महाकवि कालिदास के साहित्य में 64 कलाएं विद्यमान थी -मंत्री डॉ.यादव
कालिदास समारोह से जनता का भी जुड़ाव हो -सांसद श्री फिरोजिया, 3 दिवसीय अ.भा.कालिदास समारोह का समापन सम्पन्न
उज्जैन | अखिल भारतीय कालिदास समारोह का समापन कार्यक्रम मध्य प्रदेश शासन के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव के मुख्य आतिथ्य में तथा लोकसभा सांसद श्री अनिल फिरोजिया की अध्यक्षता में शुक्रवार 27 नवम्बर को कालिदास संस्कृत अकादमी के पं.सूर्यनारायण व्यास संकुल सभागृह में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम के सारस्वत अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो.बालकृष्ण शर्मा थे।
समापन कार्यक्रम के अवसर पर मुख्य अतिथि मंत्री डॉ.यादव ने कहा कि इस बार कोरोना संक्रमण के चलते अखिल भारतीय कालिदास समारोह का आयोजन कम अवधि में सम्पन्न हुआ है। तीन दिनों में कला और साहित्य की एक अत्यन्त सुन्दर यात्रा आज समाप्त हुई है। महाकवि कालिदास के बारे में जितना बोला जाये, उतना कम है। कालिदास के साहित्य में 64 कलाएं विद्यमान थीं। महाकवि कालिदास ने अपनी रचनाओं में अनेक विषयों को वर्णित किया है। उनके साहित्य में भूगोल, विज्ञान, खगोल, इतिहास और श्रृंगार का बोध भी था। महाकवि कालिदास की कल्पना अदभुत थी। महाकवि कालिदास की कीर्ति उत्तरोत्तर आगे ले जाने का हम सब प्रयास करेंगे। मंत्री डॉ.यादव ने कहा कि हमारा अतीत अत्यन्त स्वर्णिम था। महाकवि कालिदास साहित्य के सूर्य थे। वर्तमान में संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिये पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय तथा संस्कृत के कई कॉलेज प्रारम्भ किये गये हैं। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने विक्रम कालिदास पुरस्कार की पांच हजार रुपये की राशि में वृद्धि कर अगले वर्ष 21-21 हजार रुपये और राष्ट्रीय कालिदास निबंध प्रतियोगिता में तीन-तीन हजार की राशि में वृद्धि कर 15-15 हजार रुपये करने की घोषणा की है।
सांसद श्री अनिल फिरोजिया ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि अखिल भारतीय कालिदास समारोह के आयोजन का इंतजार देशभर के बड़े-बड़े विद्वतजन, कलाकार और साहित्यकार करते हैं। विश्व के कलाकारों के दिल में यही कसक रहती है कि वे एक बार अखिल भारतीय कालिदास समारोह में अवश्य शामिल हों और यहां अपनी प्रस्तुतियां दें। सांसद ने कहा कि कालिदास अकादमी विद्वतजनों, कलाकारों और साहित्यकारों की तीर्थस्थली है। उन्होंने कहा कि कालिदास समारोह से आमजन का जुड़ाव होना चाहिये। सांसद ने कहा कि हम अत्यन्त भाग्यशाली हैं जो उज्जयिनी जैसी अदभुत नगरी में निवास कर रहे हैं। कालिदास समारोह में विश्व के श्रेष्ठ कलाकार अपनी प्रस्तुति देना चाहते हैं।
सारस्वत अतिथि प्रो.बालकृष्ण शर्मा ने संस्कृत में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भगवान महाकाल तथा भगवती गढ़कालिका की कृपा से महाकवि कालिदास ने यश प्राप्त किया। कालिदास की सात रचनाएं सात रंगों की प्रतीक हैं। ये इन्द्रधनुष की तरह सुन्दर हैं। उनके सात काव्य वाग्मयी आकाश को सुशोभित करते हैं। कालिदास का एक नाम दीपशिखा भी था। कालिदास की रचनाएं मुख्यत: भगवान महाकालेश्वर को समर्पित थीं। इस वर्ष का कालिदास समारोह लोककल्याण पर आधारित कालिदास की रचनाओं पर आधारित था। प्रो.शर्मा ने कहा कि महाकवि कालिदास ने विशाला नगरी का नाम रोशन किया।
इस दौरान संभागायुक्त श्री आनन्द कुमार शर्मा, कलेक्टर श्री आशीष सिंह, श्री रूप पमनानी, विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.अखिलेश कुमार पाण्डेय, कालिदास अकादमी की प्रभारी निदेशक सुश्री प्रतिभा दवे, उप निदेशक डॉ.योगेश्वरी फिरोजिया एवं अन्य गणमान्य नागरिक मौजूद थे। अतिथियों द्वारा सर्वप्रथम महाकवि कालिदास और पं.सूर्यनारायण व्यास के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलितल कर पुष्पांजली अर्पित की गई। इसके पश्चात शासकीय माधव संगीत महाविद्यालय के साधकों द्वारा नन्दीपाठ, कुलगान और मध्य प्रदेश गान प्रस्तुत किया गया। प्रभारी निदेशक श्रीमती दवे, उप निदेशक डॉ.फिरोजिया आदि ने अतिथियों का पुष्पगुच्छ कर सम्मान किया।
स्वागत भाषण कुलपति प्रो.पाण्डेय द्वारा दिया गया। डॉ.संतोष पण्ड्या ने कालिदास समारोह कार्यक्रम के प्रतिवेदन का वाचन किया। अतिथियों द्वारा विक्रम शोध पत्रिका के कालिदास विशेषांक का तथा कालिदास चित्र एवं मूर्तिकला प्रदर्शनी की चित्र पुस्तिका का विमोचन किया गया।
कार्यक्रम का संचालन विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो.शैलेंद्र कुमार शर्मा ने किया और अन्त में आभार कालिदास अकादमी के सहायक निदेशक डॉ.संतोष पण्ड्या ने प्रकट किया। अन्त में कार्यक्रम का समापन संस्कृत महाविद्यालय के साधकों की भरतवाक्यम की प्रस्तुति के साथ सम्पन्न हुआ।