कृषि उत्पादन आयुक्त ने ली एपीसी की बैठक
प्रमुख सचिव सहकारिता ने संभागायुक्त एवं कलेक्टर द्वारा किये गये कार्यों की सराहना की उत्पादन आयुक्त ने सांची के पार्लर की संख्या बढ़ाने एवं प्रोडक्ट का इस्तेमाल मन्दिरों में भी करने के निर्देश दिये
उज्जैन | प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं कृषि उत्पादन आयुक्त श्री केके सिंह ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उज्जैन संभाग के सभी जिलों की खरीफ-2020 एवं रबी 2020-21 की तैयारी की समीक्षा की। उन्होंने पशुपालन एवं डेयरी, कृषि एवं कृषि से सम्बन्धित संस्थाएं, उद्यानिकी, सहकारिता एवं मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विभाग में अब तक हुए कार्यों की समीक्षा की एवं आवश्यक निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सांची का दूध मात्र 25 प्रतिशत ही उज्जैन में सेल होता है। 34 हजार लीटर दूध प्रतिदिन बिकता है, जो कि काफी कम है। इसके कारण सांची को अपने दूध को पावडर में परिवर्तित करना पड़ता है। उन्होंने जिले में सांची के पार्लर की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिये और कहा कि महाकाल मन्दिर एवं अन्य मन्दिरों में सांची के दूध, घी एवं प्रसाद के रूप में पेड़े का उपयोग किया जाये। प्रमुख सचिव पशुपालन एवं डेयरी श्री जेएन कंसोटिया ने कहा कि कोविड-19 एवं विभिन्न शादी-ब्याह कम होने के चलते दूध की खपत कम हुई है। इसके चलते दुग्ध संघ को 20 करोड़ रुपये का लोन विभिन्न बैंकों से लेना पड़ा है और आठ करोड़ रुपये की सहायता शासन द्वारा दी गई है। उन्होंने कलेक्टर को निर्देश दिये कि 50 लीटर वाली दुग्ध सहकारी समिति एवं उससे नीचे वाली दुग्ध समितियों को समाप्त किया जाये। इनके कारण ट्रांसपोर्ट महंगा पड़ता है। सीईओ दुग्ध संघ को बुलाकर कलेक्टर उक्त निर्णय लें। श्री कंसोटिया ने बताया कि उज्जैन संभाग के सात जिलों में 1929 समितियां हैं। उसके बावजूद दूध की खपत कम है। उन्होंने किसान क्रेडिट कार्ड की प्रगति की समीक्षा की और कहा कि दुग्ध उत्पादन किसानों के क्रेडिट कार्ड 31 दिसम्बर तक बनाये जा सकते हैं। उज्जैन दुग्ध समिति में 72 हजार सदस्य हैं, किन्तु मात्र 14 प्रतिशत लोगों के केसीसी बने हुए हैं। उन्होंने कलेक्टर को निर्देश दिये कि डीएलसीसी की बैठक बुलाकर उज्जैन जिले के दुग्ध उत्पादक किसानों की शत-प्रतिशत क्रेडिट कार्ड बनवाना सुनिश्चित करें। कृषि उत्पादन आयुक्त ने निर्देश दिये कि प्राथमिकता से सभी कलेक्टर किसान क्रेडिट कार्ड बनाना सुनिश्चित करें। उन्होंने उज्जैन कलेक्टर को निर्देश दिये कि दुग्ध संघ का पैसा जेल एवं होस्टल में फंसा हुआ है, उसे निकलवाकर जमा करवाया जाये। सांची के प्रोडक्ट के प्रचार-प्रसार के लिये होर्डिंग्स लगाये जायें। संभागायुक्त श्री आनन्द कुमार शर्मा ने कृषि उत्पादन आयुक्त को अवगत कराया कि उन्होंने संभाग में चार-पांच गौशाला देखी हैं। वर्तमान में गोमूत्र से फिनाइल बनाने का कार्य लिया है। गौशाला के आसपास की खाली जमीनों का उपयोग भी किया जा रहा है, ताकि अतिक्रमण न हो सके। मनरेगा के माध्यम से छोटे-छोटे शेड लगाये जायेंगे। उन्होंने कहा कि दुग्ध संघ की मार्केटिंग में कमी है। उन्होंने आश्वासन दिया कि सांची के उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार कर शहर में 50 पार्लरों की संख्या बढ़ाई जायेगी। कृषि