मौनी अमावस्या 29 जनवरी को
इस बार 29 जनवरी को माघ मास के कृष्ण पक्ष की मौनी अमावस्या है, जो विशेष महत्व रखती है। यह दिन सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर जाने के पहले महापर्व के रूप में मनाया जाता है। इस समय प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन हो रहा है।
सभी तीर्थ स्थलों पर मौनी अमावस्या पर स्नान, दान, तर्पण आदि का खास महत्व होता है। इस दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र और सिद्धि योग का संयोग बन रहा है, जो इसे और भी खास बनाता है।
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला के अनुसार, भारतीय ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति के आधार पर कुंभ, महाकुंभ और सिंहस्थ जैसे विशेष योग बनते हैं। इस बार के योग में प्रयागराज में स्नान का बड़ा महत्व है। हालांकि, यदि वहां जाना संभव न हो, तो अन्य तीर्थ स्थलों पर भी कल्पवास किया जा सकता है।
सूर्य का उत्तरायण 14 जनवरी को हो चुका था, और मकर संक्रांति का पहला पर्व मौनी अमावस्या के दिन, यानी 29 जनवरी को मनाया जाएगा। यह दिन पितरों की पूजा और जन्म कालिक दोषों की निवृत्ति के लिए शुभ फल देने वाला माना जाता है। जिन जातकों का जन्म अमावस्या तिथि पर हुआ है, उन्हें इस दिन विशेष अनुष्ठान करना चाहिए, जो उनके जीवन को अनुकूल बना सकता है।
मौनी अमावस्या पर अन्नदान, वस्त्रदान और अन्य दान का भी विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पितरों के निमित्त धूप-दीप जलाना, तर्पण और पिंड दान करना चाहिए। इसके साथ ही वस्त्रदान, अन्नदान और पात्र दान का संकल्प लेकर ब्राह्मणों को दान देना चाहिए। ऐसा करने से पितरों की अनुकूलता मिलती है और परिवार में सुख-शांति के साथ आर्थिक समृद्धि की प्राप्ति होती है।