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जैविक अपनायें, स्वस्थ निरोगी काया पायें



जैविक उत्पादों के प्रति लोगों का जबरदस्त रूझान, शहर के किसान ईश्वरसिंह ढाई बीघा जमीन पर कर रहे जैविक खेती, अपनी उपज की खुद ही मार्केटिंग और सेलिंग कर रहे
उज्जैन | शहर के प्रगतिशील और जागरूक किसान ईश्वरसिंह ने अपनी ढाई बीघा कृषि भूमि पर पूरी तरह से जैविक खेती को अपना लिया है। ईश्वरसिंह का शंकरपुर मक्सी रोड स्थित हरे कृष्णा जैविक कृषि फार्म है, जहां सब्जियां, फल और अनाज पूरी तरह जैविक तरीके से उगाये जाते हैं। इनके यहां शुद्ध कच्ची घानी का तेल और जैविक तथा स्वास्थ्यवर्द्धक गुड़ भी मिलता है।

    ईश्वरसिंह बताते हैं कि सन 2013 से उन्होंने अपने ढाई बीघा जमीन पर पूर्ण रूप से जैविक खेती प्रारम्भ कर दी है। इनका फार्म मध्य प्रदेश राज्य जैविक प्रमाणीकरण संस्था भोपाल से पंजीकृत भी है। ऐसे सभी जैविक पंजीकृत किसानों का एक समूह ईश्वरसिंह ने बनाया है। ये सभी बिना बिचौलियों के खुद अपनी उपज की मार्केटिंग करते हैं और उन्हें सीधे जनता के बीच जाकर बेचते हैं। इससे किसानों को उनकी मेहनत का शत-प्रतिशत लाभ तो मिल ही रहा है, साथ ही लोगों को जैविक खाद से उगाई गई शुद्ध स्वास्थ्यवर्द्धक सब्जियां और फल मिल रहे हैं।
   ईश्वरसिंह ने बताया कि लोगों में जैविक उत्पादों के प्रति जबरदस्त रूझान देखने को मिल रहा है। उल्लेखनीय है कि इन उत्पादों में किसी भी तरह के रसायनों और कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किया जाता है। ईश्वरसिंह कहते हैं कि उनका और अन्य जैविक पंजीकृत किसानों का यही उद्देश्य है कि लोगों को जहरमुक्त सब्जियां और अनाज उचित दामों पर उपलब्ध करायें, क्योंकि रासायनिक उर्वरकों की वजह से जमीन बंजर होती जाती है।

   ईश्वरसिंह गोउत्पादों पर आधारित प्राकृतिक खेती करते हैं। जो सब्जियां वे अपने फार्म में नहीं उगाते हैं, उन्हें प्रदेश के अन्य रजिस्टर्ड किसानों के यहां से मंगवाकर लोगों में उपलब्ध कराते हैं। इनके फार्म में लगाई गई सब्जियां और फल शहर के अलावा इन्दौर और अन्य शहरों में बिक्री के लिये जाती है।

   ईश्वरसिंह ने अपने फार्म में जैविक खाद का प्रयोग करके मैथी, पालक, चोलाई, लौकी, मटर, शिमला मिर्च, धनिया, भिंडी, पत्तागोभी, फूलगोभी, बैंगनी पत्तागोभी और पपीते का फल उगाया है। इनकी उगाई में जीवामृत का उपयोग किया जाता है। ये गाय के गोबर और गोमूत्र से बनाया जाता है। इसके अलावा गाजियाबाद के सेन्ट्रल ऑर्गेनिक रिसर्च सेन्टर का उत्पाद वेज डिकंपोजर भी मिलाया जाता है। साथ ही बायोगैस स्लरी का उपयोग भी किया जाता है। सब्जियों का प्राकृतिक स्वाद बढ़ाने के लिये पंचगव्य का प्रयोग किया जाता है।

