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अष्‍टमी को निकलेगी महाकाल के सेनापति कालभैरव की सवारी



उज्जैन । अगहन कृष्ण अष्टमी पर 8 दिसंबर को भगवान काल भैरव का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। शाम 4 बजे काल भैरव मंदिर से शाही ठाठ के साथ सेनापति की सवारी निकलेगी। शहर के अष्ट महाभैरव मंदिरों में आयोजन होंगे।

शासकीय पुजारी धर्मेंद्र सदाशिव चतुर्वेदी ने बताया अगहन मास में महाभैरव के जन्मोत्सव की मान्यता है। इस बार 7 व 8 दिसंबर को दो दिवसीय जन्मोत्सव मनाया जाएगा। 7 दिसंबर को रात 9 बजे बाबा कालभैरव का चोला श्रृंगार कर भैरव सहस्त्र नामावली से महाअभिषेक किया जाएगा। मध्य रात्रि 12 बजे भगवान को छप्पन पकवानों का भोग लगाकर जन्म आरती की जाएगी। इसके बाद भक्तों को महाप्रसादी का वितरण होगा। 8 दिसंबर को सेनापति की सवारी निकलेगी। शाम 4 बजे कलेक्टर आशीषसिंह भगवान के मुखारविंद की पूजा अर्चना कर पालकी को नगर भ्रमण के लिए रवाना करेंगे। भैरवगढ़ भ्रमण के पश्चात सेनापति की पालकी मोक्षदायिनी शिप्रा के सिद्घवट घाट पहुंचेगी। यहां वैकुंठ द्वार पर पुजारी शिप्रा जल से भगवान काल भैरव का अभिषेक कर पूजा अर्चना करेंगे। पूजन पश्चात सवारी पुनः मंदिर के लिए रवाना होगी। हालांकि कोरोना संक्रमण को देखते हुए सवारी की व्यवस्थाओं में परिवर्तन किया जा सकता है।

सिंधिया शाही की पगड़ी व आभूषण धारण करेंगे सेनापति
जन्म दिन पर बाबा कालभैरव सिंधिया शाही की पगड़ी तथा हीरे जवाहरात के आभूषण धारण करेंगे। पं.वेदांक चतुर्वेदी ने बताया सिंधिया राजवंश ने भगवान कालभैरव को बेशकीमती आभूषण भेंट कर रखे हैं। यह आभूषण वर्षभर शासकीय अभिरक्षा में रहते हैं। जन्मोत्सव के अवसर पर भगवान को आभूषण धारण कराने के लिए शासन की अनुमति मिल गई है। 8 दिसंबर को सुरक्षा के साथ जेवर कालभैरव मंदिर आएंगे।

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