्त करने की कार्यवाही करना सुनिश्चित करेंगे। आदेश का उल्लंघन सिद्ध पाये जाने पर दो वर्ष का कारावास अथवा दो हजार रुपये का जुर्माना अथवा दोनों से दण्डित किये जाने की अधिनियम में व्यवस्था है।