   ईश्वरसिंह के फार्म में बायोगैस प्लांट है। इसमें गोबर और गोमूत्र के साथ-साथ घर से खाने का वेस्ट मटेरियल जैसे फल, सब्जियों का छिलका, बचा हुआ खाना आदि को भी गोबर में मिलाकर खाद बनाई जाती है। जब सड़ी हुई सब्जियों का प्रयोग खाद बनाने में किया जाता है तो इससे नई उपज में माइक्रो न्यूट्रीएंट्स की पूर्ति हो जाती है।

   जैविक तरीके से जो सब्जियां उगाई जाती हैं वे प्राकृतिक तत्वों से भरपूर होती हैं, स्वादिष्ट होती हैं, स्वास्थ्यवर्द्धक होती हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाली होती हैं। ईश्वरसिंह बताते हैं कि ये सब्जियां खाने से लोगों ने डायबिटिज और ब्लडप्रेशर में काफी नियंत्रण किया है। सब्जियों का जूस पीने से इन बीमारियों में निरन्तर सुधार देखने में आया है। कई लोग अब केवल ऑर्गेनिक सब्जी और फलों का ही रोजमर्रा के भोजन में उपयोग कर रहे हैं। इतने सारे फायदे होने के कारण आम लोगों के साथ-साथ कई डॉक्टर भी ईश्वरसिंह से सम्पर्क कर उनके उत्पादों की खरीददारी कर रहे हैं।

   ईश्वरसिंह प्रति मंगलवार को ट्रेजर बाजार में दोपहर 3 बजे से लेकर रात के 8 बजे तक और प्रति रविवार को कालिदास उद्यान में सुबह 7 बजे से लेकर 10 बजे तक अपने उत्पादों की बिक्री करते हैं। इनके द्वारा कस्टमर के यहां जैविक उत्पादों की होम डिलेवरी की व्यवस्था भी की जाती है। ऐसे कई लोग जो ईश्वरसिंह के नियमित ग्राहक बन चुके हैं वे सीधे उनके फार्म पर पहुंचकर ताजी सब्जियां और फल ले जाते हैं।

   ईश्वरसिंह सन 2013 से पहले खेती में इनऑर्गेनिक खाद का उपयोग करते थे, लेकिन जब उन्हें पता चला कि रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक लोगों के स्वास्थ्य के लिये कितने हानिकारक होते हैं, उस दिन से उन्होंने ऑर्गेनिक फार्मिंग करने का निश्चय किया, क्योंकि इनऑर्गेनिक तरीके से उगाई गई सब्जियां देखने में तो अच्छी लगती हैं, लेकिन उनमें प्राकृतिक स्वाद न के बराबर होता है तथा पौष्टिक गुण भी नदारद रहते हैं। अंजाने में ऐसी सब्जियों के सेवन के कारण ही आजकल लोगों में कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है तथा लोगों की आयु भी कम हो रही है। पुराने जमाने में लोग जब जैविक खेती करते थे, तो शतायु हुआ करते थे।

   वहीं दूसरी ओर ऑर्गेनिक उत्पादों का मूल्य अपेक्षाकृत थोड़ा अधिक होता है, लेकिन ये स्वास्थ्य के लिये कल्याणकारी होते हैं। ईश्वरसिंह बताते हैं कि कुछ दिन पहले उनके यहां से एक ग्राहक जैविक खेती से उगाई गई मैथी लेकर गये थे। वे ग्राहक दोबारा उनके यहां सिर्फ धन्यवाद देने के लिये आये थे। दरअसल वे बुजुर्ग थे और उनका कहना था कि 20 सालों में पहली बार उन्होंने इतनी स्वादिष्ट मैथी खाई है। मैथी का असल स्वाद क्या होता है यह तो वे भूल ही चुके थे, लेकिन जैविक खेती से उगाई गई मैथी में उसका प्राकृतिक स्वाद और महक भरपूर है। ऐसे कई ग्राहक ईश्वरसिंह के पास अनुभव साझा करने के लिये आते हैं। ईश्वरसिंह अन्य किसानों को भी जैविक खेती करने के लिये प्रेरित करते रहते हैं।

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