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हरित ऊर्जा से रोशन होगा शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज


उज्जैन । इंदौर रोड स्थित शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज जल्द ही हरित ऊर्जा से रोशन होगा। नोएडा की अज्यूर कंपनी ने 100 किलोवॉट क्षमता का सोलर प्लांट लगाने को सामान कॉलेज कैम्पस में रख दिया है। दीपावली के आसपास कॉलेज की छत पर सोलर पैनल लगाए जाने की तैयारी है। बता दें कि साल 2018 में ऊर्जा विकास निगम, उच्च शिक्षा विभाग और अज्यूर कंपनी ने करार किया था। करार यह कि कंपनी अपने खर्च पर कॉलेज में 100 किलोवाट क्षमता का सोलर प्लांट स्थापित करेगी। इसके बदले उन्हें बेहद सस्ती दर 2 रुपए 21 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली बेचेगी। इससे कॉलेज का बिजली खर्च बहुत कम हो जाएगा। इस बात को दो साल गुजर गए हैं। अज्यूर कंपनी ने अब जाकर सोलर प्लांट स्थापित करने को सामान कॉलेज कैम्पस में पटका है। कहा गया है कि दीपावली के आसपास कॉलेज की छत पर सोलर पैनल लगा देंगे। महीनेभर में काम पूरा हो जाएगा। संभवत: जनवरी-2021 से कॉलेज सौर ऊर्जा से उत्पन्न् बिजली से रोशन होगा।

क्या है हरित ऊर्जा

हरित ऊर्जा ऐसी ऊर्जा है, जिसे पर्यावरण को प्रभावित किए बिना अवतरित, उत्पन्न् कर उपयोग में लाया जा सके। सतत् विकास के लिए हरित ऊर्जा ही एक मात्र विकल्प है। सूर्य की रोशनी से उत्पन्न् ऊर्जा इसी का एक उदाहरण है।

विक्रम विवि और संस्कृत विवि में भी लगना था प्लांट, पर नहीं लग पाया

उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय और महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय में भी सोलर प्लांट लगना था पर जमीन की अनुपलब्धता, मौजूदा इमारतों की छतें तकनीकी मापदंड अनुरूप उपयुक्त न होने की वजह से नहीं लग सका। एक कारण, एमओयू देरी से साइन करना भी बताई गई है। ऊर्जा विकास निगम का कहना है कि विश्वविद्यालय अगर जमीन उपलब्ध कराने का अभिवचन देता है तो रेस्को-5 अंतर्गत प्लांट लगाया जा सकता है। बता दें कि दो साल पहले ही ऊर्जा विकास निगम, उच्च शिक्षा विभाग और अज्यूर कंपनी ने विक्रम विश्वविद्यालय में 400 किलोवाट और संस्कृत विवि में 100 किलोवाट क्षमता का सोलर प्लांट स्थापित करने का करार किया था। ऊर्जा विकास निगम के संभागीय कार्यपालन अधिकारी आलोक व्यास ने बताया कि 'विक्रम विवि ने एमओयू सात माह देरी से साइन किया, जमीन भी उपलब्ध नहीं कराई, और संस्कृत विवि के पास प्लांट लगाने को जमीन है ना तकनीकी रूप से उपयुक्त छत। ऐसे में वहां सोलर प्लांट स्थापित नहीं किया जा सकता। अब यहां प्लांट तभी लग सकता है जब विवि जमीन उपलब्ध कराने को अभिवचन पत्र दें।'

100 किलोवाट का प्लांट लगाने को चाहिए 14500 वर्ग फीट जमीन
ऊर्जा विकास निगम के अनुसार 100 किलोवाट क्षमता का सोलर प्लांट लगाने के लिए 14500 वर्ग फीट और 400 किलोवाट क्षमता का प्लांट लगाने के लिए 58,000 वर्ग फीट जमीन चाहिए। स्थिति यह है कि संस्कृत विवि के पास इतनी जमीन नहीं है। विक्रम विवि इतनी जमीन देना नहीं चाहता। विक्रम विवि ने तो एमओयू भी डिपार्टमेंट की इमारतों पर सोलर पैनल लगाने का साइन किया था।

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