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विक्रमादित्य सार्वभौम शासक थे और महाकवि कालिदास उनके रत्न - डॉ. राजपुरोहित राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं व्याख्यान सम्पन्न



उज्जैन | अखिल भारतीय कालिदास समारोह के अवसर राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं व्याख्यान सत्र की अध्यक्षता प्रसिद्ध विद्वान् डॉ.भगवतीलाल राजपुरोहित ने की। इस सत्र में शोधालेख प्रस्तुत करते हुए डॉ.पीयूष त्रिपाठी ने कहा महाकवि कालिदास ने लोक मंगल के लिए प्रवृत्त शासकों को आदर्श माना है। उन्होंने सभी के कल्याण की कामना की है। प्रो. बालकृष्ण शर्मा ने अनुसंधान कार्य के लिए कालिदासीय पाठ की दो प्रकार की स्थितियों की चर्चा करते हुए कहा कि मूल पाठ को दृष्टि पथ रखते हुए प्रत्येक शब्द की सूक्ष्मता से पड़ताल करना चाहिए। डॉ.देवेंद्र जोशी उज्जैन ने कहा कि पं. मोरेश्वर शास्त्री ने ज्योतिष गणना के आधार पर कालिदास की जन्म तिथि 22 जून निर्धारित की है। कालिदास की मानवता और प्रकृति विषयक दृष्टि को जन-जन तक पहुंचाने चाहिए। डॉ.गोविंद गंधे ने कहा कि कालिदास का काम लोकोपकार के लिए है। मेघ का जीवन परहित के लिए समर्पित है। डॉ.पूजा उपाध्याय, डॉ.वंदना त्रिपाठी, डॉ.अखिलेश द्विवेदी, डॉ.हिम्मतलाल शर्मा, डॉ.संकल्प मिश्र, डॉ.शुभम् शर्मा सभी उज्जैन ने भी अपने शोधालेख प्रस्तुत किए।
व्याख्यान
   सम्राट विक्रमादित्य और कालिदास: ऐतिहासिक एवं पुरातात्त्विक साक्ष्य पर विशिष्ट व्याख्यान देते हुए डॉ.भगवतीलाल राजपुरोहित ने कहा कि पारम्परिक पुराण इतिहास हैं, वे महत्त्वपूर्ण प्रमाण उपलब्ध कराते हैं। विक्रमादित्य सार्वभौम शासक थे। उनका चित्रण भोज कृति श्रृंगारमंजरी कथा में मिलता है। भोज के शृंगार प्रकाश में विक्रमादित्य एवं कालिदास की समकालीनता का उल्लेख मिलता है। ज्योतिर्विदाभरण कालिदास से संबंध महत्त्वपूर्ण साहित्यिक साक्ष्य उपलब्ध कराता है। अनेकों सीलों और मुद्राओं पर विक्रम कृत आदि अंकन मिलता है, जो ई.पूर्व प्रथम सदी के है।
   प्रख्यात मुद्राशास्त्री डॉ. आर.सी. ठाकुर ने कहा कि विक्रमादित्य और कालिदास से सम्बद्ध अनेक मुद्राशास्त्रीय प्रमाण प्राप्त हुए हैं। मुद्रा पर संवत् अंकित करने की परम्परा उज्जैन से प्रारंभ हुई है। यक्ष की अनेक आकृतियाँ मालवा में उलपब्ध होती हैं जो ईसा पूर्व प्रथम शती की हैं। शिव-पार्वती विवाह, शिप्रा, गंभीर नदी आदि का चित्रण सिक्कों पर हुआ है।
   पुराविद् डॉ.रमण सोलंकी ने कहा कि हाल के दौर में विक्रमादित्य से सम्बन्धित अनेक महत्वपूर्ण पुरात्तात्विक साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। पुराविदों ने लोक अनुश्रुतियों को दृष्टिगत रखते हुए विक्रमादित्य से जुड़े महत्वपूर्ण प्रमाण प्राप्त हुए हैं। विक्रमादित्य से सम्बद्ध मुद्राएँ, सील आदि साक्ष्य के रूप में उपलब्ध हैं।
   इस अवसर पर प्रो.बालकृष्ण शर्मा, श्री बृजकिशोर शर्मा, डॉ.अरुण वर्मा सहित अनेक सुधी विद्वान एवं छात्र उपस्थित थे।
   प्रारंभ में डॉ.राजपुरोहित का शाल एवं पुष्पमाला से सम्मान श्रीमती प्रतिभा दवे, डॉ.योगेश्वरी फिरोजिया एवं प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ.सदानंद त्रिपाठी ने किया तथा मंगलाचरण डॉ.सन्तोष पण्ड्या ने किया।
संस्कृत नाटक दीपशिखा की प्रभावी प्रस्तुति
   कालिदास समारोह की प्रथम संध्या वरिष्ठ रंग निर्देशक श्री सतीश दवे के निर्देशन में परिष्कृति संस्था उज्जैन द्वारा की गई। कलाकारों ने महाकवि की सातों रचनाओं पर केन्द्रित विविध दृश्यों का सुंदर प्रस्तुतिकरण किया। अभिनय, संगीत, वाचिक, आहार्य से सज्जित इस प्रस्तुति को दर्शकों की सराहना प्राप्त हुई। कलाकारों का स्वागत विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.अखिलेश कुमार पाण्डेय ने किया। संचालन डॉ.पांखुरी जोशी ने किया।   
कालिदास समारोह का समापन 27 नवम्बर को सायं 4 बजे
   अखिल भारतीय कालिदास समारोह का समापन 27 नवम्बर को सायं 4 बजे पं.सूर्यनारायण व्यास सांस्कृतिक कला संकुल में मुख्य अतिथि डॉ.मोहन यादव, उच्च शिक्षा मंत्री म.प्र. शासन होंगे, सारस्वत अतिथि प्रो.बालकृष्ण शर्मा पूर्व कुलपति विक्रम विश्वविद्यालय, अध्यक्ष सांसद श्री अनिल फिरोजिया, तथा विधायक श्री पारस जैन की विशिष्ट सन्निधि में सम्पन्न होगा।
   इस अवसर पर राष्ट्रीय कालिदास चित्र एवं मूर्तिकला प्रतियोगिता की पुरस्कृत कलाकृतियों के कृतिकारों को पुरस्कार तथा कालिदास समारोह के अवसर पर आयोजित विविध प्रतियोगिताओं के विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कार दिये जायेंगे।
   सांस्कृतिक संध्या में रात्रि 7 बजे मालवी नृत्य नाटिका ऋतुसंहार की प्रस्तुति लोकायन कला केन्द्र, उज्जैन द्वारा श्रीमती प्रज्ञा गढ़वाल के निर्देशन में की जायेगी।
   इससे पूर्व प्रातः 10 बजे शोध संगोष्ठी एवं व्याख्यान आयोजित होगा। संगोष्ठी का विषय कालिदास साहित्य के विविध आयाम है। अश्विनी शोध संस्थान, महिदपुर के निदेशक एवं पुरातत्वविद् डॉ.आर.सी. ठाकुर कालिदास साहित्य में शिव के विविध रूप एवं उनका शिल्पांकन शीर्षक व्याख्यान देंगे।
 

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