वनस्टाप सेन्टर में प्रगति लायें, अन्यथा डीपीओ एवं सीडीपीओ पर कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी -कमिश्नर
कमिश्नर ने सभी गर्भवती महिलाओं के शत-प्रतिशत पंजीयन करने एवं कुपोषित बच्चों को एनसीआर में भर्ती करने के दिये निर्देश कमिश्नर ने महिला एवं बाल विकास विभाग की कार्य योजना की समीक्षा की
उज्जैन | उज्जैन संभाग कमिश्नर श्री आनन्द कुमार शर्मा ने आज महिला एवं बाल विकास विभाग की कार्य योजना तथा संभाग स्तरीय समीक्षा बैठक सह कार्यशाला की अध्यक्षता की एवं महिला एवं बाल विकास विभाग की कार्य योजना की समीक्षा की। उन्होंने दो टूक सभी डीपीओ एवं सीडीपीओ को चेतावनी दी कि वे अपने-अपने जिले में वनस्टाप सेन्टर को संचालित करने में प्रगति लायें। उन्होंने देवास, आगर-मालवा एवं शाजापुर में अब तक अपेक्षित प्रगति न आने पर नाराजगी व्यक्त की और कहा कि यह जिले ठीक से प्रचार-प्रसार नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह जिले एक माह में प्रगति लायें, अन्यथा इन जिलों के डीपीओ एवं सीडीपीओ पर कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी। उन्होंने निर्देश दिये कि वनस्टाप सेन्टर के आसपास अतिक्रमण न हो पाये। उल्लेखनीय है कि कमिश्नर श्री शर्मा आज आगर-मालवा, उज्जैन, शाजापुर एवं देवास के महिला एवं बाल विकास विभाग की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने सभी गर्भवती महिलाओं के शत-प्रतिशत पंजीयन कराने पर जोर देते हुए कहा कि पंजीयन से कोई भी गर्भवती महिला छूटे ना। साथ ही उन्होंने कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केन्द्र में भर्ती कर उनका उपचार सुनिश्चित करने के निर्देश दिये। उल्लेखनीय है कि उज्जैन संभाग में 9190 अतिकुपोषित बच्चे हैं। साथ ही अतिकम वजन के बच्चों की संख्या 15764 है।
कमिश्नर ने उक्त स्थिति पर गंभीर नाराजगी जाहिर करते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों से कहा कि गर्भवती महिलाओं एवं शिशुओं में कुपोषण दूर करने के लिये वे जो प्रयास कर रहे हैं, वे नाकाफी हैं। इसके लिये और अतिरिक्त प्रयास करने होंगे, क्योंकि माताओं से ही बच्चों में कुपोषण आता है, इसलिये गर्भवती महिलाओं की प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय एएनसी ठीक से की जाये। कुपोषण के आंकड़े हर वर्ष एक जैसे हैं, इसमें कोई सुधार नहीं हो रहा है। शिशु जन्म के आंकड़ों में भी स्वास्थ्य विभाग एवं महिला बाल विकास विभाग में अन्तर है। कमिश्नर ने कहा कि सभी अधिकारी, सुपरवाइजर, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एक-एक गर्भवती महिला का शत-प्रतिशत पंजीयन करने में विशेष निगरानी रखें। स्वयं घरों तक पहुंचें। कमिश्नर ने बताया कि जल्द ही महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा एक एप का निर्माण किया जा रहा है। एप के माध्यम से सभी गर्भवती महिलाओं के पंजीयन की जानकारी इन्द्राज की जायेगी। साथ ही एएनसी चैकअप की जानकारी भी एप में डाली जायेगी। एप के माध्यम से ही अलर्ट का मैसेज आयेगा कि गर्भवती महिला का एएनसी चैकअप हो गया है। उन्होंने कुपोषित गर्भवती महिलाओं के चिन्हांकन के भी निर्देश दिये।
