सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का समापन
उज्जैन । उज्जैन में सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा की शोभायात्रा के साथ हुई पूर्णाहुति हुई | सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा की शरण में आने वालों का कल्याण करते हैं। जो भी उनकी शरण में आ जाता है, उसका कल्याण होता है। शरण में आने वालों के कल्याण के लिए भगवान अपने ऊपर कलंक तक ले लेते हैं। लेकिन शरणागत को निराश नहीं करते हैं। भगवान को जिसने भी स्वीकार किया वह भगवान का हो गया इसलिए कहा गया है कि “हरि को भजे सो हरि का होई“। भगवान शरणागत को स्वीकार करने के साथ-साथ समाज में उसके सम्मान की प्रतिष्ठा भी करते हैं।
उज्जैन में सप्त दिवसीय भागवत कथा के समापन भव्य शोभायात्रा निकालकर किया गया | महर्षि कार्तिकेय महाराज के अनुग्रह, माताश्री किशोरीजी की अनुकम्पा, स्वामी कृष्णानंद महाराज, हरिहर महाराज के आशीर्वाद तथा गीता किशोरीजी (लाली बहनजी) के सानिध्य में सामाजिक न्याय परिसर में आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा यज्ञ की पूर्णाहुति के अवसर पर बाल व्यास पं. श्रीकांत शर्मा ने कही। भगवान ने यह शिक्षा दी कि जो भी उनकी शरण में आएगा उनका कल्याण होगा। भगवान शरणागत को नहीं छोड़ सकते हैं यह मानी हुई बात है, इसलिए जो उनकी शरण में जाता है उनका कल्याण होता है। राम और कृष्ण दोनों ने ही नारियों के सम्मान की रक्षा की है। श्री राम ने सीता के उद्धार के लिए रावण और अन्य असुरों का वध किया तो श्री कृष्ण चंद्र जी ने नारी सम्मान की रक्षा के लिए भौमासुर और अन्य असुरों का वध किया। गोपियों को आनंद देने वाले द्रोपदी की लाज बचाने वाले श्री कृष्ण हमारे कहीं गए नहीं है। भक्ति करोगे तो यत्र तत्र सर्वत्र वो दिखने लगेंगे। भव्य शोभा यात्रा प्रमुख मार्गो से निकाली गई। पूज्य बाल व्यास श्रीकांत शर्मा ने मुख्य यजमान उमा सत्यनारायण जायसवाल, श्वेता विवेक, ध्रुव, प्रणिति, क्रतिदा जायसवाल का अभिनन्दन मय आभार किया।