उत्पादन आयुक्त ने निर्देश दिये कि रेलवे स्टेशन में भी पार्लर स्थापित किये जायें। गोसेवकों को ट्रेनिंग दिया जाये। गौशाला में योगा सेन्टर, वाटरशेड, सोलर इनर्जी प्लांट एवं एक छोटा गेस्ट हाऊस भी बनाया जाये। समय-समय पर एनसीसी एवं एनएसएस तथा गाइड के बच्चे आकर वहां कुछ सीख सकें। कलेक्टर श्री आशीष सिंह ने बताया कि किसान क्रेडिट कार्ड जल्द ही शत-प्रतिशत बना दिये जायेंगे। गौशाला निर्माण का कार्य भी पूर्ण कर लिया जायेगा एवं महिला स्व-सहायता समूह से संचालित कराया जायेगा। महाकाल मन्दिर एवं अन्य मन्दिरों में सांची के प्रोडक्ट को बढ़ावा दिया जायेगा।
प्रमुख सचिव सहकारिता ने संभागायुक्त एवं कलेक्टर
द्वारा किये गये कार्यों की सराहना की
प्रमुख सचिव सहकारिता श्री उमाकान्त उमराव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सहकारिता विभाग के कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने संभागायुक्त श्री आनन्द कुमार शर्मा एवं कलेक्टर श्री आशीष सिंह को सहकारिता के क्षेत्र में किये गये कार्यों के लिये बधाई दी एवं वसूली में अपेक्षित प्रगति लाने पर दोनों की भरपूर सराहना की और कहा कि संभाग की सहकारिता की टीम ने तारीफ के लायक कार्य किया है। उन्होंने कहा कि फसल ऋण वितरण में भी संभाग के सभी जिलों ने अपेक्षित प्रगति लाई है। बैंकों की स्थिति अच्छी, सक्षम है और ऋण देने की स्थिति में है। उज्जैन संभाग की वसूली की दर 65 से 77 प्रतिशत तक है। पिछले साल की अपेक्षा इस साल वसूली बेहतर रही है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में 187 करोड़ रुपये ऋण माफी के लिये संभाग को दिये गये हैं। उक्त राशि का पूरा समन्वय किया जाये। उन्होंने कहा कि यूरिया में पेमेंट का टाईम पूर्व में 90 दिन का था, किन्तु अब 30 दिन का हो गया है, इसलिये टाईम से यूरिया का उठाव कर वसूली भी समय-सीमा के भीतर की जाये। उन्होंने कहा कि फर्टिलाइजर का उठाव कर किसानों को वितरित की जाये। उन्होंने कहा कि पीओएस मशीन के माध्यम से फर्टिलाइजर बेचा जा रहा है, लेकिन आधार कार्ड के आधार पर भी फर्टिलाइजर बेचा जा सकता है।
चना, मसूर, मटर का रकबा बढ़ने पर कृषि उत्पादन आयुक्त ने की इसकी सराहना
उज्जैन संभाग में चना, मसूर, मटर का रकबा बढ़ा है। हालांकि इसके चलते गेहूं का रकबा घटा है। कृषि उत्पादन आयुक्त ने इसकी सराहना करते हुए कहा कि यह अच्छी स्थिति है। संभाग में सरसों का रकबा भी बढ़ा है और किसान सरसों की ओर आकर्षित हुए हैं। उन्होंने कहा कि बीज की कोई समस्या नहीं है। उन्होंने कहा कि फसल बीमा योजना में मुआवजा की राशि की गणना कर बैंक को अवगत कराया जाये। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने 22 लाख मैट्रिक टन डीएपी देने का वादा किया है। कलेक्टर श्री आशीष सिंह ने कहा कि जिले में मटर का रकबा 10 हजार हेक्टेयर है। खासकर बड़नगर तहसील में है। 15 हजार मैट्रिक टन यूरिया की आवश्यकता अक्टूबर माह में होगी। अधिकारियों ने कहा कि जिले को आगामी तीन से चार माह में 61 मैट्रिक टन यूरिया प्रदान कर दिया जायेगा। कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि जिला प्रशासन किसानों को सरसों की खेती करने के लिये प्रोत्साहित करे। सरसों कम पानी में पैदा होता है तथा इसका दाम भी अच्छा मिलता है।
मसाला, औषधी एवं फलोद्यान में उज्जैन संभाग प्रदेश में प्रथम स्थान पर
उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग की कमिश्नर श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संभाग में औषधिय, मसाला एवं फलोत्पादन की खेती में हुई प्रगति की समीक्षा की और कहा कि मसाला, औषधिय एवं फलोद्यान में उज्जैन संभाग प्रदेश में प्रथम स्थान पर है। उज्जैन में 23 नर्सरी है, जिसकी देखरेख महिला स्व-सहायता समूह की महिलाएं कर रही हैं। मनरेगा के माध्यम से भी निजी खेतों में फलोद्यान में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। उन्होंने कहा कि मनरेगा से किसान जितना लाभ लेना चाहते हैं ले लें। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के अन्तर्गत वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के अन्तर्गत संभाग के सभी जिलों का चयन एक फसल के लिये किया गया है। 2020-21 में सारा फोकस उस फसल पर रहेगा। उज्जैन जिले में प्याज, देवास में आलू, शाजापुर में प्याज, आगर में सन्तरा, रतलाम एवं मंदसौर में लहसुन तथा नीमच में धनिया के उत्पादन पर विशेष ध्यान दिया जायेगा। उन्होंने सभी कलेक्टर्स को निर्देश दिये कि इस एक फसल पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया जाये। बताया गया कि उज्जैन जिले की महिदपुर एवं शाजापुर जिले के शुजालपुर में उद्यानिकी का मॉडल बनाया जायेगा। इसके लिये उन्होंने सभी कलेक्टर्स को कार्य योजना बनाने के निर्देश दिये। संभागायुक्त श्री आनन्द कुमार शर्मा ने बताया कि उद्यानिकी के क्षेत्र में उज्जैन की स्थिति अच्छी है। सभी कलेक्टर के साथ मिलकर तय किया गया है कि एक एवं दो एकड़ के किसानों तक पहुंचा जायेगा और उन्हें मसाला, औषधी एवं फलोद्यान से सम्मानजनक आय का महत्व बताया जायेगा। उन्होंने बताया कि जिले में शहरी क्षेत्र में पांच एवं ग्रामीण क्षेत्र में 13 नर्सरी हैं। सभी नर्सरी सड़क के किनारे स्थित हैं, इसलिये पौधों का प्रदर्शन नर्सरी के बाहर किया जायेगा, ताकि आते-जाते लोग पौधे खरीद सकें।
किसानों के सभी खेत-तालाब के प्रस्ताव को स्वीकृत किया जायेगा
कृषि उत्पादन आयुक्त ने बताया कि किसान यदि खेत में तालाब बनाना चाहते हैं तो उनके द्वारा भेजे गये सभी प्रस्ताव को स्वीकार किया जायेगा। सभी मत्स्य पालकों के किसान क्रेडिट कार्ड बनाने के निर्देश उन्होंने दिये। मत्स्य विभाग के प्रमुख सचिव श्री अश्विनी राय ने कहा कि मछली की मार्केटिंग में कोई समस्या नहीं है। व्यक्ति तालाब से मछली ले जाता है तो तत्काल नगद राशि का भुगतान करता है। प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत के अन्तर्गत मत्स्य उद्योग को बढ़ावा देने के लिये 20 हजार करोड़ रुपये की राशि दी है। अनुसूचित जाति, जनजाति के व्यक्तियों के लिये सब्सिडी की भी व्यवस्था है। कोई भी व्यक्ति मछली का व्यवसाय कर सकता है। उन्होंने संभागायुक्त को निर्देश दिये कि गांधी सागर में पाई जाने वाली मछलियों का निर्यात कलकत्ता में हो जाता है। आवश्यकता है कि 10 प्रतिशत मछली स्थानीय लोगों के लिये भी रखी जाये। संभागायुक्त श्री शर्मा ने बताया कि मत्स्य के एरिया में अभी बहुत कुछ कार्य करना बाकी है। बने हुए तालाबों में मत्स्य पालन कराकर जीआईएस टैगिंग कराई जायेगी।
जिले की एनआईसी कक्ष में संभागायुक्त श्री आनन्द कुमार शर्मा, कलेक्टर श्री आशीष सिंह, जिला पंचायत सीईओ श्री अंकित अस्थाना सहित सम्बन्धित विभाग के अधिकारीगण उपस्थित थे।