कमिश्नर ने बैठक में निर्देश दिये कि जो आंगनवाड़ी भवन किराये के भवन में संचालित हो रहे हैं, उन्हें शासकीय भवनों या सामुदायिक केन्द्र में स्थानान्तरित किया जाये। संभाग में कुल 10765 आंगनवाड़ी केन्द्र हैं, जिनमें से 3259 आंगनवाड़ी केन्द्र किराये के भवन में संचालित हो रहे हैं। उन्होंने आंगनवाड़ी भवनों में पेयजल एवं शौचालय की अद्यतन स्थिति की समीक्षा की तथा निर्देश दिये कि सभी डीपीओ कलेक्टर के ध्यान में यह बात लायें कि जिन आंगनवाड़ी केन्द्रों में पेयजल एवं शौचालय की स्थिति नहीं है वहां उपरोक्त सुविधाएं उपलब्ध करायें। कमिश्नर ने प्रधानमंत्री मातृ वन्दना योजना की समीक्षा की। कमिश्नर ने शिशु स्वास्थ्य सूचकांक की समीक्षा करते हुए बताया कि नवजात मृत्यु दर के मामले भारत में 100 में से 34 हैं, वहीं मध्य प्रदेश में 47 हैं। इस स्थिति को बदलने की आवश्यकता है। समीक्षा के दौरान उन्होंने पाया कि गर्भवती माताओं के पंजीयन एवं प्रसवपूर्व जांच 17821 होना था लेकिन संभाग में मात्र 14767 गर्भवती माताओं का ही पंजीयन एवं प्रसवपूर्व जांच हो पाई।
कमिश्नर ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिये कि जिन बच्चों को गोद दिया गया है, उनके ऑनर को बच्चों के वजन एवं अन्य गतिविधि की जानकारी एसएमएस के माध्यम से समय-समय पर मिलती रहे। इससे बच्चों के पालकों में ऑनरशिप की भावना आयेगी। कमिश्नर ने आंगनवाड़ी केन्द्रों में पोषण आहार के वितरण की जानकारी ली। बताया गया कि देवास, शाजापुर और आगर-मालवा में लॉकडाउन के कारण कुछ दिक्कतें आईं। आंगनवाड़ी केन्द्र बन्द होने के चलते घर-घर जाकर पोषण आहार का वितरण किया गया। कमिश्नर श्री शर्मा ने कहा कि पोषण आहार वितरण का सुपरवाइजर द्वारा निरन्तर मॉनीटरिंग की जाये। बताया गया कि घर-घर जाकर जो पोषण आहार दिया जा रहा है, उसका पंचनामा भी हितग्राहियों के हस्ताक्षर से बनाया जाता है। कमिश्नर ने निर्देश दिये कि पोषण आहार वितरण का परीक्षण करने के लिये एक सिस्टम डेवलप किया जाये, जिससे पता चल सके कि वाकई में घर-घर जाकर पोषण आहार का वितरण किया जा रहा है। इसके लिये सोशल ऑडिट भी किया जाये। उन्होंने खाचरौद एवं बड़नगर में बड़ी संख्या में कुपोषित बच्चों की उपस्थिति पर चिन्ता जाहिर की एवं सीडीपीओ को निर्देश दिये कि वे घर-घर जाकर कुपोषित बच्चों का चिन्हांकन करें एवं कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केन्द्र में भर्ती करायें। कमिश्नर ने सम्प्रेषण गृह एवं बालिका गृह, बाल आश्रय गृह में अशासकीय संस्थाओं को जोड़ने के निर्देश दिये। उन्होंने लाड़ली लक्ष्मी योजना की समीक्षा की।
कमिश्नर ने नवदम्पत्तियों का चिन्हांकन, पोषण पुनर्वास केन्द्र की समीक्षा की और कहा कि महिला एवं बाल विकास विभाग का मुख्य उद्देश्य गर्भवती महिलाओं का चिन्हांकन, पंजीयन, पोषण परामर्श, कुपोषण निवारण हेतु सामुदायिक प्रबंधन करना है, जिससे नवजात शिशु मृत्यु दर में एवं मातृ मृत्यु दर में कमी लाई जा सके। अतिकम वजन के बच्चों की संख्या में कमी लाई जा सके तथा दो बच्चों के मध्य तीन वर्ष के अन्तर का निर्धारण हो। इससे कम वजन के बच्चों के जन्म की स्थिति में सुधार होगा एवं संक्रमण तथा एनीमिया की स्थिति में सुधार होगा।
बैठक में संयुक्त संचालक श्री एनएस तोमर, जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री गौतम अधिकारी, उप संचालक डॉ.मंजुला तिवारी तथा उज्जैन, देवास, शाजापुर एवं आगर-मालवा के डीपीओ एवं सीडीपीओ उपस्थित थे।